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कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में कई खिलाड़ियों और टीमों को लेकर हुआ विवाद

कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 का समापन हो चुका है. इसमें महिला क्रिकेट का फाइनल मैच भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया. इस मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने रोमांचक तरीके से नौ रनों से जीत दर्ज की. इस मुकाबले में ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर ताहलिया मैक्ग्रा कोरोना वायरस संक्रमित होने के बावजूद खेलीं. रिपोर्ट की मानें तो इसमें आयोजन समिति ने भी कंगारू टीम का साथ दिया. इससे पहले हॉकी मैच में भी घड़ी को लेकर विवाद हो गया था.

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Published : Aug 9, 2022, 10:59 PM IST

बर्मिंघम: जब 72 देशों के पांच हजार से अधिक एथलीट राष्ट्रमंडल गेम्स में विभिन्न खेलों के लिए प्रतियोगिताओं में इकट्ठा होते हैं, तो विवाद होना लाजमी होता है. इस प्रकार बर्मिंघम 2022 में कई विवाद हुए, उनमें से कुछ में भारतीय टीमें शामिल थीं, जो मेनस्ट्रीम और सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना रहा. इन विवादों पर एक नजर डालेंगे.

ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर का कोरोना पॉजिटिव होने के बावजूद खेलने की अनुमति देना-

एक खिलाड़ी को कोरोना संक्रमित होने के बावजूद एक मैच में खेलने की अनुमति दी गई है. जब से महामारी शुरू हुई है, तब से खेल पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा है. बर्मिंघम 2022 की आयोजन समिति, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (जो वास्तव में एक अंतरराष्ट्रीय महासंघ के रूप में टूर्नामेंट का संचालन कर रही है), ऑस्ट्रेलिया और भारत के क्रिकेट बोडरें ने बर्मिंघम में उन्हें इस खतरनाक हालत में खेलने की अनुमति दी. ऑस्ट्रेलिया की हरफनमौला खिलाड़ी ताहलिया मैक्ग्रा को कोरोना संक्रमित होने के बावजूद रविवार को एजबेस्टन मैदान में भारत के खिलाफ महिला टी-20 क्रिकेट फाइनल खेलने की अनुमति दी गई थी, जिससे भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ गया.

यह भी पढ़ें: CWG 2022: हरमनप्रीत बोलीं- ताहलिया मैकग्रा के कोविड-19 का बहाना बनाना सही नहीं

अधिकारियों का दावा है कि मैकग्रा में कोरोना के हल्के लक्षण थे और उनमें वायरस का प्रकोप कम था और उन्होंने ट्रांसमिशन के जोखिम को कम करने के लिए मैच के दौरान और बाद में प्रोटोकॉल का पालन किया. लेकिन तथ्य यह है कि खिलाड़ियों का स्वास्थ्य जोखिम में डाला गया. एक समय ताहलिया को अपनी साथियों की तरफ हाथ हिलाते हुए भी देखा गया था, क्योंकि एक विकेट गिरने के बाद जश्न मनाने के लिए उनकी ओर दौड़ने की कोशिश की थीं. पूरी घटना बर्मिंघम 2022 आयोजन समिति द्वारा लागू किए गए कोविड-19 नियमों को लागू करने के हास्यास्पद तरीके को सामने लाती है.

ताहलिया मैक्ग्रा को जहां फाइनल खेलने की अनुमति दी गई थी, वहीं भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी नवजोत कौर को कोई लक्षण नहीं होने के बावजूद घर वापस भेज दिया गया था. आगमन पर केवल खिलाड़ियों और सहयोगी स्टाफ का टेस्ट किया गया था. पत्रकार और अन्य अधिकारी का नहीं. स्टेडियम में दर्शकों के प्रवेश पर कोई प्रतिबंध नहीं थी और न ही उनके टीकाकरण के बारे में कोई जानकारी थी. इसने एक अलग विषय को जन्म दिया, जिसमें एक पत्रकार को एक एथलीट से बात करते समय मास्क पहनना पड़ता है, लेकिन आई-जोन में किसी एथलीट के साथ वीडियो रिकॉर्ड करते समय नहीं. टूर्नामेंट में एक दर्जन से अधिक कोरोना के मामले दर्ज होने के बाद भी आयोजकों ने अपने कोविड-19 प्रोटोकॉल को कड़ा नहीं किया.

