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छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र समाप्त: चार कानूनों में संशोधन, अनुपूरक बजट पास

अनुपूरक बजट के पास होने के साथ ही छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र समाप्त (Winter session of Chhattisgarh Assembly) हो गया है. इस सत्र में दो दिन बाकी रहते ही विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित (Assembly proceedings adjourned sine die) कर दी गई.

Winter session of Chhattisgarh Assembly ends
छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र समाप्त
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Published : Dec 15, 2021, 9:30 PM IST

Updated : Dec 15, 2021, 11:15 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र बुधवार को दो दिन पहले ही अनिश्चितकाल (Winter session of Chhattisgarh Assembly ends) के लिए स्थगित कर दिया गया. इस सत्र में धान खरीदी (irregularities in the purchase of paddy), पीएम आवास योजना (PM Awas Yojana) और चिटफंड कंपनी के मुद्दे (chit fund company issues) पर सदन में जमकर हंगामा हुआ. सत्र का तीसरा दिन भी हंगामेदार रहा. सदन में वित्तीय वर्ष 2021-22 के द्वितीय अनुपूरक के तहत 2108 करोड़ का अनुपूरक बजट (supplementary budget) पास किया गया है. इस दौरान सदन में मुख्य विपक्षी दल बीजेपी का कोई भी सदस्य मौजूद नहीं था. अब फरवरी और मार्च के महीने में छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र आयोजित होगा.

कृषि मंत्री रविंद्र चौबे
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक

प्रश्नकाल में गूंजा चिटफंड कंपनी का मुद्दा (Chit fund company issue raised in question hour)

छत्तीसगढ़ विधानसभा शीतकालीन सत्र 2021 के तीसरे दिन की कार्यवाही भी हंगामे के साथ शुरू हुई. जेसीसीजे विधायक रेणु जोगी (JCCJ MLA Renu Jogi) ने चिटफंड कंपनी का मुद्दा उठाया. उन्होंने सहारा इंडिया में निवेशकों द्वारा जमा की गई राशि का विवरण भी मांगा. रेणु जोगी ने गृह मंत्री से सवाल पूछा कि, ''साल 2018 से छत्तीसगढ़ में निवेशक के रूप में कितनी चिटफंड कंपनियां संचालित थी ? कंपनियों के नाम सहित जानकारी दें ? सहारा इंडिया की विभिन्न शाखाओं में निवेशकों द्वारा जमा कराई गई राशि के भुगतान के लिये 17-11-2021 तक क्या-क्या कार्रवाई हुई है ? प्रदेश के कितने निवेशकों द्वारा सहारा कंपनी में कितनी राशि का निवेश किया गया है?

रेणु जोगी के सवाल पर गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू (Home Minister Tamradhwaj Sahu) ने जबाव दिया कि छत्तीसगढ़ में चिटफंड अधिनियम, 1982 प्रभावशील है. इस अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत प्रदेश में कोई भी चिटफंड कंपनी अधिकृत रूप से पंजीकृत अथवा संचालित नहीं है.दूसरे सवाल के जवाब में गृह मंत्री ने कहा कि सहारा इंडिया पर राज्य शासन का नियंत्रण नहीं है. यही वजह है कि निवेशकों के द्वारा जमा राशि और भुगतान की जानकारी दिया जाना संभव नहीं है. जो मामले संज्ञान में आए हैं.आ रहे हैं, उन पर उचित कार्रवाई की जा रही है.सहारा इंडिया परिवार में निवेश का मामला सदन में गरमायाविपक्ष ने सहारा कंपनी की जमीन बेचकर प्रदेश के लोगों का पैसा वापस कराने की मांग को लेकर हंगामा किया. भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि घोषणा पत्र में चिटफंड का पैसा वापसी का वादा किया गया था. सदन में सत्ता पक्ष माफी मांगे.

धान उठाव और नीति का मुद्दा भी गरमाया (disturbances in the purchase of paddy)

छत्तीसगढ़ विधानसभा शीतकालीन सत्र 2021 (winter session of chhattisgarh assembly 2021) के तीसरे दिन धान उपार्जन केंद्रों से धान उठाव और नीति का मुद्दा गूंजा. पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह (Former CM Raman Singh) ने सत्ता पक्ष को घेरा.

रमन सिंह का सवाल: छत्तीसगढ़ में कुल कितने धान उपार्जन केंद्र हैं ?खरीफ सीजन वर्ष 2020-21 में खरीदे गए धान का माहवार उठाव का विवरण जैसे किन-किन महीनों में कितना कितना धान, राइस मिलरों को दिया गया और कितना कितना धान संग्रहण केंद्र में परिवहनकर्ताओं को भंडारण हेतु दिया गया, जिलेवार विवरण दें ?

मंत्री अमरजीत भगत (Food Minister Amarjit Bhagat) का जवाब: राज्य में खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में कुल 2311 धान उपार्जन केन्द्र संचालित थे. खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में उपार्जित किये गये धान में से कस्टम मिलरों को उपार्जन केन्द्रों से 59.12 लाख टन धान और संग्रहण केन्द्रों से 20.18 लाख में यानी कुल 79.30 लाख मीट्रिक टन धान दिया गया है. परिवहनकर्ताओं को संग्रहण केन्द्रों में धान भण्डारण के लिए 22.38 लाख मीट्रिक टन धान दिया गया है.

रमन सिंह का सवाल: कितने धान की बिक्री नीलामी के माध्यम से की गई. बिक्री किए गए धान का उठाव कितना हो गया और कितना बाकी है ? जिलेवार विवरण दें ?

अमरजीत भगत का जवाब: खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में नीलामी के माध्यम से 8.97 लाख में धान का विक्रय किया गया, जिसमें से 8.96 लाख मीट्रिक टन धान का उठाव किया जा चुका है. 564 मीट्रिक टन धान उठाव बाकी है, जिसके उठाव की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है.जवाब 3 - खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में कस्टम मिलरों द्वारा धान उपार्जन की शुरूआत से ही लगातार धान का उठाव किया गया है. संग्रहण केन्द्रों की भण्डारण क्षमता के मुताबिक ही धान का भण्डारण किया गया था.

रमन सिंह का सवाल: यदि किसी महीने में धान का उठाव नहीं किया गया तो उस महीने में क्या राइस मिलरों ने धान के उठाव के लिए रूचि नहीं दिखाई या संग्रहण केंद्रों में धान भंडारण की क्षमता से ज्यादा हो गया था ?

अमरजीत भगत का जवाब: खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में कस्टम मिलरों द्वारा धान उपार्जन की शुरूआत से ही लगातार धान का उठाव किया गया है. संग्रहण केन्द्रों की भण्डारण क्षमता के मुताबिक ही धान का भण्डारण किया गया था.

अमरजीत भगत के बयान पर हंगामा

धान उपार्जन मामले पर सदन में चर्चा के दौरान अमरजीत भगत के बयान को लेकर विपक्ष ने हंगामा किया. विपक्ष माफी मांगने पर अड़ा रहा. विपक्ष ने नारेबाजी करते हुए गर्भ गृह में प्रवेश भी किया. गर्भ गृह में प्रवेश के कारण विपक्ष के विधायक खुद ही निलंबित हो गए.

रेडी टू ईट पोषण आहार निर्माण के कार्यों को निजी हाथों में सौंपने पर विपक्ष का हंगामा

