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जब मांगे गए दस्तावेज तो छात्र ने लिख दिया 'मेरी सीट दे दो दूसरे को', मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के दौरान सामने आया मामला

मेडिकल कॉलेज में स्टेट कोटा से प्रवेश की तिथि बढ़ा दी गई है. अब छात्र-छात्राएं 23 नवंबर की रात तक प्रवेश ले सकते हैं. वहीं दस्तावेज की चेकिंग के दौरान एक छात्र ने कॉलेज में एडमिशन लेने से मना कर दिया है.

ambikapur medical college
अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज
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Published : Nov 23, 2020, 11:51 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में ऑल इंडिया कोटे से प्रवेश की तिथि बढ़ा दी गई है. अब अभ्यर्थी 23 नवंबर तक ऑल इंडिया कोटे के तहत प्रवेश ले सकते हैं. इससे छात्रों को राहत मिली है. वहीं इन सबके बीच कॉलेज में प्रवेश के दौरान नीट की परीक्षा उत्तीर्ण होने वाले एक छात्र ने कॉलेज में प्रवेश लेने से इनकार कर दिया है, साथ ही अपनी सीट किसी अन्य छात्र को आवंटित करने की सहमति दी है.

छात्र ने अपनी सीट दूसरे को देने को कहा

कॉलेज में प्रवेश के दौरान समिति ने छात्र से सत्यापन के लिए दस्तावेज मांगे थे. इस दौरान वे कोई दस्तावेज पेश नहीं कर सका. चयन समिति के सदस्यों ने छात्र से पूछताछ की, तो उसने कॉलेज में एडमिशन लेने से मना कर दिया. इन सबके पीछे कई तरह की संभावनाएं जताई जा रही हैं. देशभर के मेडिकल कॉलेजों के साथ ही अंबिकापुर के शासकीय मेडिकल कॉलेज में भी एमबीबीएस की 81 सीटों पर प्रवेश की प्रक्रिया जारी है. 16 नवंबर से शुरू हुई इस प्रवेश प्रक्रिया में अब तक 79 छात्र-छात्राओं ने एडमिशन लिया है. कोरोना संक्रमण काल के कारण छात्र-छात्राएं अपने राज्य के कॉलेज को ही प्राथमिकता दे रहे हैं.

पढ़ें: सरगुजा: 16 नवंबर तक ऑल इंडिया कोटे से होगा मेडिकल कॉलेज में दाखिला, केंद्र ने बढ़ाई तारीख

छात्र ने पढ़ाई करने के बजाए कॉलेज प्रबंधन को यह लिखित में दे दिया कि वह आगे नहीं पढ़ना चाहता है और उसकी सीट किसी दूसरे को अलॉट कर दी जाए. कॉलेज प्रबंधन ने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच करने के बाद ही एडमिशन नहीं लेने के सही कारणों का पता चलने की बात कही है. इस संबंध में मेडिकल कालेज के डीन डॉ. आर मूर्ति ने बताया कि कॉलेज में प्रवेश के दौरान दस्तावेजों की बारीकी से जांच की जा रही है. जांच के दौरान सर्टिफिकेट नहीं दिखाने और एडमिशन से मना करने के केस की जांच की जाएगी.

पढ़ें:MBBS में एडमिशन के लिए छात्रों को देना होगा शपथ पत्र, फर्जीवाड़ा के आरोप पर काउंसलिंग कमेटी का फैसला

ये है मामला

दरअसल, छत्तीसगढ़ के शासकीय और निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस और चिकित्सा कोर्स से संबंधित कोर्स में दूसरे राज्यों के छात्रों पर फर्जी निवास प्रमाण पत्र के माध्यम से एडमिशन लेने का आरोप लगा था. इसकी शिकायत पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल नीट से चयनित छात्रों के परिजनों और रायपुर उत्तर से विधायक कुलदीप जुनेजा के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की थी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुलाकात के बाद प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया गया था कि छत्तीसगढ़ के मूल निवासी के हितों की रक्षा की जाएगी. मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अतिरिक्त मुख्य सचिव सुब्रत साहू के साथ संबंधित अधिकारियों को चयनित छात्रों के मूल दस्तावेज की बारीकी से जांच करने के निर्देश दिए थे. अब इसी मामले में मेडिकल काउंसलिंग कमेटी ने बड़ा फैसला लिया है.

