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सरगुजा : जमीन के लिए धरने पर बैठे आदिवासियों ने धरना स्थल पर जलाए दीये

कोल खदानों के खिलाफ 15 दिनों से 20 गांव के सैकड़ों ग्रामीण धरन पर बैठे हैं. वहीं दीपावली के दिन उन्होंने धरनास्थल पर 100 दीये जलाकर दिवाली मनाई. साथ ही धरनास्थल पर ही पारंपारिक "करमा नृत्य" का भी आयोजन किया.

100 दिए जलाकर धरना स्थल में मनाई गई दिवाली
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Published : Oct 29, 2019, 1:13 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: एक ओर जहां पूरा देश दीपावली का त्योहार मना रहा था. वहीं 20 गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों ने जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए धरनास्थल पर ही दीपक जलाकर दिवाली का त्योहार मनाया, ये लोग बीते 15 दिनों से धरना दे रहे हैं.

अपनी जमीन के लिए धरने पर बैठे आदिवासियों ने धरनास्थल पर जलाए दीये

बता दें कि धरना प्रदर्शन की शुरुआत सूरजपुर जिले के ग्राम तारा में की गई थी . वहीं एसडीएम की अनुमति नहीं होने का हवाला देते हुए सरपंच की ओर से धरनास्थल बदलने के नोटिस दिए जाने के बाद जिले के परसा कोल ब्लॉक के प्रभावित ग्राम फतेहपुर में धरना लगातार जारी है.

ग्रामीण पहले दिन से ही अपनी जमीन को कोल खदान के लिए नहीं देने का संकल्प लिए हुए हैं और उस पर अडिग हैं. ग्रामीण शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में आदिवासी और अन्य ग्रामीण उपस्थित होकर कोल खदान के विरोध में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं लेकिन आज तक न तो किसी जनप्रतिनिधि का इस ओर ध्यान है.

हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले कोल खदान से प्रभावित होने वाले 20 गांव के लोगों ने धरनास्थल पर ही पारंपारिक "करमा नृत्य" का भी आयोजन किया था.

ग्रामीणों का है ये कहना

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पीढ़ियों से निवासरत जमीन पर इमारती औषधीय पेड़-पौधे, दर्जनों प्रकार के वन्य प्राणी, जलीय जीव, आदिवासियों के देवस्थल को सहेज कर सैकड़ों साल से रखा गया है. वह सब कोयला खदान खुलने से समूल नष्ट हो जाएंगे. दर्जनों प्रकार के फूल-फल और छायादार वृक्ष कट जाएंगे.नदी-नाले, झरने सब सूख जाएंगे. इससे आस-पास ही नहीं पूरे प्रदेश के लोगों को भीषण जल संकट और गर्मी का सामना करना पड़ेगा.

पढ़े:हादसों को न्योता देती है ये सड़क, प्रशासन मौन

धरना प्रदर्शन में फत्तेहपुर घाटबर्रा , परोगिया, सैदू , सुसकम , हरिहरपुर , साल्ही, ठिर्रीआमा, गिद्धमुड़ी ,पतुरियाडांड ,मदनपुर , पुटा, मोरगा , धज़ाक , उचलेंगा, खिरटी, केतमा, पुटा, चारपारा , परसा , अरसियाँ, जामपानी सहित 2 दर्जन से भी अधिक गांव के लोग सैकड़ों की संख्या में प्रतिदिन शामिल हो रहे हैं.

सरगुजा: एक ओर जहां पूरा देश दीपावली का त्योहार मना रहा था. वहीं 20 गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों ने जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए धरनास्थल पर ही दीपक जलाकर दिवाली का त्योहार मनाया, ये लोग बीते 15 दिनों से धरना दे रहे हैं.

अपनी जमीन के लिए धरने पर बैठे आदिवासियों ने धरनास्थल पर जलाए दीये

बता दें कि धरना प्रदर्शन की शुरुआत सूरजपुर जिले के ग्राम तारा में की गई थी . वहीं एसडीएम की अनुमति नहीं होने का हवाला देते हुए सरपंच की ओर से धरनास्थल बदलने के नोटिस दिए जाने के बाद जिले के परसा कोल ब्लॉक के प्रभावित ग्राम फतेहपुर में धरना लगातार जारी है.

ग्रामीण पहले दिन से ही अपनी जमीन को कोल खदान के लिए नहीं देने का संकल्प लिए हुए हैं और उस पर अडिग हैं. ग्रामीण शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में आदिवासी और अन्य ग्रामीण उपस्थित होकर कोल खदान के विरोध में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं लेकिन आज तक न तो किसी जनप्रतिनिधि का इस ओर ध्यान है.

हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले कोल खदान से प्रभावित होने वाले 20 गांव के लोगों ने धरनास्थल पर ही पारंपारिक "करमा नृत्य" का भी आयोजन किया था.

ग्रामीणों का है ये कहना

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पीढ़ियों से निवासरत जमीन पर इमारती औषधीय पेड़-पौधे, दर्जनों प्रकार के वन्य प्राणी, जलीय जीव, आदिवासियों के देवस्थल को सहेज कर सैकड़ों साल से रखा गया है. वह सब कोयला खदान खुलने से समूल नष्ट हो जाएंगे. दर्जनों प्रकार के फूल-फल और छायादार वृक्ष कट जाएंगे.नदी-नाले, झरने सब सूख जाएंगे. इससे आस-पास ही नहीं पूरे प्रदेश के लोगों को भीषण जल संकट और गर्मी का सामना करना पड़ेगा.

