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Crisis On Paddy Crop In Surguja : धान की फसल पर छाया संकट, 60 फीसदी कम हुई बारिश

Crisis On Paddy Crop In Surguja सरगुजा में मौसम के कारण किसानों के माथे में चिंता की लकीरें आ गई है.जुलाई खत्म होने को है, लेकिन अभी तक उम्मीद के मुताबिक बारिश नहीं हुई है.जिससे धान उत्पादक किसान परेशान हैं.

crisis on paddy crop in surguja
धान की फसल पर छाया संकट
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Published : Jul 22, 2023, 9:09 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा : छत्तीसगढ़ में अमूमन ज्यादा बारिश दर्ज की जाती है.लेकिन इस बार मौसम का हाल बुरा है.बारिश के मौसम में सरगुजा के किसान परेशान हैं.क्योंकि जुलाई के माह में भी सरगुजा वासी भीषण गर्मी झेल रहे हैं. बीते समय में सरगुजा का मौसम तेजी से बदला है. पहाड़ और जंगल से घिरे इस क्षेत्र में तेज बारिश और ठंडक का मौसम हुआ करता था.लेकिन मॉनसून के सीजन में बारिश का सरगुजा में कोई ठिकाना नहीं है. जिसके कारण अब धान की फसल खराब होने की कगार पर है.कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि कम दिनों में तैयार होने वाली वैरायटी ही खेतों में लगाएं.ताकि किसानों का नुकसान ना हो.

भगवान भरोसे धान की फसल : संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर से लगे वे गांव जहां डैम और नहरें हैं वहां भी खेती नहीं शुरु हुई है.क्योंकि डैम का पानी सूख चुका है.जिससे नहरों में भी पानी नहीं है. अब किसानों को सिर्फ बारिश का ही सहारा है. लेकिन मॉनसून लेट होने के कारण बारिश नही हो रही है. परिणाम स्वरूप किसान धान की फसल लगा तो रहे हैं लेकिन उनको खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है.

"मौजूदा वर्षा कम हुई है. इससे वर्षा आधारित फसल खासकर के धान पर इसका प्रभाव पड़ेगा. जून माह में 187 मिमी वर्षा हुई है जबकी 197 मिमी वर्षा होनी चाहिये. लेकिन जुलाई माह में मात्र 85 मिमी ही वर्षा हुई है. जबकि सामान्यतः करीब 206 मिमी वर्षा हो जानी चाहिये थी. लगभग 60% वर्षा कम हुई है. सरगुजा में 10 से 15% धान खेत हैं. इसमे तो कम पानी में किसान भाई धान की बोआई कर लिये हैं. लेकिन बाकी किसान भाई जो रोपा लगाते हैं उनको समस्या हो गई है, क्योंकि उनको अधिक पानी की आवश्यकता है" - डॉ. संतोष सिंह, अधिष्ठाता इंदिरा गांधी कृषि विज्ञान केंद्र

दूसरी फसल लगाने की सलाह : कृषि सलाहकारों की माने तो एक तो नर्सरी तैयार करने में देर हो चुकी है. ऊपर से बारिश भी नही हो रही है. आने वाले दिनों में भी बारिश होने की उम्मीद नहीं दिख रही है. ऐसे में धान की फसल को खासा नुकसान होता दिख रहा है. इस नुकसान से बचने के लिये या तो कम दिन का धान लगायें या फिर क्रॉप ही बदल दें. क्योंकि मक्का, रागी, कोदो, कुटकी जैसे माइनर मिलेट्स की खेती बहुत ही सामान्य वर्षा में भी बेहतर उत्पादन देती है. इसलिए किसान भाई इन तरीकों से अपने नुकसान की भरपाई कर सकते हैं.

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धान की फसल होगी प्रभावित : कम वर्षा के करण फसल तो लग जाएगी. लेकिन पैदावार प्रभावित होगी. पुष्पन की स्थिति कमजोर होगी. तो जो बाली 20 से 27 सेंटीमीटर में आनी चाहिए वो 10 से 15 सेंटीमीटर में ही मिलेगा. दानों की संख्या 250 से 300 से घटकर 100 से 150 ही रहेगी. फिर इसमे बीमारियां भी लग सकती हैं. जिससे किसानों को नुकसान हो सकता है.