नामांकन से पहले इन बिन्दुओं पर होगी जांच

  • छत्तीसगढ़ के सभी मेडिकल कॉलेज में नीट से चयनित छात्रों से कन्फर्मेशन फॉर्म की स्वयं सत्यापित प्रतिलिपि आवश्यक रूप से जमा कराई जाए. इस फॉर्म को आवश्यक रूप से पहले से ही सुरक्षित रखने का निर्देश नीट परीक्षार्थियों को दिया जाता है. जिन छात्रों ने प्रवेश ले लिया है, उनसे मेडिकल कॉलेजों के डीन से आग्रह किया गया है कि प्रथम चरण में जिन छात्रों के भर्ती की प्रक्रिया संपन्न की जा चुकी है, उनको भी मेल भेजकर डीन के अधिकृत ई-मेल आईडी में यह फॉर्म की स्वयं सत्यापित कॉपी मंगाएं.
  • चयनित सभी छात्रों से मूल निवास प्रमाण पत्र की सत्यता संबंधित शपथ पत्र भराए जाने की प्रक्रिया चिकित्सा महाविद्यालय स्तर पर शुरू कर दी गई है. सभी डीन से आग्रह किया गया है कि मूल निवासी प्रमाण पत्र संदिग्ध पाए जाने पर संबंधित जिला प्रशासन को पत्र लिखकर मूल निवासी प्रमाण पत्र को समय सीमा के भीतर सत्यापित कराए जाने की प्रक्रिया संपन्न कराई जाए. इस संबंध में सत्यापन प्रक्रिया समय सीमा में सुनिश्चित करने के लिए शासन से भी पत्र लिखने का आग्रह किया गया है.
  • मूल निवास प्रमाण पत्र सत्यापित न होने की दशा में पालकों और चयनित छात्रों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया स्वीकृत करने का आग्रह शासन से किया जाएगा.
  • शासन की ओर से नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को नीट परीक्षार्थी के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य की प्रथम पात्रता चयनित छात्रों की सूची का आग्रह किया जाएगा, ताकि भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जा सके.
  • छत्तीसगढ़ राज्य के मूल निवासियों के हित संरक्षण के लिए मूल निवास प्रमाण पत्र संबंधित कानूनी कमियों को दूर करने के लिए राज्य शासन से एक कोर कमेटी का गठन करने का आग्रह किया जाएगा, जिससे गैर छत्तीसगढ़ियों का प्रवेश चिकित्सा महाविद्यालयों में रोका जा सके.

सरगुजा: अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में ऑल इंडिया कोटे से प्रवेश की तिथि बढ़ा दी गई है. अब अभ्यर्थी 23 नवंबर तक ऑल इंडिया कोटे के तहत प्रवेश ले सकते हैं. इससे छात्रों को राहत मिली है. वहीं इन सबके बीच कॉलेज में प्रवेश के दौरान नीट की परीक्षा उत्तीर्ण होने वाले एक छात्र ने कॉलेज में प्रवेश लेने से इनकार कर दिया है, साथ ही अपनी सीट किसी अन्य छात्र को आवंटित करने की सहमति दी है.

छात्र ने अपनी सीट दूसरे को देने को कहा

कॉलेज में प्रवेश के दौरान समिति ने छात्र से सत्यापन के लिए दस्तावेज मांगे थे. इस दौरान वे कोई दस्तावेज पेश नहीं कर सका. चयन समिति के सदस्यों ने छात्र से पूछताछ की, तो उसने कॉलेज में एडमिशन लेने से मना कर दिया. इन सबके पीछे कई तरह की संभावनाएं जताई जा रही हैं. देशभर के मेडिकल कॉलेजों के साथ ही अंबिकापुर के शासकीय मेडिकल कॉलेज में भी एमबीबीएस की 81 सीटों पर प्रवेश की प्रक्रिया जारी है. 16 नवंबर से शुरू हुई इस प्रवेश प्रक्रिया में अब तक 79 छात्र-छात्राओं ने एडमिशन लिया है. कोरोना संक्रमण काल के कारण छात्र-छात्राएं अपने राज्य के कॉलेज को ही प्राथमिकता दे रहे हैं.

