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बघेल सरकार के चार साल, सीएम भूपेश ने विकास की नई अवधारणा लिखी: मंत्री अमरजीत भगत - बघेल सरकार के चार साल को अमरजीत भगत ने बताया सफल

छत्तीसगढ़ में बघेल सरकार के 4 वर्ष पूरे हो चुके हैं. Four years of Baghel government अब कांग्रेस की इस सरकार के पास सिर्फ 1 वर्ष का समय बचा है. 2023 में फिर छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होंगे और नई सरकार का फैसला मतदाता करेंगे. (Food Minister Amarjit Bhagat) बीते 4 वर्षों के सरकार की क्या उपलब्धियां रहीं. Amarjit Bhagat praised Baghel government बचे हुये वर्ष में कौन से काम हैं जो प्राथमिकता में रहेंगे. इन सवालों को लेकर हमने बातचीत की छत्तीसगढ़ सरकार के खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत से.chhattisgarh pride day news

Minister Amarjit Bhagat praised Baghel government
बघेल सरकार के चार साल को अमरजीत भगत ने बताया सफल
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Published : Dec 18, 2022, 4:28 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

अमरजीत भगत ने गिनाई बघेल सरकार की उपलब्धि

सरगुजा: छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार की कई योजनाओं ने राष्ट्रीय स्तर पर लोगों का ध्यान खींचा है. Four years of Baghel government गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी न्याय योजना और बाल मितान योजना जैसी ऐसी कई स्कीम हैं. जिसने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान पाई है. ये कहना है छत्तीसगढ़ के खाद्य मंत्री अमरजीत भगत का. ईटीवी भारत ने सरकार के चार साल बीतने पर उनके सामने आई नई चुनौतियों को लेकर सवाल किया तो जानिए क्या था खाद्य मंत्री अमरजीत भगत का बयानAmarjit Bhagat praised Baghel government



सवाल : चार वर्ष के सरकार की क्या उपलब्धि रही और बचे हुये एक वर्ष में कौन सी चुनौतियां हैं.?
जवाब : चार साल बेमिसाल, इन 4 सालों में जो काम हुए हैं बीते 15 सालों में जो सरकार रही वो नही कर पाई. मैं पूछता हूं कि 10 हजार करोड़ का कर्जा माफ हुआ है तो किसका हुआ यहां के किसानों का हुआ. एमएसपी के अलावा 9 हजार और 10 हजार रुपये प्रति एकड़ राजीव गांधी किसान न्याय योजना का पैसा यहां के किसानों को मिल रहा है. वनोपज 7 से बढ़कर 65 प्रकार की खरीदी हो रही है और 25 सौ रुपए की जगह में तेंदूपत्ता 4 हजार में बिक रहा है. तो इसका फायदा वन क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी भाइयों को मिला है. (Food Minister Amarjit Bhagat)


हमने सिर्फ वनोपज में एक हजार करोड़ का संग्रहण और वितरण किया है. वो पैसा सीधे आदिवासी भाइयों और वन क्षेत्र में रहने वाले भाइयों के पैकेट में गया है. जो लोग भूमिहीन खेतिहर मजदूर हैं, उनको भी राजीव गांधी न्याय योजना का लाभ 7 हजार रूपये सालाना मिल रहा है. जो लोग नाई, धोबी, लोहार, पुजारी, बैगा, पंडा का काम करते हैं. उनको भी 7 हजार रुपये सालाना मिल रहा है. तो इसका लाभ यहां के नागरिकों को मिल रहा है. जो अगर कृषि सेक्टर में अकेले 25 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि ट्रांसफर हो रही है तो उसका लाभ यहां के किसानों को मिल रहा है और ये पैसा कहीं न कहीं रोटेट होकर बाजार में आ रहा है. जिसका लाभ यहां के व्यापारियों को मिल रहा है. यहां के बाजार में जो रौनक दिखता है वो हमारी योजना की देन है. chhattisgarh pride day news

ये भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में रेल सेवा पर सियासी रार, बीजेपी और कांग्रेस नेताओं में बढ़ा टकराव




सबसे बड़ी बात जो छत्तीसगढ़ की योजना राष्ट्रीय स्तर पर सफल हुई है और एक मॉडल के रूप में उभर कर आई है. जहां भी किसान आंदोलन होते हैं. वहां बात आती है कि जो छत्तीसगढ़ में मिल रहा है वो यहां भी दिया जाये. अकेले हम खाद्यान्न योजना की बात करें तो पिछले सरकार में कई कलर के राशन कार्ड बनते थे और चुनाव के बाद सत्यापन के नाम पर काट दिये जाते थे. हमारी सरकार आने के बाद सबको यूनिवर्सल पीडीएस सिस्टम में बीपीएल के साथ एपीएल को भी हम राशन दिए जा रहे हैं. भाजपा विपक्ष में है. विरोध करना उनका धर्म है.





