सरगुजा: छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य का विवाद थमता नहीं दिख रहा है. हसदेव जंगल कटाई मामले पर सियासी दलों के बीच बयानबाजी का दौर जारी है. हसदेव बचाओ आंदोलन में किसान नेताओं के साथ ही कांग्रेस, आप और अन्य विपक्षी पार्टियों ने हिस्सेदारी निभाई. प्रदर्शन को देखते हुए जिला व पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गए थे. बड़ी संख्या में आंदोलनकारियों को बीच रास्ते में ही रोक लिया गया. जिससे नाराज प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हल्की झूमाझटकी भी हुई.
दीपक बैज ने बीजेपी लगाए गंभीर आरोप: धरनास्थल पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज को कांग्रेस जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी. ग्रामीण आदिवासियों के आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे पीसीसी चीफ ने स्वीकार किया कांग्रेस की सरकार में कुछ चूक हुई है. पीसीसी अध्यक्ष ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, "खदान के लिए फर्जी ग्राम सभा भाजपा के सरकार में हुई. हमारी कमी है कि हम जांच करा कर उसे निरस्त नहीं करा सके. तब केंद्र का दबाव था, लेकिन अब यहां डबल इंजन की सरकार है. मुख्यमंत्री भी आदिवासी हैं. यदि वे आदिवासियों के सच्चे हितैषी हैं तो लगाएं एक फोन प्रधानमंत्री को और कहें कि आदिवासियों के हित में खदान निरस्त कर दें."
"भाजपा आदिवासी मुख्यमंत्री को चेहरा बनाकर अडानी के लिए छत्तीसगढ़ के जल, जंगल और जमीन को लूटने का काम कर रही है. सरकार बनने के साथ ही हसदेव में जंगल की कटाई शुरू होना इसका प्रमाण है." - दीपक बैज, पीसीसी प्रमुख, छत्तीसगढ़
आंदोलन को देशभर से मिल रहा समर्थन: उदयपुर विकासखंड के ग्राम हरिहरपुर में चल रहे इस आंदोलन को देशभर से समर्थन मिल रहा है. बड़ी संख्या में लोग आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए पहुंच रहे है. इसी कड़ी में रविवार को हरिहरपुर में संयुक्त मोर्चा द्वारा हसदेव बचाओं को आंदोलन को समर्थन देने के साथ ही विशाल धरना प्रदर्शन किया गया. इस धरना प्रदर्शन में किसान नेताओं के साथ ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज, आप की सचिव प्रियंका शुक्ला, अलोक शुक्ला सहित बड़ी संख्या में विपक्षी दलों के नेता और सामाजिक कार्यकर्ता पहुंचे थे.
पुलिस प्रशासन ने किए सुरक्षा के कड़े इंतजाम: प्रदर्शन को देखते हुए जिला व पुलिस प्रशासन द्वारा भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. धरना स्थल पर एक हजार से अधिक पुलिस बल को तैनात किया गया था जबकि कोरबा, कटघोरा व चोटिया के समीप धरना स्थल की ओर जा रहे लोगों को रोक दिया गया था और उनके काफिले को आगे नहीं जाने दिया गया. पुलिस व प्रशासन की सख्ती के बीच प्रदर्शनकारी एनएच 130 से लगभग तीन किलोमीटर का पैदल सफर कर धरना स्थल पर पहुंचे. पेड़ों की कटाई और कोल उत्खनन के विरोध में 5 हजार से अधिक की संख्या में विभिन्न संगठन के लोगों ने अपना विरोध जताया जबकि देर शाम पुलिस द्वारा रोके गए वाहनों के काफिले को छोड़ने के बाद जोहार छत्तीसगढ़ के लगभग 300 वाहन घटना स्थल पहुंचे.
क्या है पूरा मामला: राजस्थान राज्य विद्दयुत निगम लिमिटेड के साथ अडानी की कंपनी ने अनुबंध किया है. जिसके तहत कोल परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई की जा है. जिसके विरोध में हसदेव बचाओ आंदोलन चलाया जा रहा है. हसदेव अरण्य क्षेत्र में पेड़ों की कटाई और कोल उत्खनन को लेकर स्थानीय ग्रामीणों द्वारा 675 दिनों से आंदोलन किया जा रहा है. ग्रामीणों की मांग है कि 1 लाख 72 हेक्टेयर में फैले हसदेव अरण्य क्षेत्र को पूर्ण रूप से सुरक्षित कर पेड़ों की कटाई और कोल उत्खनन का कार्य बंद किया जाए. रविवार को आंदोलन के तहत ग्राम हरिहरपुर में संयुक्त मोर्चा ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया.