रायपुर: लॉकडाउन के दौरान अगर कोई सबसे ज्यादा परेशान हुआ है तो वह मजदूर वर्ग है. सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर सभी मजदूर अपने घर पहुंचे, लेकिन इन मजदूरों की परेशानियां यहां भी खत्म नहीं हुई. लॉकडाउन के दौरान रायपुर के सबसे बड़े लेबर बाजार में ताला लग गया. यहां मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है. इससे मजदूर परेशान हैं, उन्हें घर चलाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है. ETV भारत ने ऐसे ही मजदूरों से बात कर उनकी परेशानी जानने की कोशिश की.
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जहां लॉकडाउन के दौरान अलग-अलग राज्यों में फंसे मजदूर रोजी-रोटी के लिए परेशान हो रहे थे, वहीं राज्य में लौटकर भी उनके सामने ये समस्या जस की तस बनी हुई है. सभी मजदूर घर तो लौट आए हैं, लेकिन अब उनके पास काम नहीं होने की वजह से घर चलाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अनलॉक-1 में बाजार तो खुल गए हैं, लेकिन लेबर के लिए अब पहले की तरह काम नहीं है. ऊपर से बढ़ती महंगाई मजदूरों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है. दिहाड़ी मजदूरी करने वाले मजदूर ने बताया कि पहले तो हफ्ते के 7 दिन काम हुआ करते थे. लॉकडाउन के बाद 2 से 3 दिन भी बड़ी मुश्किल से काम मिल पा रहा है.
घर चलाने में हो रही दिक्कत
दिहाड़ी में काम करने वाली महिलाओं ने बताया कि बाजार खुलने के बाद उन्हें काम मिलने में परेशानी हो रही है. वहीं महंगाई के चलते परिवार को दो वक्त की रोटी भी नहीं मिल पा रही है. श्रम विभाग की ओर से किसी प्रकार की सहायता प्रदान नहीं की गई है.
नहीं मिल रही कोई सहायता
मजदूरों के पास मजदूर कार्ड भी बने हुए हैं, बावजूद इसके उन्हें श्रम विभाग की ओर से किसी प्रकार की सहायता नहीं दी गई है. अब दिहाड़ी के पैसे भी पहले से कम हो गए हैं. एक मजदूर ने बताया कि राशन कार्ड है, लेकिन उसमें सिर्फ चावल मिलता है, चावल के साथ सब्जी भी खरीदना होता है, जिसके लिए उनके पास पैसे नहीं हैं.
खाली हाथ लौटते हैं घर
मजदूरों ने बताया कि काम नहीं मिलने की वजह से उन्हें खाली हाथ ही घर लौटना पड़ता है. बस सप्ताह में एक से दो दिन ही उनके पास पैसे आते हैं. उसके बाद हर दिन उन्हें बाजार से दिन भर काम का इंतजार करने के बाद खाली ही लौटना पड़ता है.