सवाल :निश्चित ही सरकार ने लोगों के जेब तक पैसा पहुंचाया है. लेकिन बार बार ये आरोप लगते रहे हैं कि आधारभूत संरचना का विकास नहीं हो पा रहा है. ?
जवाब : मैं आपकी बात से काफी हद तक सहमत हूं. लेकिन विकास की अवधारणा केवल बड़े बड़े आलीशान बिल्डिंग बना देने से नहीं होता है. वहां रहने वाले नागरिक उनकी आर्थिक स्थिति उनकी आमदनी में बढ़ोतरी ये भी एक फैक्टर है. केवल आप ईंट पत्थर से बड़े बड़े इमारत खड़ा कर दें. लेकिन वहां रहने वाला व्यक्ति अगर भूखा है. उसके पास काम नही है तो मैं सोचता हूं कि ये विकास की अवधारणा अधूरी है. विकास की अवधारण से मतलब है कि वहां रहने वाला जो व्यक्ति है उसका आर्थिक विकास होना चाहिये. उसके चेहरे में खुशी दिखनी चाहिए. आज मैं दावे के साथ बोल सकता हूं कि जितना भी आयोजन हो रहा है. शादी, विवाह, तीज त्योहार सबमें उसकी झलक आपको देखने को मिलेगी. लोग कितने खुशी खुशी सेलिब्रेट करते हैं. ये अवधारणा है तो सोचने का तरीका अलग अलग हो सकता है. हर पार्टी का नजरिया अलग अलग होता है.


पिछली सरकार में यहां के गरीब लोगों को केवल 5 किलो चावल मिलता था. पीडीएस में हमारी सरकार आने के बाद हमने इसे बदलकर 10 किलो किया है. धान खरीदी में भी आप देखेंगे पिछले सरकार में ये कितना खरीदते दे 70 लाख मीट्रिक टन से कभी अधिक नहीं गया. मैं बड़े गर्व के साथ बोलता हूं कि भूपेश बघेल के सरकार में आने के बाद किसान पुत्र ने 82 लाख मीट्रिक टन से धान की खरीदी शुरू की. दूसरे साल 84 लाख, तीसरे साल 92 लाख, पिछले साल 98 लाख और इस वर्ष 110 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है. इन चार सालों में हमने इस तरह की उपलब्धियां हासिल की है. यह लोगों के चेहरों पर चमक लाने का काम कर रही है.

अमरजीत भगत ने गिनाई बघेल सरकार की उपलब्धि

सरगुजा: छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार की कई योजनाओं ने राष्ट्रीय स्तर पर लोगों का ध्यान खींचा है. Four years of Baghel government गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी न्याय योजना और बाल मितान योजना जैसी ऐसी कई स्कीम हैं. जिसने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान पाई है. ये कहना है छत्तीसगढ़ के खाद्य मंत्री अमरजीत भगत का. ईटीवी भारत ने सरकार के चार साल बीतने पर उनके सामने आई नई चुनौतियों को लेकर सवाल किया तो जानिए क्या था खाद्य मंत्री अमरजीत भगत का बयानAmarjit Bhagat praised Baghel government



सवाल : चार वर्ष के सरकार की क्या उपलब्धि रही और बचे हुये एक वर्ष में कौन सी चुनौतियां हैं.?
जवाब : चार साल बेमिसाल, इन 4 सालों में जो काम हुए हैं बीते 15 सालों में जो सरकार रही वो नही कर पाई. मैं पूछता हूं कि 10 हजार करोड़ का कर्जा माफ हुआ है तो किसका हुआ यहां के किसानों का हुआ. एमएसपी के अलावा 9 हजार और 10 हजार रुपये प्रति एकड़ राजीव गांधी किसान न्याय योजना का पैसा यहां के किसानों को मिल रहा है. वनोपज 7 से बढ़कर 65 प्रकार की खरीदी हो रही है और 25 सौ रुपए की जगह में तेंदूपत्ता 4 हजार में बिक रहा है. तो इसका फायदा वन क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी भाइयों को मिला है. (Food Minister Amarjit Bhagat)


