सरगुजा: कोविड-19 का संक्रमण जितनी तेजी से फैल रहा है, उससे कहीं ज्यादा तेजी से सोशल साइट्स पर इसे लेकर अफवाह भी फैलती जा रही है. ऐसा ही एक भ्रम कोरोना की जांच को लेकर फैला हुआ है, वो ये कि बहुत से लोगों का मानना है कि COVID 19 की जांच के लिए आम बीमारियों की ही तरह ब्लड सैंपल लिए जाते हैं. इस भ्रम और कोविड 19 की जांच से जुड़ी सारी अफवाहों पर विराम लगाने के लिए ETV भारत ने अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मेडिसिन डिपार्टमेंट के सीनियर रेसिडेंट डॉक्टर अर्पण सिंह चौहान से खास बातचीत की.
उन्होंने बताया कि नोवल कोरोना वायरस की जांच इतनी आसान नहीं होती, जितनी मलेरिया, टायफाइड और अन्य बीमारियों की जांच होती है. कोविड 19 की जांच ब्लड सैंपल से नहीं होती, बल्कि इसके लिए मरीज के नाक और गले के अंदरूनी हिस्सों से सैंपल लिए जाते हैं.
ऐसे लिए जाते हैं सैंपल
नेजोफैरिंजल स्वैप और ऑरोफ्रेजल स्वैप के जरिए गले में टॉन्सिल के पास से रब करके ग्लूकोजा कलेक्ट किया जाता है और उसे वैक्युटेनर में बंद करके प्लास्टिक में पैक करके आइस पैक के साथ रखा जाता है. अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सीनियर डॉक्टर अर्पण सिंह चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि ब्लड सैंपल के जरिए जांच अभी शुरू नहीं हुई है. कुछ कंपनिया दावा कर रही है कि वे ऐसा किट लेकर आ रहे हैं, जिससे खून से टेस्ट किया जा सकता है, लेकिन अभी तक प्रयोग शुरू नहीं हुआ है.
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव लगातार इस किट के जरिए ब्लड सैम्पल वाली जांच शुरू कराए जाने के पक्ष में हैं. इससे ये जांच अधिक सस्ती और तेजी से हो पाएगी. इस जांच के शुरू होने से प्रदेश में कोरोना का रैपिड टेस्ट हो सकेगा.