ऑस्ट्रेलिया ने टाइमर गैफ के बाद फिर से शूट-आउट किया-

ऑस्ट्रेलियाई महिला हॉकी टीम को भारत के खिलाफ सेमीफाइनल में पेनल्टी शूट-आउट फिर से लेने के लिए कहा गया था, जबकि अधिकारियों ने दावा किया था कि टाइमर काम नहीं कर रहा था. भारत की गोलकीपर और कप्तान सविता दंग रह गईं, क्योंकि अधिकारियों ने उन्हें सूचित किया कि प्रयास फिर से किया जाएगा. क्योंकि पहला शॉट लेने के समय टाइमर चालू नहीं था. आस्ट्रेलियाई टीम ने दोबारा शूट आउट के प्रयास में गोल दागा और मैच 3-0 से जीत लिया, क्योंकि सभी तीन प्रयासों में भारतीय असफल रही थीं.

यह भी पढ़ें: CWG 2022: Medal Tally में चौथे स्थान पर भारत, 22 गोल्ड के साथ देश के नाम 61 मेडल

एफआईएच को यह दावा करते हुए माफी जारी करने के लिए मजबूर होना पड़ा कि अधिकारियों ने जल्दबाजी की और टाइमर शुरू होने से पहले ही शूट-आउट के लिए अनुमति दी.

बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन ने कोच की मान्यता को लेकर उठा तूफान

बर्मिंघम विलेज में सीमित संख्या में सहयोगी स्टाफ की अनुमति के साथ, लवलीना बोरगोहेन के कोच संध्या गुरुंग को एक अलग मान्यता दी गई. क्योंकि उन्हें विलेज के अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई. बॉक्सर ने मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को उठाया. आखिरकार, बॉक्सिंग टीम के मुख्य कोच भास्कर भट्ट द्वारा उनके कोच की मान्यता देनी पड़ी. टीम डॉक्टर को भी अपनी मान्यता से हाथ धोना पड़ा, ताकि गुरुंग को मान्यता मिल सके.

यह भी पढ़ें: गोल्डन गर्ल निकहत का अंदाज तो देखिए, पीएम मोदी संग फिर सेल्फी लेने की इच्छा जताईं

स्प्लिट गेम्स विलेज में खिलाड़ी नाखुश-

पिछले खेलों के विपरीत, बर्मिंघम 2022 आयोजकों के पास सभी खिलाड़ियों को समायोजित करने के लिए एक भी एथलीट विलेज नहीं था. इसलिए, एथलीटों को कुल पांच छोटे विलेजों में उनके खेलों के आधार पर रखा गया था.

हालांकि, कुछ मामलों में यह सुविधाजनक था. जहां एथलीटों को एक विलेज से आयोजन स्थलों तक लंबी दूरी की यात्रा नहीं करनी पड़ती थी. एथलीटों के साथ एक विशाल विलेज का माहौल पदक जीतने के बाद भी अच्छा नहीं था, जो कि कुछ खिलाड़ियों के साथ अच्छा नहीं हुआ.

बर्मिंघम: जब 72 देशों के पांच हजार से अधिक एथलीट राष्ट्रमंडल गेम्स में विभिन्न खेलों के लिए प्रतियोगिताओं में इकट्ठा होते हैं, तो विवाद होना लाजमी होता है. इस प्रकार बर्मिंघम 2022 में कई विवाद हुए, उनमें से कुछ में भारतीय टीमें शामिल थीं, जो मेनस्ट्रीम और सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना रहा. इन विवादों पर एक नजर डालेंगे.

ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर का कोरोना पॉजिटिव होने के बावजूद खेलने की अनुमति देना-

एक खिलाड़ी को कोरोना संक्रमित होने के बावजूद एक मैच में खेलने की अनुमति दी गई है. जब से महामारी शुरू हुई है, तब से खेल पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा है. बर्मिंघम 2022 की आयोजन समिति, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (जो वास्तव में एक अंतरराष्ट्रीय महासंघ के रूप में टूर्नामेंट का संचालन कर रही है), ऑस्ट्रेलिया और भारत के क्रिकेट बोडरें ने बर्मिंघम में उन्हें इस खतरनाक हालत में खेलने की अनुमति दी. ऑस्ट्रेलिया की हरफनमौला खिलाड़ी ताहलिया मैक्ग्रा को कोरोना संक्रमित होने के बावजूद रविवार को एजबेस्टन मैदान में भारत के खिलाफ महिला टी-20 क्रिकेट फाइनल खेलने की अनुमति दी गई थी, जिससे भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ गया.

