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बस्तर से सरगुजा पहुंचा फॉलआर्मी वर्म, मक्के की फसल को पहुंचा रहा नुकसान - मक्के की फसल

अंबिकापुर : सरगुजा में मक्के की फसल लगाने वाले किसानों की मुसीबत बढ़ती नजर आ रही है. फॉल आर्मीवर्म नामक कीट ने मक्के की फसल को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है. ये कीड़ा सिर्फ मक्के पर ही नहीं बल्कि दलहन की फसल को भी नुकसान पहुंचाता है. इस कीट को जनवरी में बस्तर में भी देखा गया था. ऐसा माना जा रहा है कि ये कीड़ा अमेरिका से भारत पहुंचा है.

बस्तर से सरगुजा पहुंचा फॉलआर्मी वर्म
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Published : Mar 6, 2019, 12:42 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो ठंड के कम होते ही फॉल आर्मीवर्म नामक कीट फसलों पर फैलाता है और अब ये कीड़ा दक्षिण भारत के बाद मध्य भारत पहुंच चुका है. आने वाले कुछ ही दिनों में उत्तर भारत में लगी मक्के की फसल के साथ अन्य फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है.

वीडियो


भगवानपुर इलाके के किसान रविंद्र चक्रवर्ती की मानें तो ये कीड़ा पिछले महीने मक्के की फसल पर लगा था, जिसे रोकने के लिए कीटनाशक का प्रयोग किया गया था, लेकिन कुछ समय बाद ही ये कीड़ा फिर मक्के की फसलों पर लगने लगा. किसान का कहना है कि कीट के प्रभाव से मक्के की फसल के लिए उसके द्वारा लगाए 1 लाख रुपए बर्बाद होते नजर आ रहे हैं.


छत्तीसगढ़ से उत्तर प्रदेश की तरफ बढ़ रहे फॉलआर्मी वर्म

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मक्के और अन्य फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले इस कीट ने जनवरी 2019 में श्रीलंका में मक्के की फसल को निशाना बनाकर भारी नुकसान पहुंचाया था. इसके बाद श्रीलंका ने मक्के की फसल के उत्पादन और एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी थी. इधर भारत में कर्नाटक के अलावा ये कीड़ा तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात में देखा जा चुका है. वहीं अब ये कीड़ा छत्तीसगढ़ से उत्तर प्रदेश की तरफ बढ़ रहा है, ऐसे में किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं.

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फॉलआर्मी वर्म के लिए कीटनाशक उपलब्ध
सरगुजा के किसान व्यावसायिक रूप से मक्का की खेती करते हैं जो जिले के 35 फीसदी किसानों के लिए कमाई का मुख्य स्रोत है. ऐसे में फसल को नुकसान को होता देख किसान परेशान हैं. हालांकि बस्तर से आए कृषि वैज्ञानिक और सरगुजा के राजमोहनी देवी कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिक का मानना है कि फॉलऑर्मी वर्म नामक इस खतरनाक कीट के लिए कीटनाशक उपलब्ध है जो बस्तर के किसानों को 50 फीसदी सब्सिडी में दिया जा रहा है.

कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो ठंड के कम होते ही फॉल आर्मीवर्म नामक कीट फसलों पर फैलाता है और अब ये कीड़ा दक्षिण भारत के बाद मध्य भारत पहुंच चुका है. आने वाले कुछ ही दिनों में उत्तर भारत में लगी मक्के की फसल के साथ अन्य फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है.

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भगवानपुर इलाके के किसान रविंद्र चक्रवर्ती की मानें तो ये कीड़ा पिछले महीने मक्के की फसल पर लगा था, जिसे रोकने के लिए कीटनाशक का प्रयोग किया गया था, लेकिन कुछ समय बाद ही ये कीड़ा फिर मक्के की फसलों पर लगने लगा. किसान का कहना है कि कीट के प्रभाव से मक्के की फसल के लिए उसके द्वारा लगाए 1 लाख रुपए बर्बाद होते नजर आ रहे हैं.


