सरगुजा : देश में NPS यानी की नेशनल पेंशन स्कीम लागू कर दी गई. नेशनल पेंशन स्कीम (national pension scheme ) पूरी तरह बाजार पर निर्भर एक लॉन्ग टाइम इन्वेस्टमेंट जैसा है. लेकिन दूसरी तरफ कर्मचारियों में OPS यानी की ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग भी जोर पकड़ने लगी है. छत्तीसगढ़ सरकार ने एलान कर दिया कि प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम (old pension scheme) लागू की जाती है. ऐसे में हमने एक्सपर्ट से जाना की क्या अंतर है. दोनों स्कीमों में कौन सी स्कीम ज्यादा फायदेमंद है.
NPS और OPS पर जानिए एक्सपर्ट की राय 2004 से शुरू हुआ NPS : अम्बिकापुर में रहने वाले वित्तीय मामलों के अधिवक्ता अभिषेक शर्मा से ETV भारत ने जाना की इस विषय पर उनका क्या मत है. अभिषेक कहते हैं " ओल्ड पेंशन स्कीम 2004 से पहले लागू थी. और 2009 में जो अमेटमेन्ट आया था. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जब इसको नई पेंशन के लिए लागू करने के लिये लाये थे तो उसे नेशनल पेंशन स्कीम लागू की गई. इसका उद्देश्य सीधे सीधे ये था कि पुराने पेंशन स्कीम को रिप्लेस करके NPS को लागू की जाये. क्योंकि यह बाजार बेस्ड था. NPS का मुख्य उद्देश्य यही था कि कर्मचारियों के डिमांड और रोजमर्रा के खर्चे के लिए अतिरिक्त निवेश का एक ऑप्शन उपलब्ध हो. 80CCD1 एक प्रावधान लागू किया गया था जो डेढ लाख के अतिरिक्त था. उसमे 50 हजार का अतिरिक्त निवेश कर्मचारी कर सकता था. पहले कर्मचारी ही इसमे निवेश कर सकता था. बाद में 2009 में इसे सबके लिये कर दिया गया"
लॉन्ग टर्म में बड़ा लाभ : अभिषेक शर्मा कहते हैं "ओल्ड पेंशन स्कीम में वेतन से कटौती होता था. इसमे एनपीएस में वेतन से कटौती नही है ये आपका सेल्फ कंट्रीब्यूशन है. इसमे आप अलग से भी कर सकते हैं. दूसरा विषय ये आता था की बेसिक सैलरी का 50 फीसदी तक उसमे निश्चित पेंशन ओपीएस में मिलता था. एनपीएस में ये है की एक लॉन्ग टर्म तक अगर 60 साल तक आप निवेश करते हैं. तो अपनी 60% राशि को आप 60 साल बाद निकाल सकते हैं बाकी जो राशि है वो बतौर पेंशन मिलती रहेगी"
OPS सरकार पर बोझ : अभिषेक आगे बताते हैं "रिटायरमेंट के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए की एक अच्छा खासा फंड तैयार हो. उसके लिए ये अच्छी खासी राशि को इकट्ठा निकालने की वैकल्पिक व्यवस्था के साथ एनपीएस लागू किया गया था. निश्चित रूप से एनपीएस सभी दृष्टिकोण से सही है. गवर्मेंट के रेवेन्यू पर बोझ नही है. ओपीएस क्या है कि इसमे ग्रेजुएटी और फैमली पेंशन के भी प्रावधान शामिल थे. इकट्ठा जो राशि मिलती थी वो सरकारी तंत्र पर बोझ था. उसी को रिप्लेस करते हुये एनपीएस लाने के पीछे मकसद ये हुआ कि अगर कोई शासकीय कर्मचारी निवेश कर रहा है.तो एक लॉन्ग टर्म निवेश करेगा.तो उसे बाजार का इंट्रेस्ट रेट मिलेगा. जैसे इक्विटी और इंटेन्ट फंड में मिलता है"
