सरगुजा: कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच संक्रमित मरीजों को घर पर रहकर उपचार की सुविधा लेने की राहत शासन ने प्रदान कर दी है. होम आइसोलेशन की सुविधा शुरू होने के बाद ज्यादातर कोरोना संक्रमित घर पर ही रहकर ही उपचार कराने को बेहतर मान रहे हैं. लेकिन होम आइसोलेशन के भी कुछ नियम है और इनका पालन बेहद जरुरी है. कुछ छोटी-छोटी गलतियां हैं, जिन्हें नजर अंदाज करने के कारण ही होम आइसोलेशन के मरीजों की स्थिति बिगड़ रही है. लिहाजा उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आ रही है.
ETV भारत ने होम आइसोलेशन कंट्रोल रूम के प्रभारी डॉक्टर शैलेन्द्र गुप्ता से खास बातचीत की है. होम आइसोलेशन के दौरान रखी जाने वाली सावधानियों पर खास चर्चा हुई है. इस दौरान यह बात भी सामने आई है कि होम आइसोलेशन का नाजायज फायदा भी लोग उठा रहे हैं. कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन भी कर रहे हैं. जरुरी है कि होम आइसोलेशन के लिए जारी किए गए गाइड लाइन का पालन किया जाए. मरीजों का बेहतर ढंग से केयर की जाए.
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कोरोना संक्रमण के मामलों में जिले भर में तेजी से इजाफा हुआ है. अब तक 2500 से अधिक कोरोना संक्रमितों की पहचान की जा चुकी है. संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण अस्पताल में बेड कम पड़ रहे हैं. इसके साथ ही डॉक्टरों और शासन का मानना है कि अस्पताल में फिलहाल उन मरीजों को भर्ती किए जाने की आवश्यकता है जिनकी स्थिति गंभीर है. उन्हें आक्सीजन देने की आवश्यकता है. इसके अतिरिक्त बिना लक्षण वाले मरीजों को शासन होम आइसोलेशन की सुविधा दे रही है.
किन मरीजों को होम आइसोलेशन की इजाजत
होम आइसोलेशन की सुविधा काफी बेहतर है. संक्रमित मरीज अपने परिजनों के बीच रहकर बेहतर ढंग से रिकवर भी हो रहे हैं. लेकिन होम आइसोलेशन में रहने के कुछ नियम जिन्हें जानना और उनका गंभीरता से पालन करना जरुरी है. कोरोना संक्रमण को लेकर कोविड-19 होम आइसोलेशन कंट्रोल रूम के नोडल अधिकारी डॉक्टर शैलेन्द्र गुप्ता के अनुसार कोरोना संक्रमण की चपेट में आने के बाद सिर्फ उन मरीजों को ही होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी जाती है, जिनमे किसी प्रकार के लक्षण ना हो. यदि सामान्य लक्षण है भी तो उन्हें आक्सीजन सिचुरेशन की समस्या ना हो, मरीज को बीपी, शुगर, हार्ट, किडनी, एचआईवी, कैंसर जैसी बीमारियां ना हो और सबसे बड़ी बात की उनकी उम्र 60 साल या उससे अधिक ना हो. संक्रमित होने के बाद मरीज को होम आइसोलेशन लेने के लिए जरुरी है कि उनके पास घर में अलग कमरा, शौचालय और बाथरूम उपलब्ध हो. इसके साथ ही एक अटेंडेंट हो जो मरीज का बेहतर ढंग से ख्याल रख सके. साथ ही कोविड केयर सेंटर के सम्पर्क में रहना भी जरूरी है.
