सरगुजा: कोई लकड़ी के सहारे तो कोई तो कोई बच्चों का हाथ थामें लंबी लाइन में दिखाई देते थे, घंटों लाइन में खड़े होने के बाद भी कभी-कभी तो कुछ हाथ नहीं लगता था, मायूस घर लौटते थे.
लंबी कतार में नजर नहीं आएंगे बुजुर्ग
लाचार और असहाय बुजुर्ग लंबी कतारों में नहीं दिखेंगे. उन्हें अर्से बाद आज प्रशासन के पहल के कारण कतारों से छुटकारा मिला है, इससे उनके चेहरे पर खुशियां दिखी हैं. उन्हें अब घंटों लाइन नहीं लगाना पड़ेगा, बैंक के चौखट पर जाकर गिड़गिड़ाना नहीं पड़ेगा, क्योंकि उनको पेंशन बैंक से नहीं उनके घर में मिलेगा, ये पहल है सरगुजा जिला प्रशासन की.
असहाय लोगों को घर में मिल रहा पेंशन
बता दें कि जिला प्रशासन ने सरकार बदलने के बाद से ही अपने कामकाज का तौर तरीका भी बदल दिया है, शासन की मंशा के अनुरूप योजनाओं के क्रियान्वयन में प्रशासन लगा हुआ है. इसी क्रम में प्रशासन द्वारा सरगुजा में एक अच्छी पहल की गई है. अब असहाए बुजुर्ग और दिव्यांगों के लिए उनकी पेंशन की राशि उनके घर पर पहुंचा दी जा रही है. उन्हें अब बैंक की लंबी लाइनों से छुटकारा मिल रहा है.
महिलाओं को मिल रहा बढ़ावा
जिला प्रशासन ने महिलाओं को बैंक के माध्यम से प्रशिक्षण दिलाया है, अब ये बैंक सखियां बुजुर्गों के घरों तक पेंशन पहुंचा रही हैं. इससे बुजुर्गों के चेहरे पर खुशी है, इस पहल से असहायों को एक सहायता मिली है.
बैंक सखियों की नियुक्ति
महकमे ने बैंक सखियों की नियुक्ति की, उन्हें शुरुआत करने के लिए 10 गांव दिए गए. अब इस योजना से 60 लाख रुपये तक की पेंशन राशि वितरण कर रही हैं. उन्होंने अब तक 5 हजार हितग्राहियों को राशि भी बांट दी है. इससे बैंक सखियों को प्रति हजार के लेन-देन पर 3 रुपए का कमीशन भी दिया जा रहा है. लिहाजा इस योजना से न सिर्फ पेंशन पाने वाले लाभान्वित हुए हैं बल्कि महिलाओं को भी रोजगार मिला है.
योजना के विस्तार की सोच
बहरहाल सरगुजा कलेक्टर सारांश मित्तर अब इस योजना के सफलता को देखते हुए इसे विस्तार की सोच रहे हैं, उनका प्रयास है कि जिले में अधिक से अधिक लोगों तक इस माध्यम से पेंशन पहुंचाई जा सके. जिससे बुजुर्गों को मदद मिले, उन्हें फिर से बैंक की दहलीज तक न जाना पड़े.