अंबिकापुर: देश दुनिया में मशहूर भाईश्री रमेशभाई ओझा इन दिनों अंबिकापुर में भागवत कथा कर रहे हैं. वह सरगुजा वनांचल क्षेत्र के निवासियों की जीवन शैली से प्रभावित हुए हैं. उन्होंने साल में एक बार वनांचल में कथा करने की बात कही है. उन्होंने एजुकेशन सिस्टम को और बेहतर बनाने पर जोर दिया ताकि बच्चे पढ़ाई करने के साथ ही बेहतर इंसान बनें.
छत्तीसगढ़ में विद्या मंदिर खोलने की इच्छा: रमेश भाई ओझा ने बताया, आदिवासी बच्चे बच्चियों को अच्छी शिक्षा के लिए गुजरात व अन्य राज्यों की तरह ही छत्तीसगढ़ में भी विद्या का मंदिर खोलने की इच्छा है ताकि आदिवासी बच्चियों को लाभ मिले.
बच्चों पर पढ़ाई का दबाव: कथावाचक रमेश भाई ओझा ने कहा कि बच्चों पर पढ़ाई का प्रेशर है. पैरेंट्स को इस मुद्दे पर गंभीर होना चाहिए. भगवान श्री कृष्ण 11 साल की उम्र तक स्कूल नहीं गए, लेकिन वह जगतगुरु बन गए. बच्चों पर पढ़ाई बोझ बन जाएगी तो वो पढ़ेंगे नहीं.
''बच्चों का बचपन छीन ना जाए. पढ़ाई फन की तरह हो, स्कूल कैद ना बनें. गणित, भूगोल, विज्ञान के साथ बच्चों को जीवन के मूल्यों को समझना भी जरूरी है.''-रमेश भाई ओझा, कथावाचक
एजुकेशन सिस्टम पर कही ये बड़ी बात: रमेश भाई ओझा का कहना है कि ''जो बुद्धिमान होता है, वो उतना ही ज्यादा नुकसान भी कर सकता है.'' लिहाजा एजुकेशन सिस्टम को बेहतर बनाने की जरूरत है. बच्चों को राजनीतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक क्षेत्र के आदर्श व्यक्तित्व के विषय में पढ़ाया जाना चाहिए ताकि वह मानव मूल्यों को समझें. शासन व्यवस्था में भी सर्व धर्म समभाव होना चाहिए. सभी धर्मों की कॉमन वैल्यूज को बच्चों को सिखाया जाना चाहिए. सत्य का कोई मजहब नहीं होता है.
अंबिकापुर में भाईश्री रमेशभाई ओझा: कथा वाचक रमेश भाई ओझा का कहना है कि मनुष्य एक बुद्धिमान प्राणी है, लिहाजा नियंत्रण भी जरूरी है. हिंसा, बेईमानी से दूर रहें और अच्छे काम करें.
''धर्म, समाज, सरकार ये तीनों मिलकर व्यक्ति को अच्छा इंसान बनाते हैं. धर्म कोई गेंद नहीं है कि सियासी पार्टियां अपने फायदे के लिये उसे खेलें. राजनीति में धर्म होना चाहिए, धर्म में राजनीति नहीं. सरकार का भी अपना धर्म है, जिसमें उसे जनता और राष्ट्र के प्रति समर्पित काम करना चाहिए.''-रमेश भाई ओझा, कथावाचक
वन नेशन वन इलेक्शन का सपोर्ट: रमेश भाई ओझा ने एक देश एक कानून के साथ ही वन नेशन वन इलेक्शन का भी सपोर्ट किया है. चुनाव प्रजातंत्र व्यवस्था में उत्सव की तरह लगना चाहिए.