ETV Bharat / state

SPECIAL: दिल में देश सेवा का जज़्बा, संघर्ष से लड़ने का जुनून, ये है किन्नर अक्षरा की कहानी - पुलिस भर्ती प्रक्रिया में किन्नर

सरगुजा में एक किन्नर पुलिस भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुई और सभी खेलों में बेहतर प्रदर्शन भी किया. इनका ये जज़्बा समाज के लिए एक प्रेरणा है.

kinnar-akshara-participated-in-police-recruitment
पुलिस भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुईं अक्षरा
author img

By

Published : Feb 6, 2021, 12:59 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: अब तक भारतीय समाज में किन्नर या तो शुभ कार्य में बधाई गाते दिखते थे या फिर ट्रेन में लोगों को दुआएं देते. अब तक इनकी आजीविका के यही कुछ माध्यम थे, लेकिन सरगुजा में एक किन्नर छत्तीसगढ़ पुलिस भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुई और सभी खेलों में बेहतर प्रदर्शन भी किया.

न्यायालय के आदेश के बाद किन्नर समाज को भी शासकीय सेवा में शामिल होने का अधिकार मिल चुका है. छत्तीसगढ़ में होने वाली पुलिस भर्ती में महिला-पुरुष के साथ थर्ड जेंडर को भी शामिल किया गया. लिहाजा सरगुजा की अक्षरा ने पुलिस भर्ती प्रक्रिया में भाग लिया और बेहतर प्रदर्शन भी किया.

किन्नर अक्षरा बनना चाहती हैं पुलिस

सिलफिली गांव की है अक्षरा

सूरजपुर जिले के सिलफिली गांव के बंगाली परिवार में अशोक कुमार मंडल का जन्म हुआ. अब अशोक अक्षरा बन चुके हैं. अक्षरा की कहानी भी हर किन्नर की तरह उपेक्षाओं से भरी है, लेकिन वो किसी से कोई शिकवा शिकायत न करते हुए सिर्फ अपने समाज के सुधार की बात करती हैं. अक्षरा 15 साल से अपने परिवार से अलग थी. अंबिकापुर के गांधीनगर में किराए के मकान में रहकर पढ़ाई भी कर रही थी. पुलिस बनकर देश की सेवा करने का सपना अक्षरा ने तब देखा था, जब उनकी पहचान अशोक मंडल की थी.

पढ़ें: छत्तीसगढ़ : पुलिस भर्ती परीक्षा में शामिल हुए किन्नर उम्मीदवार

15 साल बाद घर आईं अक्षरा

अक्षरा के जज्बे को जानने के लिए ETV भारत उन्हें खोजते हुए पहुंचा सूरजपुर जिले के सिलफिली गांव. जहां वो अपने पैतृक निवास पर थीं. पता चला कि 15 साल में अक्षरा पहली बार अपने घर आई हैं, वो भी इसलिए क्योंकि उनके भाई की शादी थी. इतने दिनों तक अक्षरा घर से दूर क्यों थी, इसका जवाब तो उन्होंने नहीं दिया, लेकिन अब भाई की शादी में घर आने का मौका पाकर वो खुश हैं.

पुलिस बनकर बनेगी समाज की प्रेरणा

अक्षरा अगर पुलिस सेवा में जाती हैं, तो वो किन्नर समाज के उत्थान के लिए काम करेंगी. समाज में किन्नरों के प्रति लोगों की सोच बदलने सहित किन्नरों को भी पढ़ने-लिखने और शासकीय सेवा में जाकर अपने भविष्य को बेहतर बनाने की प्रेरणा देंगी.

जज़्बे से मिलेगी प्रेरणा

जिले के एसपीटी आर कोशिमा भी अशोक के जज्बे और प्रदर्शन से प्रभावित हैं. वो कहते हैं कि इनके इस जज्बे से पूरे समाज में एक जागृति आएगी. बाकी लोग भी प्रेरित होकर शासकीय सेवा या पुलिस सेवा में आने का प्रयास करेंगे. थर्ड जेंडर समाज के लोग भी अब बेहतर भविष्य बना सकेंगे.

सरगुजा: अब तक भारतीय समाज में किन्नर या तो शुभ कार्य में बधाई गाते दिखते थे या फिर ट्रेन में लोगों को दुआएं देते. अब तक इनकी आजीविका के यही कुछ माध्यम थे, लेकिन सरगुजा में एक किन्नर छत्तीसगढ़ पुलिस भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुई और सभी खेलों में बेहतर प्रदर्शन भी किया.

न्यायालय के आदेश के बाद किन्नर समाज को भी शासकीय सेवा में शामिल होने का अधिकार मिल चुका है. छत्तीसगढ़ में होने वाली पुलिस भर्ती में महिला-पुरुष के साथ थर्ड जेंडर को भी शामिल किया गया. लिहाजा सरगुजा की अक्षरा ने पुलिस भर्ती प्रक्रिया में भाग लिया और बेहतर प्रदर्शन भी किया.

किन्नर अक्षरा बनना चाहती हैं पुलिस

सिलफिली गांव की है अक्षरा

सूरजपुर जिले के सिलफिली गांव के बंगाली परिवार में अशोक कुमार मंडल का जन्म हुआ. अब अशोक अक्षरा बन चुके हैं. अक्षरा की कहानी भी हर किन्नर की तरह उपेक्षाओं से भरी है, लेकिन वो किसी से कोई शिकवा शिकायत न करते हुए सिर्फ अपने समाज के सुधार की बात करती हैं. अक्षरा 15 साल से अपने परिवार से अलग थी. अंबिकापुर के गांधीनगर में किराए के मकान में रहकर पढ़ाई भी कर रही थी. पुलिस बनकर देश की सेवा करने का सपना अक्षरा ने तब देखा था, जब उनकी पहचान अशोक मंडल की थी.

पढ़ें: छत्तीसगढ़ : पुलिस भर्ती परीक्षा में शामिल हुए किन्नर उम्मीदवार

15 साल बाद घर आईं अक्षरा

अक्षरा के जज्बे को जानने के लिए ETV भारत उन्हें खोजते हुए पहुंचा सूरजपुर जिले के सिलफिली गांव. जहां वो अपने पैतृक निवास पर थीं. पता चला कि 15 साल में अक्षरा पहली बार अपने घर आई हैं, वो भी इसलिए क्योंकि उनके भाई की शादी थी. इतने दिनों तक अक्षरा घर से दूर क्यों थी, इसका जवाब तो उन्होंने नहीं दिया, लेकिन अब भाई की शादी में घर आने का मौका पाकर वो खुश हैं.

पुलिस बनकर बनेगी समाज की प्रेरणा

अक्षरा अगर पुलिस सेवा में जाती हैं, तो वो किन्नर समाज के उत्थान के लिए काम करेंगी. समाज में किन्नरों के प्रति लोगों की सोच बदलने सहित किन्नरों को भी पढ़ने-लिखने और शासकीय सेवा में जाकर अपने भविष्य को बेहतर बनाने की प्रेरणा देंगी.

जज़्बे से मिलेगी प्रेरणा

जिले के एसपीटी आर कोशिमा भी अशोक के जज्बे और प्रदर्शन से प्रभावित हैं. वो कहते हैं कि इनके इस जज्बे से पूरे समाज में एक जागृति आएगी. बाकी लोग भी प्रेरित होकर शासकीय सेवा या पुलिस सेवा में आने का प्रयास करेंगे. थर्ड जेंडर समाज के लोग भी अब बेहतर भविष्य बना सकेंगे.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.