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सरगुजा संभाग में 13 हाथी दल सक्रिय, अलर्ट मोड पर वनविभाग, दहशत में ग्रामीण - उदयपुर

Elephant Terror In Surguja Division सरगुजा संभाग में एक बार फिर से हाथियों ने दस्तक दी है.संभाग के कई जिलों में हाथियों का दल घूम रहा है.जिससे एक बार फिर किसान और ग्रामीण दहशत में है.वहीं वन विभाग का अमला हाथियों पर 24 घंटे निगरानी रखे जाने की बात कह रहा है.Elephant terror in Chhattisgarh

Elephant Terror In Surguja Division
सरगुजा संभाग में 13 हाथी दल सक्रिय
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 21, 2023, 4:39 PM IST

Updated : Dec 21, 2023, 6:55 PM IST

सरगुजा संभाग में 13 हाथी दल सक्रिय

सीतापुर : छत्तीसगढ़ में हाथी झारखंड की सीमा से दाखिल होते हैं. इसके बाद मध्यप्रदेश की ओर चले जाते हैं.इस दौरान हाथी जशपुर,अंबिकापुर, बलरामपुर,कोरबा होते हुए कोरिया के रास्ते गौरेला पेंड्रा मरवाही में दाखिल होते हैं.जहां से मध्यप्रदेश के जंगलों की ओर चले जाते हैं. साल भर हाथी इसी रूट से आते जाते हैं.ऐसे में कई हाथी अपने दल से अलग भी हो जाते हैं.जो गांवों में घूमकर उत्पात मचाते हैं.इन दिनों सरगुजा में 40 से अधिक हाथी दल विचरण कर रहा है. जिसे लेकर ग्रामीण चिंतित हैं.

संभाग के बड़े जिलों में हाथी दल : सरगुजा संभाग की यदि बात करें तो बलरामपुर, जशपुर और सरगुजा जिला सबसे ज्यादा हाथी प्रभावित है.अंबिकापुर जिले के मैनपाट वन परिक्षेत्र में 22 हाथियों का दल विचरण कर रहा है.जिसमें उदयपुर वनपरिक्षेत्र के 9 हाथियों का समूह भी शामिल है.

रायगढ़ के कापू वनपरिक्षेत्र से आते हैं हाथी : ये हाथी रायगढ़ जिले के कापू वन परिक्षेत्र से दिन ढलते ही मैनपाट वन परिक्षेत्र में पहुंच आते हैं. जिसके बाद बस्ती की ओर खलिहाल में रखे धान की फसल को नुकसान पहुंचाते हैं. मैनपाट के हाथी प्रभावित क्षेत्रों में खंडराजा, परपटिया , सरभंजा और ढाडकेसरा शामिल हैं.जहां हांथी विचरण कर रहे हैं. यहां के लोग रात में अपने घरों से निकलकर कड़कड़ाती ठंड में अपने खेतों और घरों की रखवाली करते हैं.ताकि रात के समय में हाथी बस्ती की ओर ना घुसे.

वनविभाग का सायरन बजते ही हो जाते हैं अलर्ट : ग्रामीणों की माने तो तब कभी भी वनविभाग की गाड़ी का सायरन बजता है तो गांव के लोग अलर्ट हो जाते हैं.सभी अपने घरों से निकलकर सड़क पर इकट्ठा होते हैं.इसके बाद सभी ग्रामीण पहरेदारी करना शुरु करते हैं.ताकि रात के अंधेरे में अनजान खतरा गांव में ना घुस आए.कुछ दिन पहले ही सरभंजा गांव में हाथी दल आ धमका था.जिसने किसानों की फसल को नुकसान पहुंचाया था.


वनविभाग के अफसर हाथी मूवमेंट को लेकर हैं मुस्तैद : वहीं वन विभाग के अधिकारी हाथियों के मूवमेंट पर नजर बनाए हुए हैं. वनविभाग की माने तो जिस ओर हाथी जाते हैं,उस ओर के गांव और बस्ती को अलर्ट किया जाता है.ज्यादातर लोगों को ये बताया जाता है कि घरों के सामने आग जलाकर रखें.

'' हम हाथी के मूवमेंट पर सतत निगरानी रखते हैं. समय-समय पर लोगों को समझाइश भी दी जा रही है कि वह जंगल की ओर न जाए. साथ ही यह हाथी का दल रायगढ़ जिले के कापू वनपरिक्षेत्र से रात होते ही मैनपाट वन परिक्षेत्र में चले आते हैं.''- प्रेमचंद्र मिश्रा,एसडीओ

सरगुजा संभाग में हाथियों का आना कोई नई बात नहीं है.लेकिन पिछले कुछ समय से हाथी किसानों की फसल को निशाना बना रहे हैं.कई लोगों के घर भी हाथी और मानव द्वंद की भेंट चढ़ गए हैं.सरगुजा संभाग सबसे ज्यादा हाथी प्रभावित रहा है.यहां रहने वाले ग्रामीण हाथियों के कारण काफी ज्यादा नुकसान झेलते हैं.वनविभाग हर साल दावे तो करता है.लेकिन हाथी जब आते हैं तो सारी व्यवस्थाएं और दावे धरे के धरे रह जाते हैं.