सरगुजा : छत्तीसगढ़ में अमूमन ज्यादा बारिश दर्ज की जाती है.लेकिन इस बार मौसम का हाल बुरा है.बारिश के मौसम में सरगुजा के किसान परेशान हैं.क्योंकि जुलाई के माह में भी सरगुजा वासी भीषण गर्मी झेल रहे हैं. बीते समय में सरगुजा का मौसम तेजी से बदला है. पहाड़ और जंगल से घिरे इस क्षेत्र में तेज बारिश और ठंडक का मौसम हुआ करता था.लेकिन मॉनसून के सीजन में बारिश का सरगुजा में कोई ठिकाना नहीं है. जिसके कारण अब धान की फसल खराब होने की कगार पर है.कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि कम दिनों में तैयार होने वाली वैरायटी ही खेतों में लगाएं.ताकि किसानों का नुकसान ना हो.

भगवान भरोसे धान की फसल : संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर से लगे वे गांव जहां डैम और नहरें हैं वहां भी खेती नहीं शुरु हुई है.क्योंकि डैम का पानी सूख चुका है.जिससे नहरों में भी पानी नहीं है. अब किसानों को सिर्फ बारिश का ही सहारा है. लेकिन मॉनसून लेट होने के कारण बारिश नही हो रही है. परिणाम स्वरूप किसान धान की फसल लगा तो रहे हैं लेकिन उनको खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है.

"मौजूदा वर्षा कम हुई है. इससे वर्षा आधारित फसल खासकर के धान पर इसका प्रभाव पड़ेगा. जून माह में 187 मिमी वर्षा हुई है जबकी 197 मिमी वर्षा होनी चाहिये. लेकिन जुलाई माह में मात्र 85 मिमी ही वर्षा हुई है. जबकि सामान्यतः करीब 206 मिमी वर्षा हो जानी चाहिये थी. लगभग 60% वर्षा कम हुई है. सरगुजा में 10 से 15% धान खेत हैं. इसमे तो कम पानी में किसान भाई धान की बोआई कर लिये हैं. लेकिन बाकी किसान भाई जो रोपा लगाते हैं उनको समस्या हो गई है, क्योंकि उनको अधिक पानी की आवश्यकता है" - डॉ. संतोष सिंह, अधिष्ठाता इंदिरा गांधी कृषि विज्ञान केंद्र

दूसरी फसल लगाने की सलाह : कृषि सलाहकारों की माने तो एक तो नर्सरी तैयार करने में देर हो चुकी है. ऊपर से बारिश भी नही हो रही है. आने वाले दिनों में भी बारिश होने की उम्मीद नहीं दिख रही है. ऐसे में धान की फसल को खासा नुकसान होता दिख रहा है. इस नुकसान से बचने के लिये या तो कम दिन का धान लगायें या फिर क्रॉप ही बदल दें. क्योंकि मक्का, रागी, कोदो, कुटकी जैसे माइनर मिलेट्स की खेती बहुत ही सामान्य वर्षा में भी बेहतर उत्पादन देती है. इसलिए किसान भाई इन तरीकों से अपने नुकसान की भरपाई कर सकते हैं.

Monsoon In Ambikapur: सूखे नहर और डैम, मानसून में भी देरी, अब धान की फसल को लेकर किसान परेशान
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बेमेतरा: 11 हजार से अधिक किसानों ने कराया धान का फसल बीमा


धान की फसल होगी प्रभावित : कम वर्षा के करण फसल तो लग जाएगी. लेकिन पैदावार प्रभावित होगी. पुष्पन की स्थिति कमजोर होगी. तो जो बाली 20 से 27 सेंटीमीटर में आनी चाहिए वो 10 से 15 सेंटीमीटर में ही मिलेगा. दानों की संख्या 250 से 300 से घटकर 100 से 150 ही रहेगी. फिर इसमे बीमारियां भी लग सकती हैं. जिससे किसानों को नुकसान हो सकता है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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