अंबिकापुर: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सरकार बनने के साथ ही भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच मतभेद भी उभरे. ढाई ढाई साल के कथित फाॅर्मूले के इसकी वजह बताई गई. इसका असर सरगुजा संभाग में संगठन पर भी पड़ा. भीतरी तौर पर पार्टी दो खेमों में बंट गई. समय समय पर पदाधिकारियों के बीच विचारों को लेकर टकराव भी देखने को मिले हैं. चुनाव से पहले सिंहदेव की नाराजगी को भांपते हुए पार्टी हाईकमान ने उन्हें डिप्टी सीएम का पद दे दिया. अब बारी पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की है, जिसकी जिम्मेदारी सीएम भूपेश बघेल और डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव के कंधों पर है. इसके लिए सीएम और डिप्टी सीएम ने अंबिकापुर को चुना और सौगातों की झड़ी लगाने के बहाने कार्यकर्ताओं साधने का मौका चुना. हालांकि मौसम खराब होने की वजह से सीएम भूपेश बघेल और डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव का दौरा रद्द कर दिया गया है.
वर्चुअली कार्यकर्ताओं से जुड़े और दी सौगात: खराब मौसम के कारण सीएम भूपेश बघेल और डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव का अंबिकापुर दौरा रद्द हो गया है. सीएम और डिप्टी सीएम ने बीच का रास्ता निकाला और वर्चुअली कार्यकर्ताओं से जुड़े. मेडिकल काॅलेज का शुभारंभ करने के साथ ही जिले को 390 करोड़ से ज्यादा के योजनाओं की सौगात दी.
कांग्रेस में चरम पर गुटबाजी: सीएम और डिप्टी सीएम के एक साथ दौरे से सरगुजा में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का एक गुट खुश नजर आ रहा था तो दूसरे गुट में असंतोष था. कांग्रेसी कार्यकर्ता भले ही कह रहे हों कि गुटबाजी खत्म हो गई है. अंदरखाने में गुटबाजी साफ नजर आ रही है. कांग्रेस जिला अध्यक्ष राकेश गुप्ता का कहना है कि शीर्ष नेतृत्व ने हमारे नेता की क्षमता को देखते हुए बड़ी जिम्मेदारी दी है. निश्चित ही इससे कार्यकर्ता उत्साहित हैं. इससे कांग्रेस को प्रदेश में बड़ा फायदा होगा.
अब कोई शिकायत नहीं है, गुटबाजी नहीं है. पहले भी कोई शिकायत या गुटबाजी नहीं थी. -राकेश गुप्ता, जिलाध्यक्ष कांग्रेस
क्या कांग्रेस ने ज्यादा देर कर दी: टीएस सिंहदेव को उप मुख्यमंत्री बनाये जाने के साथ ही पावर मिलने के कारण कांग्रेस खुश नजर आ रही है. खेमे में बंटी कांग्रेस एक जुट होने की बात कर रही है. राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि ज्यादा देर हो गई. कांग्रेस को ये काफी पहले कर लेना था.
सरकार बनने के ढाई साल बाद ही यह कदम उठा लिया जाता तो शायद चुनाव में बेहतर परिणाम मिलते. अब लग रहा है कि कांग्रेस को जूझना पड़ेगा. सिंहदेव खुद खुश हो सकते हैं, लेकिन सिंहदेव के खुश होने से कार्यकर्ता भी खुश होंगे, यह नहीं लगता है.- मनोज गुप्ता, वरिष्ठ पत्रकार
क्या 3 महीने में दूर हो पाएगी 4 साल की नाराजगी: कांग्रेस की सरकार बने साढ़े 4 साल बीत गए. अब अक्टूबर में आचार संहिता लग जाएगी यानी अब करीब 3 महीने ही बचे हैं. साढ़े 4 साल तक हालात बिगड़े रहे. खुद टीएस सिंहदेव ने कई मौकों पर कहा कि मेरी नहीं चल रही है. प्रदेश अध्यक्ष से कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं ने कहा कि हमारी कोई नहीं सुनता है. एक मंच पर आकर और कार्यक्रम कर कार्यकर्ताओं को संदेश देने की कोशिश तो है लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इससे कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर होगी?
कार्यकर्ताओं की नाराजगी होगी दूर!: साल 2018 के चुनाव में सरगुजा में कांग्रेस की मजबूत पकड़ रही. सभी 14 सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया. लेकिन जानकार मानते हैं कि अब कांग्रेस को जूझना पड़ेगा.
जो कार्यकर्ता साढ़े चार साल से नाराज हैं, उन्हें आप तीन चार महीने में कैसे मैनेज कर लेंगे. कार्यकर्ताओं से पब्लिक जुड़ी होती है. कार्यकर्ताओं की नाराजगी का चुनाव में हमेशा विपरीत असर पड़ता है. -मनोज गुप्ता, वरिष्ठ पत्रकार
सियासी जानकारों का मानना है कि कांग्रेस ने प्रयास तो अच्छा किया है. इसका फायदा भी मिलेगा लेकिन कितना सियासी लाभ होगा, फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता. चुनावी परिणाम नेताओं के साथ ही कार्यकर्ताओं की मेहनत और उनके एक दूसरे से संबंधों पर तय होंगे.