छत्तीसगढ़ से उत्तर प्रदेश की तरफ बढ़ रहे फॉलआर्मी वर्म

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मक्के और अन्य फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले इस कीट ने जनवरी 2019 में श्रीलंका में मक्के की फसल को निशाना बनाकर भारी नुकसान पहुंचाया था. इसके बाद श्रीलंका ने मक्के की फसल के उत्पादन और एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी थी. इधर भारत में कर्नाटक के अलावा ये कीड़ा तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात में देखा जा चुका है. वहीं अब ये कीड़ा छत्तीसगढ़ से उत्तर प्रदेश की तरफ बढ़ रहा है, ऐसे में किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं.

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फॉलआर्मी वर्म के लिए कीटनाशक उपलब्ध
सरगुजा के किसान व्यावसायिक रूप से मक्का की खेती करते हैं जो जिले के 35 फीसदी किसानों के लिए कमाई का मुख्य स्रोत है. ऐसे में फसल को नुकसान को होता देख किसान परेशान हैं. हालांकि बस्तर से आए कृषि वैज्ञानिक और सरगुजा के राजमोहनी देवी कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिक का मानना है कि फॉलऑर्मी वर्म नामक इस खतरनाक कीट के लिए कीटनाशक उपलब्ध है जो बस्तर के किसानों को 50 फीसदी सब्सिडी में दिया जा रहा है.

Intro:अम्बिकापुर- सरगुज़ा में मक्के की फसल लगाने वाले किसानों पर आफत आ चुकी हैं और यह आफत अमेरिका से भारत पहुंची है, दअरसल छत्तीसगढ़ में बस्तर के बाद सरगुजा की फसलों में एक ऐसा किट देखा गया है जो की फसल को 80 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचा सकता है, फाल आर्मीवर्म नामक किट खासकर मक्के की फसल के किसान के लिए मुसीबत बन सकता है। सिर्फ मक्का ही नही किसी भी प्रकार की दलहन पर यह कीट प्रहार करता है।

यह कीट एक जेनरेशन में एक हजार किलोमीटर की दूरी तय करके कभी भी पहुंच सकता है, क्योंकि यह देखा गया है कि यह जनवरी में बस्तर के फसलों में देखा गया था और फरवरी-मार्च में यह सरगुजा इलाके के मक्के की फसल तक पहुंच गया है कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो ठंडा के कम होते ही फॉल आर्मीवर्म नामक कीट ज्यादा फैलाता है तो अनुमान है कि आने वाले दिनों में ये दक्षिण भारत के बाद मध्य भारत पहुंच चुका है और अब आने वाले कुछ ही दिनों में उत्तर भारत में लगी मक्के की फसल के साथ अन्य फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है


खासकर मक्के में लगने वाली फॉल आर्मीवर्म नामक खतरनाक किट सरगुजा के किसानों को तबाह करने में लगा है जिले के भगवानपुर इलाके के 12 एकड़ खेत में मक्के की खेती करने वाले रविंद्र चक्रवर्ती की मानें तो यह किट पिछले महीने लगा था कुछ कीटनाशक मारने के बाद ये गायब हुआ, लेकिन फिर से उनके मक्के की फसल में लग गया है जिससे मक्के की फसल में खर्च किए गए 1 लाख के बर्बाद होने के आसान नजर आ रहे हैं


सरगुजा के किसान व्यवसायिक रूप से मक्का की खेती करते हैं जो जिले के 35 फीसदी किसानों के लिए कमाई का मुख्य स्रोत है लेकिन इस कीट के लगने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीर गहराने लगी है हालांकि बस्तर से आए कृषि वैज्ञानिक और सरगुजा के राजमोहनी देवी कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिक इस कीट की जानकारी राज्य के सभी जिम्मेदार अधिकारियों को देने की बात कर रहे हैं और वैज्ञानिकों का मानना है कि फॉलऑर्मी वर्म नामक इस ख़तरनाक किट के लिए कितनाशक है जो बस्तर के किसानों को 50 फीसदी सब्सिडी में दिया जा रहा है।


अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मक्के और अन्य फसलों के लिए जानलेवा इस कीट ने जनवरी 2019 में श्रीलंका में मक्के की फसल पर अटैक कर भारी नुकसान पहुंचाया था जिसके बाद श्रीलंका ने मक्के की फसल के उत्पादन और एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी थी इधर भारत में कर्नाटक के अलावा यह किट तमिलनाडु, तेलंगाना महाराष्ट्र, गुजरात प्रदेशों में देखा जा चुका है बहराल छत्तीसगढ़ से उत्तर प्रदेश की तरफ बढ़ रहे इस खतरनाक कीट को रोक पाना आसान नहीं मतलब किसान सुरक्षा ही बचाव का नारा लगाकर अपनी अपनी फसल भगवान भरोसे छोड़ने पर मजबूर है।