हमने सिर्फ वनोपज में एक हजार करोड़ का संग्रहण और वितरण किया है. वो पैसा सीधे आदिवासी भाइयों और वन क्षेत्र में रहने वाले भाइयों के पैकेट में गया है. जो लोग भूमिहीन खेतिहर मजदूर हैं, उनको भी राजीव गांधी न्याय योजना का लाभ 7 हजार रूपये सालाना मिल रहा है. जो लोग नाई, धोबी, लोहार, पुजारी, बैगा, पंडा का काम करते हैं. उनको भी 7 हजार रुपये सालाना मिल रहा है. तो इसका लाभ यहां के नागरिकों को मिल रहा है. जो अगर कृषि सेक्टर में अकेले 25 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि ट्रांसफर हो रही है तो उसका लाभ यहां के किसानों को मिल रहा है और ये पैसा कहीं न कहीं रोटेट होकर बाजार में आ रहा है. जिसका लाभ यहां के व्यापारियों को मिल रहा है. यहां के बाजार में जो रौनक दिखता है वो हमारी योजना की देन है. chhattisgarh pride day news

ये भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में रेल सेवा पर सियासी रार, बीजेपी और कांग्रेस नेताओं में बढ़ा टकराव




सबसे बड़ी बात जो छत्तीसगढ़ की योजना राष्ट्रीय स्तर पर सफल हुई है और एक मॉडल के रूप में उभर कर आई है. जहां भी किसान आंदोलन होते हैं. वहां बात आती है कि जो छत्तीसगढ़ में मिल रहा है वो यहां भी दिया जाये. अकेले हम खाद्यान्न योजना की बात करें तो पिछले सरकार में कई कलर के राशन कार्ड बनते थे और चुनाव के बाद सत्यापन के नाम पर काट दिये जाते थे. हमारी सरकार आने के बाद सबको यूनिवर्सल पीडीएस सिस्टम में बीपीएल के साथ एपीएल को भी हम राशन दिए जा रहे हैं. भाजपा विपक्ष में है. विरोध करना उनका धर्म है.





सवाल :निश्चित ही सरकार ने लोगों के जेब तक पैसा पहुंचाया है. लेकिन बार बार ये आरोप लगते रहे हैं कि आधारभूत संरचना का विकास नहीं हो पा रहा है. ?
जवाब : मैं आपकी बात से काफी हद तक सहमत हूं. लेकिन विकास की अवधारणा केवल बड़े बड़े आलीशान बिल्डिंग बना देने से नहीं होता है. वहां रहने वाले नागरिक उनकी आर्थिक स्थिति उनकी आमदनी में बढ़ोतरी ये भी एक फैक्टर है. केवल आप ईंट पत्थर से बड़े बड़े इमारत खड़ा कर दें. लेकिन वहां रहने वाला व्यक्ति अगर भूखा है. उसके पास काम नही है तो मैं सोचता हूं कि ये विकास की अवधारणा अधूरी है. विकास की अवधारण से मतलब है कि वहां रहने वाला जो व्यक्ति है उसका आर्थिक विकास होना चाहिये. उसके चेहरे में खुशी दिखनी चाहिए. आज मैं दावे के साथ बोल सकता हूं कि जितना भी आयोजन हो रहा है. शादी, विवाह, तीज त्योहार सबमें उसकी झलक आपको देखने को मिलेगी. लोग कितने खुशी खुशी सेलिब्रेट करते हैं. ये अवधारणा है तो सोचने का तरीका अलग अलग हो सकता है. हर पार्टी का नजरिया अलग अलग होता है.


पिछली सरकार में यहां के गरीब लोगों को केवल 5 किलो चावल मिलता था. पीडीएस में हमारी सरकार आने के बाद हमने इसे बदलकर 10 किलो किया है. धान खरीदी में भी आप देखेंगे पिछले सरकार में ये कितना खरीदते दे 70 लाख मीट्रिक टन से कभी अधिक नहीं गया. मैं बड़े गर्व के साथ बोलता हूं कि भूपेश बघेल के सरकार में आने के बाद किसान पुत्र ने 82 लाख मीट्रिक टन से धान की खरीदी शुरू की. दूसरे साल 84 लाख, तीसरे साल 92 लाख, पिछले साल 98 लाख और इस वर्ष 110 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है. इन चार सालों में हमने इस तरह की उपलब्धियां हासिल की है. यह लोगों के चेहरों पर चमक लाने का काम कर रही है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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