सरगुजा: छत्तीसगढ़ सरकार ने क्लास 9 से क्लास 12 तक के लिए स्कूल शुरू करा दिया है. लेकिन स्कूलों को खोलने के आदेश के साथ ही यह भी आदेश उतना ही गंभीर था कि कोरोना के प्रोटोकॉल का पालन अनिवार्य रूप से किया जाना है. लेकिन स्कूल खुलते ही प्रदेश भर के स्कूलों में कोरोना के मामले सामने आने लगे. लिहाजा ETV भारत ने स्कूलों की पड़ताल की और जाकर देखा की क्या वाकई स्कूलों में कोरोना से बचाव के इंतजाम हैं, या फिर बच्चों सहित शिक्षकों की जान भी जोखिम में है.
पड़ताल करने ETV भारत जिले की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी स्कूल पहुंचा. ये स्कूल 1914 में तत्कालीन सरगुजा महाराज ने खुलवाई थी. तब इसे एडवर्ड स्कूल कहा जाता था. लेकिन अब यह स्कूल मल्टीपरपज स्कूल के नाम से जाना जाता है. इस स्कूल में छात्रों की संख्या भी काफी ज्यादा है. इस लिहाज से पड़ताल करने के लिए भी ये स्कूल उपयुक्त थी.
सोशल डिस्टेंसिंग का हो रहा पालन
स्कूल में चल रही क्लास में जब ETV भारत की टीम गई तो वहां 50 प्रतिशत ही छात्रों को बिठाया गया था. बाकी की 50 प्रतिशत बेंच खाली रखी गई है. एक बेंच के बाद दूसरी बेंच को खाली रखकर स्कूल प्रबंधन ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया है. क्लास के बाहर सैनिटाइजर की बोतल रखी गई है. छात्र-छात्राओं सहित सभी स्टाफ मास्क लगाकर पठन-पाठन कर रहे हैं.
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पहली क्लास में की जाती है चेकिंग
स्कूल के वाइस प्रिंसिपल केके राय ने बताया की सुबह पहली क्लास में ही यह चेक किया जाता है कि किसी को सर्दी खांसी तो नहीं है. ऐसे लोगों को तुरंत घर जाने और कोरोना की जांच कराने की सलाह दी जाती है.
प्रिंसिपल की होगी जिम्मेदारी
शिक्षा विभाग ने कोरोना गाइडलाइन के पालन को इतना सख्त कर दिया है कि अगर स्कूल में आए किसी संक्रमित स्टाफ या छात्र के कारण संक्रमण फैलता है, तो उसकी जिम्मेदारी प्रिंसिपल की होगी. सरगुजा जिले में कम कमरों वाली स्कूलों को 2 शिफ्ट में चलाया जा रहा है. मतलब छात्रों के समूह को दो हिस्से में बांटकर दो-दो दिन क्लास में बुलाया जा रहा है. जिले में 161 हाई और हायर सेकेंड्री स्कूल हैं. जिसमे 37 हजार 570 छात्र-छात्राएं पढ़ रहे हैं.