रायपुर\हैदराबाद: हर साल 11 जुलाई को दुनियाभर में विश्व जनसंख्या दिवस 2022 मनाया जाता है. इस साल वर्ल्ड पॉपुलेशन डे 2022 की थीम कुछ खास है. जो इस तरह है. '8 बिलियन की दुनिया: सभी के लिए एक लचीले भविष्य की ओर-अवसरों का दोहन और सभी के लिए अधिकार और विकल्प सुनिश्चित करना'. थीम से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि दुनिया की जनसंख्या कितनी तेजी से बढ़ते हुए 8 बिलियन यानी 8 अरब हो गई है. लेकिन थीम के अनुसार सभी के लिए अधिकार और विकल्प सुनिश्चित करना बड़ी चुनौती है. (Theme of World Population Day 2022)
क्या आप जनते हैं...
- दुनिया में चीन और भारत के बाद सबसे ज्यादा आबादी अमेरिका की है. जिसकी कुल आबादी 33 करोड़ के करीब है, जो भारत की 25 फीसदी आबादी से भी कम है.
-इस वक्त दुनिया की आबादी 8 अरब है. दुनिया की आबादी का आधा हिस्सा सिर्फ चीन, भारत, पाकिस्तान, ब्राजील, अमेरिका और इंडोनेशिया में है.
-दुनिया की कुल आबादी में करीब 19 फीसदी हिस्सेदारी चीन और करीब 18 फीसदी हिस्सेदारी भारत की है. इस लिहाज से आने वाले करीब 5 साल में भारत जनसंख्या के मामले में चीन को पछाड़ देगा. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक साल 2030 तक भारत की आबादी 1.5 अरब होने की संभावना है
- भारत की आबादी इस वक्त करीब 1 अरब 37 करोड़ के आस-पास है. जबकि पूरे यूरोप महाद्वीप की आबादी करीब 75 करोड़ है.
-एक अध्ययन के मुताबिक 1000 AD में दुनिया की आबादी सिर्फ 40 करोड़ थी. साल 1750 में दुनिया की आबादी बढ़कर 80 करोड़ हो गई. यानि दुनिया की आबादी को दोगुना होने में 750 साल लग गए.
-दुनिया की बढ़ती आबादी का लाइव अपडेट देने वाली वेबसाइट worldometers.info के मुताबिक साल 1804 में पहली बार दुनिया की आबादी 1 अरब पहुंची थी. साल 1960 में ये 3 अरब पहुंची. जबकि अगले 40 साल में ये दोगुनी हो गई और साल 2000 में 6 अरब हो गई.
-संयुक्त राष्ट्र का अनुमान था कि साल 2023 तक दुनिया की आबादी 8 अरब होगी लेकिन उससे पहले ही ये आंकड़ा अचीव कर लिया गया है. 2056 तक 10 अरब को पार कर जाएगी.
-यूथ इन इंडिया, 2017 की रिपोर्ट बताती है कि भारत में साल 1971 से 2011 के बीच युवाओं की आबादी 16.8 करोड़ से बढ़कर करीब 42 करोड़ हो गई, जो कि कुल आबादी का करीब 35 फीसदी थी. भारत में साल 2030 तक युवाओं की आबादी करीब 33 फीसदी होगी जो चीन के युवाओं की आबादी (करीब 23%) से 10 फीसदी ज्यादा होगी.
-यूएन के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया की आबादी में हर साल करीब 8 करोड़ से ज्यादा लोग जुड़ते हैं. ध्यान देने वाली बात ये है कि फर्टिलिटी रेट लगातार गिर रही है.
-अगर फेसबुक एक देश होता तो ये दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश होता. दुनियाभर में इस वक्त 2.7 अरब फेसबुक यूजर्स हैं.
- कोरोना काल से पहले दिल्ली मेट्रो में रोजाना औसतन 55 से 57 लाख लोग सफर करते थे. जो कि न्यूजीलैंड की आबादी (करीब 50 लाख) से अधिक है.
-भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की कुल आबादी 22 करोड़ से अधिक है. ये आबादी नाइजीरिया, ब्राजील, बांग्लादेश, रूस और मैक्सिको से अधिक है. जो कि सर्वाधिक आबादी वाले देशों में क्रमश: छठे, सातवें, आठवें, नौवें और दसवें नंबर पर हैं.
