सरगुजा: बरसात का मौसम आ चुका है और बरसात के मौसम में अक्सर कई तरह अलग किस्म की सब्जियां बाजार में नजर आती है.उन्हीं में से एक है प्राकृतिक मशरूम, जिसे सरगुजा के लोग खुखड़ी कहते हैं. यह बेहद कम मात्रा में उगता है, इसी वजह से यह साल में सिर्फ कुछ सप्ताह के दौरान ही मिलती है और इसकी कीमत भी काफी ज्यादा होती है. सरगुजा की खुखड़ी सब्जी अभी 2000 रुपये प्रति किलो मिल रही है. इतनी महंगी होने के बावजूद सरगुजा संभाग के लोग इसे बड़े चाव के साथ खाते हैं.
क्या है खुखड़ी ? : खुखड़ी, प्राकृतिक मशरूम के ही प्रजाति का है. यह अधिकतर उत्तरी छत्तीसगढ़ और झारखंड के ग्रामीण इलाकों में साल वृक्ष के आसपास पैदा होती है. जिसे तोड़कर गांव के लोग सब्जी के रूप में इस्तेमाल करते हैं. इस सब्जी को स्थानीय बोली में खुखड़ी कहा जाता है. खुखड़ी खाने में जितनी स्वादिष्ट लगती है, उतनी ही सेहत के लिए भी लाभदायक होती है. इसे इम्यूनिटी बूस्टर भी कहा जाता है. क्योंकि इसमें भारी मात्रा में प्रोटीन और पोषक तत्व मौजूद होता है.
बाजार में मुश्किल से मिलती है खुखड़ी: खुखड़ी खाने में यह आपको मांसाहार का आनंद देती है. इसमें हाई प्रोटीन के होती है. फिलहाल सरगुजा संभाग में तेज बारिश की वजह से गांव से लोग खुखड़ी लेकर बाजार तक नहीं आ रहे हैं. अंबिकापुर के बाजार में सिर्फ एक दो लोग ही खुखड़ी बेच रहे हैं. बाजार में खुखड़ी इतनी कम मात्रा में आता है कि इसे खरीदने लोगों की होड़ लग जाती है. महज आधे से एक घंटे में ही बाजार में पूरी खुखड़ी बिक जाती है. अभी तो आलम ये है कि कैप वाली खुखड़ी का मिलना भी बड़ा मुश्किल हो गया है. गांव से लेकर बस में आते आते ही सारी खुखड़ी बिक जाती है.
बाजार की सबसे महंगी सब्जी है खुखड़ी: खुखड़ी की खासियतों की वजह से गांव और शहर के बाजारों में इसकी भारी डिमांड रहती है. ग्रामीण इसे बाजार में बेचकर भारी मुनाफा भी कमाते हैं. अंबिकापुर के बाजार में पुटू के अलावा यहां दो प्रकार की खुखड़ी मिल रही है. एक छाते वाली और दूसरी छोटे कैप वाली पतली खुखड़ी. छाते वाली खुखड़ी 600 रुपये किलो और कैप वाली पतली खुखड़ी 2000 रुपए किलो बिक रही है.
कलर वाली खुखड़ी होती है जहरीली: सरगुजा में 28 प्रकार की खुखड़ी (मशरूम) होती हैं. इनमें से ज्यादातर खुखड़ी हम नहीं खाते हैं. क्योंकि चटक रंग वाली खुखड़ी में एल्केलाइन होता है, जो जहरीला होता है. मतलब जिस मशरूम में कलर हो उसे नहीं खाया जाता है. मशरूम के 5 भाग होते हैं. कैप, स्टॉक, स्टैम्प, वोल्वा, रुट. इन्हीं 5 भागों से मिलकर खुखड़ी बनती है.
"खुखड़ी, जो खाने में उपयोग की जाती है. उसकी खास 2 पहचान होती है, पहली ऊपरी कैप और दूसरी पहचान पूरा तना नीचे पतली पाइप के आकार में होती है. यह अगस्त के महीने में मिलता है. यह साल और सागौन में मिश्रित जंगलों में, जहां फंगल एक्टिविटी होती है, वहां पाया जाता है." - डॉ प्रशांत शर्मा, बायोटेक साइंटिस्ट
खुखड़ी के स्वाद के दीवाने हैं लोग: खुखड़ी खाने के अपने फायदे और नुकसान हैं. लेकिन स्थानीय लोगों को सिर्फ इसके स्वाद से ही मतलब होता है. ये इतनी लजीज होती है कि लोग इसे 2000 रुपए किलो तक में खरीदते हैं. जबकी इसकी बनावट ऐसी होती है कि यह बनने के बाद गलकर 30 फीसदी ही बचता है. मतलब, अगर 2 या 3 लोगों को पर्याप्त मात्रा में खुखड़ी खानी हो, तो कम से कम 2 किलो खुखड़ी खपत होगी.