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नवजात बच्चे को चढ़ा दिए दूसरे ग्रुप का ब्लड, अस्पताल प्रबंधन ने गठित की जांच समिति

अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल ( Ambikapur Medical College Hospital ) में नवजात बच्चे को चढ़ा दूसरे ग्रुप का ब्लड चढ़ा दिए. जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया. अस्पताल प्रबंधन ने जांच समिति का गठन किया है. जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी.

ruckus of family in surguja
सरगुजा में परिजन का हंगामा
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Published : Sep 22, 2022, 9:24 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल ( Ambikapur Medical College Hospital ) के स्टाफ ने सैम्पल जांच में ऐसी लापरवाही बरती कि दस दिन के नवजात शिशु को बी ग्रुप की जगह ओ पाजिटिव ग्रुप का ब्लड चढ़ा दिया गया. इधर घटना की जानकारी लगने पर परिजन सहित सामाजिक संस्था के लोगों ने जमकर हंगामा मचाया. हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने मामले की बारिकी से जांच करने के लिए समिति का गठन किया है. जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई करने की बात कही है.

यह भी पढ़ें: World Rose Day 2022: वर्ल्ड रोज डे पर जानिए छत्तीसगढ़ में कैंसर के इलाज की क्या है व्यवस्थाएं ?

बलरामपुर के बरियो से आये हैं मरीज: बरियो अंतर्गत ग्राम भेस्की निवासी अभिषेक तिर्की पिछले सप्ताह पत्नी को प्रसव पीड़ा होने पर मेडिकल कॉलेज अस्पलाल के मातृ-शिशु अस्पताल में भर्ती कराया था. 12 सितम्बर की सुबह 3 बजे महिला का प्रसव हुआ. शिशु के कमजोर होने पर उसे शिशु गहन चिकित्सा इकाई में रख उपचार किया जा रहा था. 19 सितम्बर को डॉक्टरों ने शिशु के कमजोर होने और खून की कमी होना बताया और ब्लड चढ़ाने की बात कही. परिजन जब शिशु का ब्लड सैंपल लेकर ब्लड बैंक में ग्रुप जांच कराई तो स्टाफ ने शिशु का ब्लड ग्रुप ओ बताया. जिस पर शिशु की मौसी ने आवश्यकता अनुसार ब्लड दिया. इधर जब परिजन ब्लड एसएनसीयू वार्ड के स्टाफ को दिये तो उसे शिशु को चढ़ा दिया गया.

दो जांच में अलग अलग रिपोर्ट: मंगलवार को चिकित्सकों ने जांच के दौरान शिशु के कमजोर होने पर दोबारा 50 एमएल ब्लड चढ़ाने की बात कही. दूसरी बार जब परिजन शिशु का ब्लड ग्रुप की जांच कराने ब्लड बैंक पहुंचे तो इस बार o की जगह शिशु का ब्लड गुप बी बताया गया. एक दिन के भीतर ही शिशु के ब्लड ग्रुप बदल जाने पर और ओ ग्रुप का ब्लड शिशु को लग जाने पर परिजन घबरा गए और निजी पैथोलेब में जांच कराई तो वहां भी शिशु का ब्लड ग्रुप बी पाया गया.

लापरवाही से हो सकती थी दुर्घटना: अस्पताल के ब्लड बैंक और पैथोलेब स्टाफ की लापरवाही से शिशु को दूसरे ग्रुप का ब्लड चढ़ा देने पर परिजन समेत सामाजिक संस्था के लोगों ने जमकर हंगामा मचाया. घटना की जानकारी लगने में अस्पताल प्रबंधन ने तत्काल जांच समिति का गठन किया. जांच रिपोर्ट के बाद दोषी कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की बात कही है. डॉक्टरों ने बताया कि शिशु को बी ग्रुप की जगह ओ ग्रुप के ब्लड लगाने से ज्यादा खतरा नहीं है. ओ ब्लड ग्रुप युनिवर्सल ब्लड ग्रुप है. शिशु को ओ बल्ड की जगह दूसरे ब्लड ग्रुप का ब्लड लगाया जाता तो शिशु के लिए लिए घातक साबित हो सकता था.