भारत में आबादी घटेगी लेकिन रहेगा नंबर वन: एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की आबादी इस सदी के अंत होते-होते घटेगी और करीब एक अरब पहुंच जाएगी. लेकिन तब भी भारत दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश रहेगा. हालांकि सदी के अंत तक दुनिया की आबादी अनुमान से दो अरब कम रहेगी. हालांकि दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाले पांच देशों में भारत के बाद नाइजीरिया, चीन, अमेरिका और पाकिस्तान होंगे.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की जनसंख्या वृद्धि दर में साल 2047 के बाद कमी आएगी. 2047 में उच्चतम स्तर पर पहुंचने पर भारत की आबादी करीब 1.61 अरब होगी. उसके बाद आबादी घटने का दौर शुरू होगा जो इस सदी के अंत तक एक अरब तक पहुंच जाएगी.
विश्व जनसंख्या दिवस: आबादी के आंकड़ों से जुड़े रोचक तथ्य आपको हैरान कर देंगे
जनसंख्या कम होने की क्या है वजह ?: प्रजनन दर में गिरावट- भारत के अधिकांश राज्यों में प्रजनन दर में गिरावट आई है. ये गिरावट अनुमान से भी ज्यादा तेज है. दरअसल शादी की उम्र बढ़ने के साथ-साथ दो बच्चों के बीच अंतराल रखने और परिवार नियोजन के प्रति जागरुकता भी इसकी वजह है. शिक्षा का भी इसमें बहुत महत्व है, शिक्षित समाज छोटे परिवार की अहमियत को जानते हैं. बच्चों को शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य समेत हर तरह से बेहतर भविष्य देने के लिए वो कम बच्चे पैदा करते हैं.
बुजुर्गों की बढ़ेगी तादाद- मौजूदा वक्त में भले भारत युवाओं का देश है लेकिन करीब 2 दशक बाद देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा बुजुर्ग होने लगेगा. तब तक परिवार नियोजन, शिक्षा, जनसंख्या नियंत्रण कानून का और भी असर देश की आबादी पर देखने को मिलेगा. इसी तरह का संकट एक बार चीन भी झेल चुका है जहां जनसंख्या नियंत्रण कानूनों और जागरुकता अभियानों के चलते वहां बुजुर्गों की तादाद बढ़ी और आबादी में तेजी से गिरावट दर्ज की गई. जिसके बाद चीन ने इन कानूनों में थोड़ी ढील दी थी.
विश्व जनसंख्या दिवस का इतिहास
1968 में मानवाधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (International Conference) आयोजित किया गया था. पहली बार परिवार नियोजन (family planning) को मानव अधिकार (human right) के रूप में मान्यता दी गई थी.
वर्ल्ड पॉपुलेशन डे मनाने का फैसला
यूनाइटेड नेशन (united nation) ने 11 जुलाई 1989 को आम सभा में विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) मनाने का फैसला लिया था. दरअसल 11 जुलाई 1987 तक वर्ल्ड पॉपुलेशन का आंकड़ा पांच अरब के भी पार पहुंच चुका था. तब दुनिया भर के लोगों को बढ़ती आबादी के प्रति जागरूक करने के लिए इसे वैश्विक स्तर पर मनाने का फैसला लिया गया था.
आबादी के मुद्दों के बारे में जागरूकता
संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) द्वारा दिसंबर 1990 में अपनाए गए 45/216 प्रस्ताव (resolution 45/216) के बाद विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) को मनाए जाने का निर्णय लिया गया, जो पर्यावरण और विकास के लिए अपने संबंधों की तरह आबादी के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाता है.
90 से अधिक देश चिह्नित
इस दिन को पहली बार 11 जुलाई 1990 को 90 से अधिक देशों में चिह्नित किया गया था. तब से, कई UNFPA देश (UNFPA country ) के कार्यालयों और अन्य संगठनों (organizations and institutions commemorate) व संस्थाओं ने सरकारों तथा नागरिक समाज (governments and civil society) के साथ साझेदारी में विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) मनाया जाता रहा है.
5 सबसे बड़ी जनसंख्या वाले देश (फरवरी 2021 तक)
देश (Countries) | जनसंख्या का आंकड़ा (Population in Numbers) |
चीन (China) | 1397897720 |
भारत (India) | 1339330514 |
संयुक्त राज्य अमेरिका (United States) | 332475723 |
(इंडोनेशिया) Indonesia | 275122131 |
पाकिस्तान (Pakistan) | 238181034 |