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अधिकारियों का दावा है कि मैकग्रा में कोरोना के हल्के लक्षण थे और उनमें वायरस का प्रकोप कम था और उन्होंने ट्रांसमिशन के जोखिम को कम करने के लिए मैच के दौरान और बाद में प्रोटोकॉल का पालन किया. लेकिन तथ्य यह है कि खिलाड़ियों का स्वास्थ्य जोखिम में डाला गया. एक समय ताहलिया को अपनी साथियों की तरफ हाथ हिलाते हुए भी देखा गया था, क्योंकि एक विकेट गिरने के बाद जश्न मनाने के लिए उनकी ओर दौड़ने की कोशिश की थीं. पूरी घटना बर्मिंघम 2022 आयोजन समिति द्वारा लागू किए गए कोविड-19 नियमों को लागू करने के हास्यास्पद तरीके को सामने लाती है.

ताहलिया मैक्ग्रा को जहां फाइनल खेलने की अनुमति दी गई थी, वहीं भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी नवजोत कौर को कोई लक्षण नहीं होने के बावजूद घर वापस भेज दिया गया था. आगमन पर केवल खिलाड़ियों और सहयोगी स्टाफ का टेस्ट किया गया था. पत्रकार और अन्य अधिकारी का नहीं. स्टेडियम में दर्शकों के प्रवेश पर कोई प्रतिबंध नहीं थी और न ही उनके टीकाकरण के बारे में कोई जानकारी थी. इसने एक अलग विषय को जन्म दिया, जिसमें एक पत्रकार को एक एथलीट से बात करते समय मास्क पहनना पड़ता है, लेकिन आई-जोन में किसी एथलीट के साथ वीडियो रिकॉर्ड करते समय नहीं. टूर्नामेंट में एक दर्जन से अधिक कोरोना के मामले दर्ज होने के बाद भी आयोजकों ने अपने कोविड-19 प्रोटोकॉल को कड़ा नहीं किया.

ऑस्ट्रेलिया ने टाइमर गैफ के बाद फिर से शूट-आउट किया-

ऑस्ट्रेलियाई महिला हॉकी टीम को भारत के खिलाफ सेमीफाइनल में पेनल्टी शूट-आउट फिर से लेने के लिए कहा गया था, जबकि अधिकारियों ने दावा किया था कि टाइमर काम नहीं कर रहा था. भारत की गोलकीपर और कप्तान सविता दंग रह गईं, क्योंकि अधिकारियों ने उन्हें सूचित किया कि प्रयास फिर से किया जाएगा. क्योंकि पहला शॉट लेने के समय टाइमर चालू नहीं था. आस्ट्रेलियाई टीम ने दोबारा शूट आउट के प्रयास में गोल दागा और मैच 3-0 से जीत लिया, क्योंकि सभी तीन प्रयासों में भारतीय असफल रही थीं.

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एफआईएच को यह दावा करते हुए माफी जारी करने के लिए मजबूर होना पड़ा कि अधिकारियों ने जल्दबाजी की और टाइमर शुरू होने से पहले ही शूट-आउट के लिए अनुमति दी.

बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन ने कोच की मान्यता को लेकर उठा तूफान

बर्मिंघम विलेज में सीमित संख्या में सहयोगी स्टाफ की अनुमति के साथ, लवलीना बोरगोहेन के कोच संध्या गुरुंग को एक अलग मान्यता दी गई. क्योंकि उन्हें विलेज के अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई. बॉक्सर ने मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को उठाया. आखिरकार, बॉक्सिंग टीम के मुख्य कोच भास्कर भट्ट द्वारा उनके कोच की मान्यता देनी पड़ी. टीम डॉक्टर को भी अपनी मान्यता से हाथ धोना पड़ा, ताकि गुरुंग को मान्यता मिल सके.

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स्प्लिट गेम्स विलेज में खिलाड़ी नाखुश-

पिछले खेलों के विपरीत, बर्मिंघम 2022 आयोजकों के पास सभी खिलाड़ियों को समायोजित करने के लिए एक भी एथलीट विलेज नहीं था. इसलिए, एथलीटों को कुल पांच छोटे विलेजों में उनके खेलों के आधार पर रखा गया था.

हालांकि, कुछ मामलों में यह सुविधाजनक था. जहां एथलीटों को एक विलेज से आयोजन स्थलों तक लंबी दूरी की यात्रा नहीं करनी पड़ती थी. एथलीटों के साथ एक विशाल विलेज का माहौल पदक जीतने के बाद भी अच्छा नहीं था, जो कि कुछ खिलाड़ियों के साथ अच्छा नहीं हुआ.

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