जांच कमेटी: अस्पताल अधीक्षक डॉ. लखन सिंह ने बताया कि " शिशु के ब्लड जांच सैंपल में कहां से गड़बड़ी हुई है इसकी जांच कराई जा रही है. मामले की जांच के लिए चिकित्सकों की एक जांच समिति बनाई गई है जो ब्लड बैंक और पैथोलेब की बारिकी से जांच करेगी. जांच रिपोर्ट आने पर दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

सरगुजा: अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल ( Ambikapur Medical College Hospital ) के स्टाफ ने सैम्पल जांच में ऐसी लापरवाही बरती कि दस दिन के नवजात शिशु को बी ग्रुप की जगह ओ पाजिटिव ग्रुप का ब्लड चढ़ा दिया गया. इधर घटना की जानकारी लगने पर परिजन सहित सामाजिक संस्था के लोगों ने जमकर हंगामा मचाया. हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने मामले की बारिकी से जांच करने के लिए समिति का गठन किया है. जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई करने की बात कही है.

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बलरामपुर के बरियो से आये हैं मरीज: बरियो अंतर्गत ग्राम भेस्की निवासी अभिषेक तिर्की पिछले सप्ताह पत्नी को प्रसव पीड़ा होने पर मेडिकल कॉलेज अस्पलाल के मातृ-शिशु अस्पताल में भर्ती कराया था. 12 सितम्बर की सुबह 3 बजे महिला का प्रसव हुआ. शिशु के कमजोर होने पर उसे शिशु गहन चिकित्सा इकाई में रख उपचार किया जा रहा था. 19 सितम्बर को डॉक्टरों ने शिशु के कमजोर होने और खून की कमी होना बताया और ब्लड चढ़ाने की बात कही. परिजन जब शिशु का ब्लड सैंपल लेकर ब्लड बैंक में ग्रुप जांच कराई तो स्टाफ ने शिशु का ब्लड ग्रुप ओ बताया. जिस पर शिशु की मौसी ने आवश्यकता अनुसार ब्लड दिया. इधर जब परिजन ब्लड एसएनसीयू वार्ड के स्टाफ को दिये तो उसे शिशु को चढ़ा दिया गया.

दो जांच में अलग अलग रिपोर्ट: मंगलवार को चिकित्सकों ने जांच के दौरान शिशु के कमजोर होने पर दोबारा 50 एमएल ब्लड चढ़ाने की बात कही. दूसरी बार जब परिजन शिशु का ब्लड ग्रुप की जांच कराने ब्लड बैंक पहुंचे तो इस बार o की जगह शिशु का ब्लड गुप बी बताया गया. एक दिन के भीतर ही शिशु के ब्लड ग्रुप बदल जाने पर और ओ ग्रुप का ब्लड शिशु को लग जाने पर परिजन घबरा गए और निजी पैथोलेब में जांच कराई तो वहां भी शिशु का ब्लड ग्रुप बी पाया गया.

लापरवाही से हो सकती थी दुर्घटना: अस्पताल के ब्लड बैंक और पैथोलेब स्टाफ की लापरवाही से शिशु को दूसरे ग्रुप का ब्लड चढ़ा देने पर परिजन समेत सामाजिक संस्था के लोगों ने जमकर हंगामा मचाया. घटना की जानकारी लगने में अस्पताल प्रबंधन ने तत्काल जांच समिति का गठन किया. जांच रिपोर्ट के बाद दोषी कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की बात कही है. डॉक्टरों ने बताया कि शिशु को बी ग्रुप की जगह ओ ग्रुप के ब्लड लगाने से ज्यादा खतरा नहीं है. ओ ब्लड ग्रुप युनिवर्सल ब्लड ग्रुप है. शिशु को ओ बल्ड की जगह दूसरे ब्लड ग्रुप का ब्लड लगाया जाता तो शिशु के लिए लिए घातक साबित हो सकता था.

जांच कमेटी: अस्पताल अधीक्षक डॉ. लखन सिंह ने बताया कि " शिशु के ब्लड जांच सैंपल में कहां से गड़बड़ी हुई है इसकी जांच कराई जा रही है. मामले की जांच के लिए चिकित्सकों की एक जांच समिति बनाई गई है जो ब्लड बैंक और पैथोलेब की बारिकी से जांच करेगी. जांच रिपोर्ट आने पर दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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