सरगुजा: एक गांव है करौंदा झरिया, अंबिकापुर नगर निगम की सीमा से लगता है. अंबिकापुर नगर निगम जिसे सफाई में 5 स्टार का दर्जा मिला है. इस गांव को तीन पीढ़ियों बाद पीने का साफ पानी नसीब हुआ है. इस गांव को बांकी डैम के निर्माण के दौरान विस्थापन के तौर पर बसाया गया था. इसी बांकी डैम के पानी से संभाग मुख्यालय अंबिकापुर में रहने वाली 2 लाख से ज्यादा की आबादी को पीने का पानी नसीब होता है. लेकिन दुर्भाग्य देखिए एक शहर की प्यास बुझाने के लिये जिन लोगों को उनकी जमीन से हटाकर दूसरी जगह बसाया गया, वहां 3 पीढ़ियों के बाद पेयजल की व्यवस्था हो सकी है.
यहां के लोगों की ये दशा थी कि लोग अपनी इस गांव में अपनी बेटियों की शादी करने में भी कतराते थे. ऐसा नहीं है कि ये गांव दूरस्थ या दुर्गम इलाके में बसा है. ये अंबिकापुर नगर निगम की सीमा से लगा हुआ है. सरगुजा की राजमाता देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव के नाम पर शुरू की गई योजना का जायजा लेने ETV भारत ने कई गांवों का सफर तय किया तो पता लगा की गांवों में नल-जल योजना बेहतर ढंग से काम कर रही है और लोगों को पानी मिल रहा है. अब गांव में भी शहरों की तर्ज पर हर घर में नल जल योजना के तहत पानी मिलने लगा है.
पंचायत मंत्री ने यहां पानी पहुंचाने को बताया था चुनौती
बता दें कि पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने पंचायत चुनावों के दौरान ETV भारत से बातचीत में ग्रामीण क्षेत्रों में पीने का पानी पहुंचाना बड़ी चनौती बताया था. अब चुनाव के 6 महीने बीतने के बाद मंत्री ने अपनी उस चुनौती का समाधान निकाल लिया और सरगुजा संभाग के हर गांव से पेयजल संकट खत्म करने के लिए काम शुरू कर दिया है.
बड़ी टंकी की जगह लगाई छोटी टंकियां
सरगुजा संभाग की भौगोलिक स्थिति के कारण गांव में स्थित बड़ी टंकी से पूरे गांव के मोहल्ले में पानी पहुंचाना मुश्किल हो रहा था. जिसके बाद मंत्री टीएस सिंहदेव ने पंचायत प्रतिनिधियों को नल-जल योजना को डिसेंट्रलाइज करने की सलाह दी. इसके तहत एक बड़ी टंकी की जगह अब गांव के हर मोहल्ले में टंकी लगाई गई और उस छोटी टंकियों के जरिए गांव के हर घर में पानी पहुंचाया गया. फिलहाल अब लगभग 40 ग्राम पंचायतों में इसी तरह पानी पहुंचाया जा रहा है.
करौंदा झरिया में 3 पीढ़ी बाद पहुंचा पीने का पानी
अंबिकापुर शहर से लगे करौंदा झरिया गांव के लोगों को 3 पीढ़ी गुजरने के बाद पीने का पानी नसीब हो रहा है. नाले, ढोढ़ी का पानी पीकर गुजर बसर करने वाले गांव के ग्रामीणों को जब नल का साफ पानी पीने को मिला तो इनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. खुद विस्थापित होकर शहर को डैम के जरिए पानी दिलाने वाले गांववासियों को साफ पानी पीने के लिए इतना इंतजार करना पड़ेगा ये कभी उन्होंने सोचा नहीं था. गांव वालों के मुताबिक पानी की इस समस्या के कारण दूसरे गांव के लोग अपनी बेटी की शादी भी यहां कराने से कतराते थे. बहरहाल देर से ही सही लेकिन उनके जीवन की बड़ी समस्या खत्म होने से ग्रामीण अब काफी खुश हैं.
पूरे सरगुजा संभाग में शुरू होगा काम
अब ऐसी ही योजना पूरे सरगुजा संभाग में शुरू करने की कवायद पंचायत विभाग कर रहा है. इसके लिए PHE नहीं बल्कि पंचायत विभाग सीधे काम कराएगा. पंचायत मंत्री सिंहदेव ने इसके लिए डेढ़ करोड़ का अतिरिक्त बजट भी स्वीकृत किया है. बता दें कि ये योजना 2 तरह से संचालित की जा रही है. एक की लागत डेढ़ लाख रुपये है जिसमे 3 हजार लीटर की टंकी के माध्यम से लगभग 7 सौ मीटर पाइप लाइन के जरिए 5 घरों में नल कनेक्शन दिया जाता है. दूसरी योजना साढ़े 6 लाख की है, जिसमें 10 हजार लीटर की टंकी से लगभग 12 सौ फीट पाइप के जरिए 10 नल कनेक्शन दिया जा रहा है. नल-जल योजना को छोटे-छोटे रूप में लगाये जाने से पानी के फोर्स की समस्या से निजात मिली है, अब हर घर में पर्याप्त पानी पहुंच रहा है.
नल जल योजना के लिए पूर्ववर्ती सरकार ने किए करोड़ों खर्च
लेकिन सवाल ये है कि क्या करोड़ों रुपए खर्च कर शुरू की गई ये योजना सफल हो पाएगी. प्रदेश की पूर्व सरकार ने नल जल योजना शुरू करने में करोड़ों रुपये फूंक दिए. लेकिन ये योजना सरगुजा में फेल साबित हुई. PHE विभाग की बनाई टंकियों में या तो पानी चढ़ा ही नहीं और अगर चढ़ा भी वह पानी लोगों के घरों तक पहुंच ही नहीं पाया.
क्या है नल जल योजना
लोगों को साफ पीने का पानी उपलब्ध कराने के लक्ष्य से नल-जल योजना शुरू की गई है. इसके तहत हर घर में नल के जरिए जल पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. जल-जीवन मिशन के तहत पूरे देश के ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष 2024 तक नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य है. छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने मिनीमाता अमृतधारा नल योजना के तहत राज्य के हर गरीबी रेखा के नीचे बसर करने वाले परिवारों को निशुल्क पेयजल कनेक्शन देने का निर्णय लिया है. इसके तहत अब तक दो लाख 88 हजार 143 परिवारों को नल कनेक्शन दिया गया है.