अंबिकापुर: साल 2023 खत्म होने की कगार पर है. ऐसे में ईटीवी भारत आपको हर जिले और क्षेत्र की उन घटनाओं से अवगत कराने जा रहा है, जो साल 2023 में सबसे ज्यादा चर्चित रही. इस कड़ी में आज हम आपको अंबिकापुर जिले में साल 2023 में घटी खास घटनाओं के बारे में बताने जा रहे हैं. साल 2023 में अंबिकापुर बच्चियों और महिलाओं के लिए बेहद खास रहा. हालंकि पुरुषों के लिए ये साल बेहद खराब रहा.
साल 2023 में अंबिकापुर की बेटियों ने लगातार सफलता के झंडे गाड़े. ज्यादातर आदिवासी, गैर आदिवासी बच्चियों ने राष्ट्रीय स्तर के खेल में अपना परचम लहराया. वहीं, दूसरी ओर बड़े राजनीतिक घटनाक्रम में 2023 विधानसभा चुनाव का केंद्र भी अंबिकापुर रहा. भाजपा ने चुनावी बिगुल सरगुजा से तो कांग्रेस ने भी एक बड़ी बैठक कर अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की. हालांकि इस दौरान कांग्रेस के लिए सबसे बुरी खबर चुनाव परिणाम के दिन आई. जब सरगुजा संभाग की 14 सीटें कांग्रेस के हाथों से निकल गई. इतना ही नहीं डिप्टी सीएम टी एस सिंहदेव, कद्दावर मंत्री अमरजीत भगत और वरिष्ठ नेता रामपुकार सिंह भी चुनाव हार गए.
आइये एक नजर डालते हैं साल 2023 में अंबिकापुर में घटी घटनाओं पर...
बीजेपी ने किया चुनावी शंखनाद: भाजपा ने साल के पहले महीने यानी कि जनवरी की 20 और 21 तारीख को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक सरगुजा में रखी. इसके समापन के साथ ही एक जनजातीय सम्मलेन आयोजित किया गया. प्रदेश और देश के तमाम दिग्गज भाजपा नेताओं का जमावड़ा सरगुजा में लगा रहा. इस बैठक से ही यह अनुमान लगने लगा था कि भाजपा सरगुजा को टारगेट कर रही है और हुआ भी वही. भाजपा सरगुजा में सफल रही और बीजेपी को आदिवासी मतदाताओं का साथ मिला. संभाग की 14 सीटें भाजपा की झोली में आई.
कांग्रेस का संभागीय समेलन: जहां बीजेपी सत्ता में आने के लिए सरगुजा पर फोकस कर रही थी. वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस ने अपने गढ़ में विश्वास खो दिया. संभागीय सम्मलेन के अंतिम चरण में सरगुजा का सम्मलेन जून के महीने में संपन्न हुआ. कुमारी शैलजा, भूपेश बघेल और टी एस सिंहदेव सहित तमाम नेता सम्मलेन में जुटे लेकिन तत्कालीन सीएम और डिप्टी सीएम की आपसी लड़ाई यहां भी खुलकर सामने आ गई. डिप्टी सीएम का दर्द हजारों कार्यकर्ताओ के सामने मंच पर ही छलक पड़ा. हालांकि सम्मलेन से बाहर निकलते ही शैलजा की मौजूदगी में दोनों ही नेता गलबहियां डाले खुद को एक बताते नजर आए. लेकिन गुटबाजी की चरम 5 वर्षो में संगठन और समर्थकों को तोड़ चुकी थी.