विधानसभा में बुधवार को रेडी टू ईट पोषण आहार (ready to eat nutrition) को तैयार करने के काम को निजी हाथों में सौंपने पर गरमा गरम बहस हुई. विपक्ष ने इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव के जरिए चर्चा की मांग की. भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा (BJP MLA Shivratan Sharma) ने कहा कि सरकार के इस फैसले से 30 हज़ार समूह की महिलाओं की रोजी-रोटी प्रभावित हुई है. बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर (BJP MLA Ajay Chandrakar) ने इस दौरान महिला स्व-सहायता समूह के कर्ज को माफ करने की मांग की. उन्होंने सवाल किया कि, क्या महिलाओं को बेरोजगार करना छत्तीसगढ़ का स्वाभिमान है?. संसदीय मंत्री रविंद्र चौबे (Parliamentary Minister Ravindra Choubey) ने जवाब दिया कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं. दोपहर 3 बजे का समय दिया गया. लेकिन बीजेपी के विधायक तुरंत चर्चा की मांग करने लगे. इसके बाद सदन में जमकर हंगामा हुआ. बीजेपी विधायक सदन में हंगामा करते रहे और गर्भगृह में पहुंच गए. जिसके बाद आसंदी ने बीजेपी के विधायकों को निलंबित कर दिया.

बीजेपी घड़ियाली आंसू बहाती है-सीएम बघेल

अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान सीएम भूपेश बघेल (Chhattisgarh CM Bhupesh Baghel) ने विपक्ष के सवालों का जवाब दिया. सीएम के निशाने पर बीजेपी थी. सीएम ने बीजेपी के सदन बहिष्कार और स्थगन प्रस्ताव को घड़ियाली आंसू करार दिया. उन्होंने रेडी टू ईट मामले में बीजेपी की पिछली सरकार पर ही सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली सरकार ने रेडी टू ईट की गुणवत्ता पर कोई ध्यान ही नहीं दिया. अगर ऐसा होता तो रमन सिंह का कमीशन कट जाने का आरोप सीएम बघेल ने लगाया. 2009 में रेडी टू ईट का काम 1 हजार 627 समूहों को दिया गया था. पांच साल बाद अनुबंध को बढ़ाने का काम किया गया. इस मसले में जब यूनिसेफ ने रेडी टू ईट की गुणवत्ता की जांच की तो इसमें क्वालिटी भी ठीक नहीं पाई गई. इस वजह से रेडी टू ईट योजना में पोषण आहार के कार्य में बदलाव करना पड़ा.

सीएम बघेल ने अनुदान मांग पर चर्चा के दौरान बीजेपी को माफीजीवी कहा . उन्होंने कहा कि सावरकर ने भी माफी मांगी थी. सीएम बघेल ने रेडी टू ईट मामले पर जवाब देते हुए सदन में यह बात कही है. उत्तर प्रदेश ,मध्यप्रदेश, गुजरात में भी इसी प्रकार की व्यवस्था है. वहां भाजपा इसका विरोध नहीं कर रही है. यह बीजेपी के घड़ियाली आंसू हैं.

हुक्का बार पर प्रतिबंध (hookah bar ban) का विधेयक सदन में हुआ पास

बुधवार को विधानसभा में सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद से जुड़े संशोधन विधेयक को पारित कर दिया गया है. इसके तहत सरकार ने राज्य में हुक्का बार पर रोक लगाने का प्रावधान किया है. राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा. जिससे प्रदेश में हुक्का बार के संचालन पर रोक लग जाएगी.

कई और विधेयकों को मिली मंजूरी

माल एवं सेवाकर संशोधन विधेयक को किया गया पास. इंदिरा गांधी कला एवं संगीत विश्वविद्यालय को मंजूरी मिली है. इसमें कुलपति की अधिकतम आयु को 70 साल करने का प्रावधान किया गया है. राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग संशोधन विधेयक भी सदन में पास हुआ है. इस विधेयक के पास होने से आयोग में उपाध्यक्ष का पद सृजित किया जा सकेगा.

कैसा रहा सत्ता पक्ष और विपक्ष के लिए यह सत्र ?