पढ़ें: सरगुजा: 16 नवंबर तक ऑल इंडिया कोटे से होगा मेडिकल कॉलेज में दाखिला, केंद्र ने बढ़ाई तारीख

छात्र ने पढ़ाई करने के बजाए कॉलेज प्रबंधन को यह लिखित में दे दिया कि वह आगे नहीं पढ़ना चाहता है और उसकी सीट किसी दूसरे को अलॉट कर दी जाए. कॉलेज प्रबंधन ने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच करने के बाद ही एडमिशन नहीं लेने के सही कारणों का पता चलने की बात कही है. इस संबंध में मेडिकल कालेज के डीन डॉ. आर मूर्ति ने बताया कि कॉलेज में प्रवेश के दौरान दस्तावेजों की बारीकी से जांच की जा रही है. जांच के दौरान सर्टिफिकेट नहीं दिखाने और एडमिशन से मना करने के केस की जांच की जाएगी.

पढ़ें:MBBS में एडमिशन के लिए छात्रों को देना होगा शपथ पत्र, फर्जीवाड़ा के आरोप पर काउंसलिंग कमेटी का फैसला

ये है मामला

दरअसल, छत्तीसगढ़ के शासकीय और निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस और चिकित्सा कोर्स से संबंधित कोर्स में दूसरे राज्यों के छात्रों पर फर्जी निवास प्रमाण पत्र के माध्यम से एडमिशन लेने का आरोप लगा था. इसकी शिकायत पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल नीट से चयनित छात्रों के परिजनों और रायपुर उत्तर से विधायक कुलदीप जुनेजा के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की थी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुलाकात के बाद प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया गया था कि छत्तीसगढ़ के मूल निवासी के हितों की रक्षा की जाएगी. मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अतिरिक्त मुख्य सचिव सुब्रत साहू के साथ संबंधित अधिकारियों को चयनित छात्रों के मूल दस्तावेज की बारीकी से जांच करने के निर्देश दिए थे. अब इसी मामले में मेडिकल काउंसलिंग कमेटी ने बड़ा फैसला लिया है.

नामांकन से पहले इन बिन्दुओं पर होगी जांच

  • छत्तीसगढ़ के सभी मेडिकल कॉलेज में नीट से चयनित छात्रों से कन्फर्मेशन फॉर्म की स्वयं सत्यापित प्रतिलिपि आवश्यक रूप से जमा कराई जाए. इस फॉर्म को आवश्यक रूप से पहले से ही सुरक्षित रखने का निर्देश नीट परीक्षार्थियों को दिया जाता है. जिन छात्रों ने प्रवेश ले लिया है, उनसे मेडिकल कॉलेजों के डीन से आग्रह किया गया है कि प्रथम चरण में जिन छात्रों के भर्ती की प्रक्रिया संपन्न की जा चुकी है, उनको भी मेल भेजकर डीन के अधिकृत ई-मेल आईडी में यह फॉर्म की स्वयं सत्यापित कॉपी मंगाएं.
  • चयनित सभी छात्रों से मूल निवास प्रमाण पत्र की सत्यता संबंधित शपथ पत्र भराए जाने की प्रक्रिया चिकित्सा महाविद्यालय स्तर पर शुरू कर दी गई है. सभी डीन से आग्रह किया गया है कि मूल निवासी प्रमाण पत्र संदिग्ध पाए जाने पर संबंधित जिला प्रशासन को पत्र लिखकर मूल निवासी प्रमाण पत्र को समय सीमा के भीतर सत्यापित कराए जाने की प्रक्रिया संपन्न कराई जाए. इस संबंध में सत्यापन प्रक्रिया समय सीमा में सुनिश्चित करने के लिए शासन से भी पत्र लिखने का आग्रह किया गया है.
  • मूल निवास प्रमाण पत्र सत्यापित न होने की दशा में पालकों और चयनित छात्रों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया स्वीकृत करने का आग्रह शासन से किया जाएगा.
  • शासन की ओर से नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को नीट परीक्षार्थी के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य की प्रथम पात्रता चयनित छात्रों की सूची का आग्रह किया जाएगा, ताकि भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जा सके.
  • छत्तीसगढ़ राज्य के मूल निवासियों के हित संरक्षण के लिए मूल निवास प्रमाण पत्र संबंधित कानूनी कमियों को दूर करने के लिए राज्य शासन से एक कोर कमेटी का गठन करने का आग्रह किया जाएगा, जिससे गैर छत्तीसगढ़ियों का प्रवेश चिकित्सा महाविद्यालयों में रोका जा सके.
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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