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सरगुजा संभाग में 13 हाथी दल सक्रिय

सीतापुर : छत्तीसगढ़ में हाथी झारखंड की सीमा से दाखिल होते हैं. इसके बाद मध्यप्रदेश की ओर चले जाते हैं.इस दौरान हाथी जशपुर,अंबिकापुर, बलरामपुर,कोरबा होते हुए कोरिया के रास्ते गौरेला पेंड्रा मरवाही में दाखिल होते हैं.जहां से मध्यप्रदेश के जंगलों की ओर चले जाते हैं. साल भर हाथी इसी रूट से आते जाते हैं.ऐसे में कई हाथी अपने दल से अलग भी हो जाते हैं.जो गांवों में घूमकर उत्पात मचाते हैं.इन दिनों सरगुजा में 40 से अधिक हाथी दल विचरण कर रहा है. जिसे लेकर ग्रामीण चिंतित हैं.

संभाग के बड़े जिलों में हाथी दल : सरगुजा संभाग की यदि बात करें तो बलरामपुर, जशपुर और सरगुजा जिला सबसे ज्यादा हाथी प्रभावित है.अंबिकापुर जिले के मैनपाट वन परिक्षेत्र में 22 हाथियों का दल विचरण कर रहा है.जिसमें उदयपुर वनपरिक्षेत्र के 9 हाथियों का समूह भी शामिल है.

रायगढ़ के कापू वनपरिक्षेत्र से आते हैं हाथी : ये हाथी रायगढ़ जिले के कापू वन परिक्षेत्र से दिन ढलते ही मैनपाट वन परिक्षेत्र में पहुंच आते हैं. जिसके बाद बस्ती की ओर खलिहाल में रखे धान की फसल को नुकसान पहुंचाते हैं. मैनपाट के हाथी प्रभावित क्षेत्रों में खंडराजा, परपटिया , सरभंजा और ढाडकेसरा शामिल हैं.जहां हांथी विचरण कर रहे हैं. यहां के लोग रात में अपने घरों से निकलकर कड़कड़ाती ठंड में अपने खेतों और घरों की रखवाली करते हैं.ताकि रात के समय में हाथी बस्ती की ओर ना घुसे.

वनविभाग का सायरन बजते ही हो जाते हैं अलर्ट : ग्रामीणों की माने तो तब कभी भी वनविभाग की गाड़ी का सायरन बजता है तो गांव के लोग अलर्ट हो जाते हैं.सभी अपने घरों से निकलकर सड़क पर इकट्ठा होते हैं.इसके बाद सभी ग्रामीण पहरेदारी करना शुरु करते हैं.ताकि रात के अंधेरे में अनजान खतरा गांव में ना घुस आए.कुछ दिन पहले ही सरभंजा गांव में हाथी दल आ धमका था.जिसने किसानों की फसल को नुकसान पहुंचाया था.


वनविभाग के अफसर हाथी मूवमेंट को लेकर हैं मुस्तैद : वहीं वन विभाग के अधिकारी हाथियों के मूवमेंट पर नजर बनाए हुए हैं. वनविभाग की माने तो जिस ओर हाथी जाते हैं,उस ओर के गांव और बस्ती को अलर्ट किया जाता है.ज्यादातर लोगों को ये बताया जाता है कि घरों के सामने आग जलाकर रखें.

'' हम हाथी के मूवमेंट पर सतत निगरानी रखते हैं. समय-समय पर लोगों को समझाइश भी दी जा रही है कि वह जंगल की ओर न जाए. साथ ही यह हाथी का दल रायगढ़ जिले के कापू वनपरिक्षेत्र से रात होते ही मैनपाट वन परिक्षेत्र में चले आते हैं.''- प्रेमचंद्र मिश्रा,एसडीओ

सरगुजा संभाग में हाथियों का आना कोई नई बात नहीं है.लेकिन पिछले कुछ समय से हाथी किसानों की फसल को निशाना बना रहे हैं.कई लोगों के घर भी हाथी और मानव द्वंद की भेंट चढ़ गए हैं.सरगुजा संभाग सबसे ज्यादा हाथी प्रभावित रहा है.यहां रहने वाले ग्रामीण हाथियों के कारण काफी ज्यादा नुकसान झेलते हैं.वनविभाग हर साल दावे तो करता है.लेकिन हाथी जब आते हैं तो सारी व्यवस्थाएं और दावे धरे के धरे रह जाते हैं.

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Last Updated : Dec 21, 2023, 6:55 PM IST
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