सरगुजा: छत्तीसगढ़ में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू होने से शिक्षकों का एक बड़ा वर्ग भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. इस विषय को समझने के लिये हमने अर्थशास्त्र के जानकार और लंबे समय से शिक्षकों के लिये संघर्षरत नेता सर्वजीत पाठक से बातचीत की है.
80 हजार से अधिक शिक्षक होंगे प्रभावित: यह नियम सभी कर्मचारियों या शिक्षकों को प्रभावित नहीं करेगा. लेकिन पंचायत शिक्षक से शिक्षक बने करीब 80 हजार से अधिक शिक्षक इससे प्रभावित होंगे. प्रदेश विभाजन में 27 हजार, फिर 16 हजार की एक भर्ती और 45 हजार पंचायत शिक्षको की भर्ती के बाद इनकी संख्या 88 हजार होती है. लेकिन एक अनुमानित संख्या 80 हजार मानी जा रही है.
कैबिनेट के फैसले में सुधार की मांग: सर्वजीत पाठक ने बताया "ओल्ड पेंशन योजना जो छत्तीसगढ़ सरकार ने लागू किया. इसके बाद में कैबिनेट में जो निर्णय उन्होंने लिया है. उसके बाद से 1998 से नियुक्त हमारे शिक्षक साथी पेंशन योजना से लगभग बाहर हो जाएंगे. अगर इन लोगों को ओल्ड पेंशन का लाभ देना है तो मेरा सुझाव है कि शासन को कैबिनेट के फैसले में दो तरह का सुधार करना चाहिये"
2012 से हो सेवा की गणना: सर्वजीत पाठक ने कहा है कि "शासकीय अंशदान का पैसा आपको वापस करना होगा. निश्चित रूप से इसके लिये हम सहर्ष तैयार हैं. लेकिन जब से हम अंशदान दे रहे हैं 2012 से, तो आप हमारी सेवा की गणना 2012 से करिये, ना कि 2022 से. अगर ऐसा शासन करती है तो लगभग हमारे जो 70 से 80 हजार शिक्षक साथी हैं, उनको पेंशन योजना का लाभ मिल सकेगा."
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पूर्ण पेंशन पात्रता 33 से घटाकर 20 वर्ष करें: सर्वजीत पाठक ने कहा है कि "बहोत सारे राज्य हैं, जहां पेंशन की जो 33 साल की अवधी में अमेनमेंट कर उसे 20 साल की सेवा में पूर्ण पेंशन का दायरा फिक्स किया जाये. इससे क्या होगा कि जो हमारे पंचायत कर्मचारी हैं, उनको लाभ होगा. अगर ऐसा शासन अपने कैबिनेट के फैसले में परिवर्तन नहीं करती है. तो मेरा ऐसा मानना है कि जो 80 हजार पंचायत संवर्ग के जो हमारे शिक्षक साथी थे, वो पेंशन योजना से बाहर हो जायेंगे. उनको पेंशन का लाभ नही मिल पाएगा."
ओल्ड पेंशन की घोषणा का कोई मतलब नहीं: सर्वजीत पाठक ने कहा है कि "शासन ने जब ओल्ड पेंशन स्कीम लागू किया, तो बहोत खुशी हुई कि बहोत दिनों के बाद ऐसा लगा की 18-20 साल 25 साल की सेवा के बाद ये लगा कि हमारा भविष्य हमारा बुढ़ापा अच्छा रहेगा. लेकिन कैबिनेट के इस फैसले के बाद ये सारी खुशी हमारी कफूर हो गई .उसमें बड़ा कष्ट हुआ कि जो पेंशन हमको मिलने जा रहा था, उससे हम वंचित होने जा रहे हैं."
जो रिटायर हुये उन्हें मिल रहा 7 सौ रुपए पेंशन: सर्वजीत पाठक ने कहा है कि "न्यू पेंशन योजना में अगर हमारे इन कर्मचारियों को लाभ होता, तो हम ओल्ड पेंशन योजना की मांग ही नहीं करते सरकार से ओल्ड पेंशन योजना में हमारा भविष्य और बुढापा ज्यादा सुरक्षित था. क्योंकि न्यू पेंशन योजना जो है एनएसडीएल में जो हमारा पैसा जमा होता है. वो सीधा सीधा शेयर बाजार के अधीन है. आज जो हमारे लोग रिटायर जो रहे है हम देख रहे हैं, किसी को 7 सौ किसी को 1 हजार रुपये ही पेंशन मिल पा रहा है."
1 जनवरी और 1 जुलाई के शेयर रेट पर निर्भर: सर्वजीत पाठक ने कहा है कि "जो हमारा अंशदान जा रहा एनएसडीएल में जा रहा है. जब हम रिटायर होते हैं, तो उस समय उसको स्विच करने के लिये दो तिथी उन्होंने निर्धारित की हुई है. 1 जनवरी और 1 जुलाई जब इस तारिख को हम अपना पैसा विड्रा करते हैं, तो बहोत संभावना है कि उस समय शेयर बाजार का रेट बहोत नीचे गिरा हो. जिस शेयर में हमारा पैसा लगा है. तो इस उस दिन हमको नुकसान हो सकता है."