सुप्रीम कोर्ट और सरकार : उन्होंने आगे कहा " एक अच्छे खासे लाभ के लिये गवर्मेंट ने इसे चालू कर दिया था. लेकिन मनानीय सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल के आदेश दिया था की कुछ जगहों पर ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कर दिया जाये. तो जितेंद्र सिंह संसद में मौजूद थे और उन्होंने इसे हैंड ओवर कर दिया था वित्त मंत्रालय को. कुछ जगहों पर इसे लागू करने के लिए केंद्र सरकार ने एक्सेप्ट भी कर लिया था. मकसद ये आता है कि क्या वैकल्पिक व्यवस्था बन सकती है. बाजार बेस्ड चीज को ध्यान में रखते हुये अगर कर्मचारी निवेश करते हैं तो वो 80C के अतिरिक्त डेढ़ लाख के अतिरिक्त 50 हजार का और लाभ ले सकते हैं"
टेक्सेशन में फायदा : "टैक्सेशन के प्वाइंट लाफ व्यू से देखें तो भी एनपीएस एक अच्छी स्कीम है.जिसका फायदा लेकर लोग अपने रिटर्न को भी फाइल कर ले रहे हैं. ओपीएस से अगर तुलना करते हैं.आप एनपीएस की तो कोष के दृष्टिकोण से भी और रिटर्न के दृष्टिकोण से भी एक अच्छा ऑप्शन रहता है आपके पास एनपीएस में जो बेस्ट स्ट्रक्चर के साथ बेस्ट राशि भी रिटर्न करता है. आखिर में तो मेरी नजर में ये है कि अगर आप इक्विटी बेस्ड चलेंगे बाजार के साथ आने वाले समय मे तो ओल्ड पेंशन स्कीम की तुलना में NPS में इन्वेस्टमेंट ज्यादा बेहतर होगा"
राजनीति से ऊपर उठकर सोचना चाहिए : "चुनावी एजेंडा को किनारे करते हुये उनको कर्मचारियों के व्यक्तिगत लाभ का सोचना चाहिये. राजस्व का हरण करके राजस्व को क्षति पहुंचा कर राजनीतिक दृष्टिकोण से सोंच को हटाते हुये कर्मचारियों के लाभ की मंशा होनी चाहिये. एनपीएस बेस्ड जो है चूंकि माननीय सुप्रीम कोर्ट को कुछ ही मामलों में हस्तक्षेप करना पड़ा था. इसके कारण सेंट्रल गवर्मेंट के जो पुराने कर्मचारी है. उन पर अगर ये लागू करते हैं तो राजस्व पर उतना बोझ नही है. कुछ चीजों को स्टॉक करके चलना चाहिये.अगर आप एनपीएस के खातों को क्लोज करके पुराने पेंशन स्कीम में जाएंगे तो राजस्व की ही क्षति होगी.आप उनके साथ अपना भी नुकसान करते हैं"
NPS ज्यादा फायदेमंद : "अगर उनको इक्विटी और इनेटेन्ट के साथ रहने देते हैं तो वो बाजार बेस्ड रिटर्न पाते हैं. जो 9 से लेकर 12 से 14 प्रतिशत तक जा सकता है. ओल्ड पेंशन स्कीम में अगर ला देते हैं तो उनको एक फिक्स्ड राशि उनको मिलेगी इसके साथ शैक्षिक रूप से उनको ट्रेजरी से अंशदान को क्रिएट कराना पड़ेगा. ग्रेजुएटी की राशि कितनी मिलेगी पूरा कैलकुलेशन कराके उनको मिलेगा इससे अच्छा आप एनपीएस बेस्ड जाओ सीधे सीधे उनको पेंशन की राशि भी मिलती रहेगी और 60% राशि वो 60 साल की उम्र में निकाल सकते हैं. व्यक्ति की जब सेवा निविर्त्ती होती है.तो ये मानकर चलिए वो नई जिंदगी में कदम रखता है ऐसे में उसे बड़ी राशि की जरूरत होती है. तो मेरी राय में एनपीएस को ही बढ़ावा दे राज्य सरकार"