बाईट 01 -रविन्द्र चक्रवर्ती (किसान)

बाईट 02- धर्मपाल केरकेट्टा ( कृषि वैज्ञानिक शासकीय कृषि महाविद्यालय जगदलपुर)


श्रवण कुमार महंत अम्बिकापुर


Body:अम्बिकापुर- सरगुज़ा में मक्के की फसल लगाने वाले किसानों पर आफत आ चुकी हैं और यह आफत अमेरिका से भारत पहुंची है, दअरसल छत्तीसगढ़ में बस्तर के बाद सरगुजा की फसलों में एक ऐसा किट देखा गया है जो की फसल को 80 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचा सकता है, फाल आर्मीवर्म नामक किट खासकर मक्के की फसल के किसान के लिए मुसीबत बन सकता है। सिर्फ मक्का ही नही किसी भी प्रकार की दलहन पर यह कीट प्रहार करता है।

यह कीट एक जेनरेशन में एक हजार किलोमीटर की दूरी तय करके कभी भी पहुंच सकता है, क्योंकि यह देखा गया है कि यह जनवरी में बस्तर के फसलों में देखा गया था और फरवरी-मार्च में यह सरगुजा इलाके के मक्के की फसल तक पहुंच गया है कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो ठंडा के कम होते ही फॉल आर्मीवर्म नामक कीट ज्यादा फैलाता है तो अनुमान है कि आने वाले दिनों में ये दक्षिण भारत के बाद मध्य भारत पहुंच चुका है और अब आने वाले कुछ ही दिनों में उत्तर भारत में लगी मक्के की फसल के साथ अन्य फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है


खासकर मक्के में लगने वाली फॉल आर्मीवर्म नामक खतरनाक किट सरगुजा के किसानों को तबाह करने में लगा है जिले के भगवानपुर इलाके के 12 एकड़ खेत में मक्के की खेती करने वाले रविंद्र चक्रवर्ती की मानें तो यह किट पिछले महीने लगा था कुछ कीटनाशक मारने के बाद ये गायब हुआ, लेकिन फिर से उनके मक्के की फसल में लग गया है जिससे मक्के की फसल में खर्च किए गए 1 लाख के बर्बाद होने के आसान नजर आ रहे हैं


सरगुजा के किसान व्यवसायिक रूप से मक्का की खेती करते हैं जो जिले के 35 फीसदी किसानों के लिए कमाई का मुख्य स्रोत है लेकिन इस कीट के लगने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीर गहराने लगी है हालांकि बस्तर से आए कृषि वैज्ञानिक और सरगुजा के राजमोहनी देवी कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिक इस कीट की जानकारी राज्य के सभी जिम्मेदार अधिकारियों को देने की बात कर रहे हैं और वैज्ञानिकों का मानना है कि फॉलऑर्मी वर्म नामक इस ख़तरनाक किट के लिए कितनाशक है जो बस्तर के किसानों को 50 फीसदी सब्सिडी में दिया जा रहा है।


अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मक्के और अन्य फसलों के लिए जानलेवा इस कीट ने जनवरी 2019 में श्रीलंका में मक्के की फसल पर अटैक कर भारी नुकसान पहुंचाया था जिसके बाद श्रीलंका ने मक्के की फसल के उत्पादन और एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी थी इधर भारत में कर्नाटक के अलावा यह किट तमिलनाडु, तेलंगाना महाराष्ट्र, गुजरात प्रदेशों में देखा जा चुका है बहराल छत्तीसगढ़ से उत्तर प्रदेश की तरफ बढ़ रहे इस खतरनाक कीट को रोक पाना आसान नहीं मतलब किसान सुरक्षा ही बचाव का नारा लगाकर अपनी अपनी फसल भगवान भरोसे छोड़ने पर मजबूर है।

बाईट 01 -रविन्द्र चक्रवर्ती (किसान)

बाईट 02- धर्मपाल केरकेट्टा ( कृषि वैज्ञानिक शासकीय कृषि महाविद्यालय जगदलपुर)




Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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