पढ़े:हादसों को न्योता देती है ये सड़क, प्रशासन मौन

धरना प्रदर्शन में फत्तेहपुर घाटबर्रा , परोगिया, सैदू , सुसकम , हरिहरपुर , साल्ही, ठिर्रीआमा, गिद्धमुड़ी ,पतुरियाडांड ,मदनपुर , पुटा, मोरगा , धज़ाक , उचलेंगा, खिरटी, केतमा, पुटा, चारपारा , परसा , अरसियाँ, जामपानी सहित 2 दर्जन से भी अधिक गांव के लोग सैकड़ों की संख्या में प्रतिदिन शामिल हो रहे हैं.

Intro:सरगुजा : एक और जहां पूरा देश अपने अपने घरों में दीपावली का त्यौहार मना रहे थे वही 20 गांव के सैकड़ों ग्रामीणों ने प्रकृति की रक्षा के लिए जल, जंगल, जमीन को बचाने के लिए विगत 15 दिनों से जारी धरना प्रदर्शन स्थल पर ही दीपक जलाकर दिवाली का त्यौहार मनाया। धरना प्रदर्शन की शुरुआत सूरजपुर जिले के ग्राम तारा में की गई, एसडीएम की अनुमति नहीं होने का हवाला देते हुए सरपंच द्वारा धरनास्थल बदलने के नोटिस दिए जाने के बाद सरगुजा जिले के परसा कोल ब्लॉक के प्रभावित ग्राम फतेहपुर में धरना लगातार जारी है। पहले दिन से ही लोग अपनी जमीनों को कोल खदान के लिए नहीं देने का संकल्प लिए हुए हैं और उस पर अडिग है। ग्रामीणों द्वारा शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन किया जा रहा है प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में आदिवासी व अन्य ग्रामीण उपस्थित होकर कोल खदान के विरोध में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं परंतु आज तक ना तो किसी जनप्रतिनिधि ना किसी जिम्मेदार अधिकारी और ना ही शासन के किसी नुमाइंदे ने इन आंदोलनकारियों की सुध ली है । इनकी मांग क्या है और आखिर क्यों यह लोग धरना प्रदर्शन पर उतारू हैं ग्रामीणों की सुनने वाला कोई नहीं है।
हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले कोल खदान से प्रभावित होने वाले २० गांव के लोगों द्वारा धरना स्थल पर ही पारंपारिक "करमा नृत्य" का भी आयोजन किया गया । प्रदर्शन कारियों का कहना है कि पीढ़ियों से निवासरत जमीन में लाखों की संख्या में इमारती,औषधीय पेड़ पौधे दर्जनों प्रकार के वन्य प्राणी, जलीय जीव, आदिवासियों के देवस्थल ,देवगुड़ी , सरई, साजा, करमी,भरही, चिल्ही,भेलवा, हर्रा, महुआ आदि जो आदिवासियों के पूजनीय वृक्ष है को सहेज कर सैकड़ों साल से रखा गया है । वह सब कोयला खदान खुलने से समूल नष्ट हो जाएंगे दर्जनों प्रकार के फूल फल व छायादार वृक्ष कट जाएंगे वह भी लाखों की संख्या में, नदी नाले झरने सब सुख जाएंगे जिससे आसपास ही नही पूरे प्रदेश के लोगों को भीषण जल संकट और गर्मी का सामना करना पड़ेगा। आम जनता की परेशानी को एसी में बैठने वाले लोग नही समझ सकते। इस लिए प्रभावित गांव के लोग मिलकर प्रकृति की रक्षा का संकल्प लिए तथा एक साथ १०० दिया जलाए । पहला दीपक - ग्राम देवी डिहारीन दाईं के नाम से संगठन की एकता के प्रतीक स्वरूप। दूसरा दीपक- गांव के शिवरिहा देवता के नाम से जो की गांव के रक्षा के प्रतीक हैं। तीसरा दीपक-ठाकुर देवता के नाम से जो सत्य ,अहिंसा व न्याय के प्रति सजग व अन्याय के खिलाफ संघर्ष के प्रतीक स्वरूप । चौथा दीपक- आदि शक्ति, प्रकृति शक्ति,बड़ा देव के नाम ~जल ,जंगल,जमीन,पर्यावरण के प्रतीकात्मक दिया जलाया गया। पांचवां दीपक - गौरी गौरा के नाम जो प्रकृति के समस्त जीवों के रक्षा के प्रतीक हैं

धरना प्रदर्शन में फत्तेहपुर घाटबर्रा, परोगिया, सैदू,सुसकम, हरिहरपुर, साल्ही, ठिर्रीआमा, गिद्धमुड़ी,पतुरियाडांड,मदनपुर,पुटा, मोरगा,धज़ाक,उचलेंगा, खिरटी, केतमा, पुटा, चारपारा,परसा, अरसियाँ, जामपानी सहित २दर्जन से भी अधिक गांव के लोग सैकड़ों की संख्या में प्रतिदिन शामिल हो रहे हैं।Body:देश दीपक सरगुजा

Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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