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1203 संक्रमितों को होम आइसोलेशन की सुविधा
जिले में अबतक कुल 1203 संक्रमितों को होम आइसोलेशन की सुविधा दी गई है. इनमें से 765 को दस दिन पूरा होने और किसी प्रकार के लक्षण नहीं आने पर डिस्चार्ज किया जा चुका है. 438 संक्रमित मरीज अभी भी होम आइसोलेशन में हैं. जबकि 30 मरीज ऐसे है जिन्हे होम आइसोलेशन के दौरान सांस लेने में हो रही तकलीफ और अन्य समस्याओं के कारण आनन-फानन में हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ा है. ऐसे में जरुरी है कि लोग होम आइसोलेशन के दौरान कुछ जरुरी नियमों का पालन करें.
पल्स ऑक्सीमीटर होना जरुरी
डॉक्टरों के मुताबिक होम आइसोलेशन के दौरान हर मरीज के पास पल्स ऑक्सीमीटर होना जरुरी है. साथ ही इसका इस्तेमाल भी आना चाहिए. कोरोना वायरस शरीर में कैमिकल रिएक्शन करता है. जिससे स्वांस लेने में तकलीफ होती है. कोई भी मरीज चाहे वो लक्षण रहित हो या फिर उनमें संक्रमण के लक्षण साफ नजर आते हो, उनमे कभी भी आक्सीजन की मात्रा कम हो सकती है. स्वांस लेने में तकलीफ होने के कारण स्थिति बिगड़ सकती है. इसलिए जरुरी है कि पल्स ऑक्सीमीटर से समय-समय पर आक्सीजन लेबल की जानकरी ली जाए. यदि शरीर में 95 % से कम ऑक्सीजन आता है. तो तत्काल मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ती है.
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लापरवाही से फैलता है संक्रमण
डॉक्टरों का कहना है कि संक्रमित मरीजों में पूर्व में कोई लक्षण नहीं होते है. ऐसे लोग शहर में घूमते रहते हैं. फिर टेस्ट रिपोर्ट को गलत मानकर अपना सीटी टेस्ट या ब्लड टेस्ट कराने निकल पड़ते हैं. इससे संक्रमण फैलने का खतरा और बढ़ता है. ऐसे में लोगों को समझना होगा कि उनमें कभी भी गंभीर लक्षण सामने आ सकते हैं. इसलिए इस बीमारी को गंभीरता से लेना जरूरी है.
नहीं है दोबारा टेस्ट कराने की ज़रूरत
बड़ी संख्या में यह बात सामने आ रही है कि लोग होम आइसोलेशन समाप्त होने के बाद ठीक हुए हैं या नहीं इसकी जांच कराने के लिए टेस्ट करा रहे हैं. डॉक्टरों के मुताबिक जिनमें दस दिनों के बाद लक्षण नहीं है, तो किसी भी प्रकार के टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है. ICMR भी कहता है कि यदि दस दिनों तक कोई लक्षण नहीं है तो इसका मतलब शरीर में वायरस खुद मर चुका है. उससे किसी को संक्रमण फैलने का कोई खतरा नहीं है. इसके साथ ही कई बार ठीक होने के बावजूद डेड वायरस शरीर में रहता है. टेस्ट में पकड़ में आ जाता हैं. इसलिए उस मरीज को फिर से संक्रमित बता दिया जाता है.
सैंपल देने से 17 दिनों तक आइसोलेशन
डॉक्टरों के मुताबिक होम आइसोलेशन की प्रक्रिया 17 दिनों की होती है. इनमे से 9 दिन मरीज को अन्य सदस्यों से बिलकुल अलग रहना होता है. 9 दिनों के भीतर उनमें कोई लक्षण नहीं आते हैं, तो यह समझा जा सकता है. उस व्यक्ति के शरीर से कोरोना वायरस खुद मर गया है. लेकिन इसके बाद मरीज को 8 दिनों तक और घर में रहने की जरूरत होती है. लेकिन इस बीच वह अपने घर के सदस्यों के साथ रह सकता है. समझना यह होगा की जिस दिन जांच के लिए सैंपल दिया जाना है, उसी दिन से आइसोलेशन में रहना है. रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर सैंपल देने वाले दिन से 17 दिन तक आइसोलेशन में रहना ही है.