अप्रत्याशित चुनाव परिणाम: कांग्रेस में गुटबाजी का परिणाम यह रहा कि साल 2023 विधानसभा चुनाव के मतों की जब गिनती शुरू हुई, तो दोपहर तक संभाग से कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था. सिर्फ अंबिकापुर से टी एस सिंहदेव की सीट का फैसला आगे-पीछे होता रहा. रात करीब 10 बजे वो भी महज 94 मतों से चुनाव हार गए. कभी जोगी तो कभी टीएस के शागिर्द रहे दिग्गज मंत्री अमरजीत भगत, जो गुटबाजी के खेल में सीएम के खासमखास और सरगुजा के अघोषित मुख्यमंत्री के लब्बोलुबाब में 5 साल मंत्री रहे, वो दोपहर बाद ही चुनाव हार गए और मतगणना स्थल से रवाना हो गए. आखिरकार कांग्रेस को बड़ा नुकसान सरगुजा से हुआ. सरगुजा ने सत्ता की चाबी भाजपा के हाथ में थमा दी. रही सही कसर बस्तर और अन्य क्षेत्रों ने पूरी कर दी और प्रदेश में भाजपा की सरकार बन गई.
खेल में बेटियों का रहा जलवा: साल 2023 में नारी शक्ति का जलवा बरकार रहा. सबसे पहले महिला आईएसएस नगर निगम आयुक्त प्रतिष्ठा ममगई को स्वच्छता के कार्यो के लिए भारत सरकार ने अपना प्रतिनिधि बनाकर फ्रांस की राजधानी पेरिस भेजा. उन्होंने पेरिस में दुनिया भर के प्रतिनिधियों के सामने भारत में और अंबिकापुर में की जा रही प्रैक्टिस को साझा किया. इसके बाद सरगुजा की होनहार खिलाड़ी रिंकी सिंह ने नेशनल टारगेट बॉल में हरियाणा की टीम से खेलते हुए गोल्ड मेडल हासिल किया. आकांक्षा किस्पोट्टा ने अंतर्राष्ट्रीय स्कूल बास्केटबाल गेम में ब्रॉन्ज मेडल जीता. सब्जी बेचने वाली की 9 साल की बेटी सुरुचि टोप्पो का साईं में चयन हुआ. वो बास्केटबॉल की खिलाड़ी हैं. प्रज्ञा मिश्रा का चयन बास्केटबॉल नेशनल गेम के लिए 11वीं बार चयन हुआ.
12 साल की आदिवासी बच्ची प्रिया तिर्की का सब जूनियर नेशनल नेटबॉल के लिए चयन हुआ. 14 वर्ष की सीमा नगेशिया का चयन सब जूनियर नेशनल बास्केटबॉल के लिए हुआ. सीमा की मां मजदूरी करती है. अंबिकापुर की ही अंडा बेचने वाले की बेटी अंकिता ने 13 वर्ष की उम्र में नेशनल बास्केटबॉल गेम में गोल्ड मेडल जीता. इन्हीं की बड़ी बेटी खुशबू ने नेशनल नेटबॉल में ब्रॉन्ज मेडल जीता. इनके अलावा शिवानी सोनी, उर्वशी बघेल सहित अन्य सरगुजा की कई बच्चियों ने इस साल कमाल की सफलता पाई है.
राजनीति में भी दिखा महिलाओं का दबदबा: बात अगर सियासत की करें तो इस क्षेत्र में भी सरगुजा में महिलाओं ने झंडे गाड़े हैं. संभाग की 14 सीटों में से 6 पर महिला विधायकों का कब्जा है. रेणुका सिंह, गोमती साय, उद्देश्वरी पैकरा, लक्ष्मी राजवाडे, शकुंतला पोर्ते, रायमुनी भगत ने जीत दर्ज की. इनमें से रेणुका सिंह और गोमती साय और लक्ष्मी राजवाड़े ने कांग्रेस के दिग्गजों को पटखनी दी है. ये सिलसिला यहीं नहीं रुका. संभाग में सबसे बड़े और प्रदेश में तीसरे सबसे बड़े अंतर से जीत का रिकार्ड भी एक महिला ने ही बनाया. वो महिला लक्ष्मी राजवाड़े है. सरगुजा में साल 2023 में महिला सशक्तिकरण को तब और बल मिल गया, जब सरगुजा की बेटी लक्ष्मी राजवाड़े महज 31 साल की उम्र में साय कैबिनेट की मंत्री बन गई.
यानी कि कुल मिलाकर ये साल अंबिकापुर में महिलाओं के लिए खास रहा.