विधानसभा के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही और इस दौरान उठे प्रश्नों को लेकर जानकारों का मानना है कि विपक्ष उन मुद्दों को नहीं उठा पाया. जो उसके लिए अहम माने जा रहे थे. 3 दिनों तक चले विधानसभा की कार्यवाही के दौरान बीजेपी न तो कवर्धा कांड और न ही धर्मांतरण का मुद्दा उठा पाया. जानकारों का मानना है कि इन मुद्दों को उठाते तो सत्ता पक्ष के लिए जवाब देना शायद इतना आसान नहीं होता और इसे आने वाले दिनों में भारतीय जनता पार्टी बड़े मुद्दे के तौर पर भी जनता के बीच ले जा सकती थी. इस विषय पर हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी सदन के बाहर मीडिया से चर्चा के दौरान बीजेपी पर तंज कसा है. उन्होंने कहा है कि हम इन सब मुद्दों को लेकर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब देने को पूरी तरह तैयार थे. हमने सभी वे उचित कार्यवाही कर ली थी. जिन पर विपक्ष सवाल खड़ा कर सकता था. इनके पास सवाल नहीं थे. इसी वजह से कवर्धा मामले और धर्मांतरण जैसे मुद्दों पर इन्होंने कोई प्रश्न नहीं खड़े किए. जानकारों का यह मानना है कि सरकार के लिहाज से इस सत्र में वे सारे सरकारी कामकाज निपट गए जो जरूरी थे. अनुपूरक बजट पास हो गया. संशोधन विधयकों को भी पास कर लिया गया.

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र बुधवार को दो दिन पहले ही अनिश्चितकाल (Winter session of Chhattisgarh Assembly ends) के लिए स्थगित कर दिया गया. इस सत्र में धान खरीदी (irregularities in the purchase of paddy), पीएम आवास योजना (PM Awas Yojana) और चिटफंड कंपनी के मुद्दे (chit fund company issues) पर सदन में जमकर हंगामा हुआ. सत्र का तीसरा दिन भी हंगामेदार रहा. सदन में वित्तीय वर्ष 2021-22 के द्वितीय अनुपूरक के तहत 2108 करोड़ का अनुपूरक बजट (supplementary budget) पास किया गया है. इस दौरान सदन में मुख्य विपक्षी दल बीजेपी का कोई भी सदस्य मौजूद नहीं था. अब फरवरी और मार्च के महीने में छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र आयोजित होगा.

कृषि मंत्री रविंद्र चौबे
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक

प्रश्नकाल में गूंजा चिटफंड कंपनी का मुद्दा (Chit fund company issue raised in question hour)

छत्तीसगढ़ विधानसभा शीतकालीन सत्र 2021 के तीसरे दिन की कार्यवाही भी हंगामे के साथ शुरू हुई. जेसीसीजे विधायक रेणु जोगी (JCCJ MLA Renu Jogi) ने चिटफंड कंपनी का मुद्दा उठाया. उन्होंने सहारा इंडिया में निवेशकों द्वारा जमा की गई राशि का विवरण भी मांगा. रेणु जोगी ने गृह मंत्री से सवाल पूछा कि, ''साल 2018 से छत्तीसगढ़ में निवेशक के रूप में कितनी चिटफंड कंपनियां संचालित थी ? कंपनियों के नाम सहित जानकारी दें ? सहारा इंडिया की विभिन्न शाखाओं में निवेशकों द्वारा जमा कराई गई राशि के भुगतान के लिये 17-11-2021 तक क्या-क्या कार्रवाई हुई है ? प्रदेश के कितने निवेशकों द्वारा सहारा कंपनी में कितनी राशि का निवेश किया गया है?

रेणु जोगी के सवाल पर गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू (Home Minister Tamradhwaj Sahu) ने जबाव दिया कि छत्तीसगढ़ में चिटफंड अधिनियम, 1982 प्रभावशील है. इस अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत प्रदेश में कोई भी चिटफंड कंपनी अधिकृत रूप से पंजीकृत अथवा संचालित नहीं है.दूसरे सवाल के जवाब में गृह मंत्री ने कहा कि सहारा इंडिया पर राज्य शासन का नियंत्रण नहीं है. यही वजह है कि निवेशकों के द्वारा जमा राशि और भुगतान की जानकारी दिया जाना संभव नहीं है. जो मामले संज्ञान में आए हैं.आ रहे हैं, उन पर उचित कार्रवाई की जा रही है.सहारा इंडिया परिवार में निवेश का मामला सदन में गरमायाविपक्ष ने सहारा कंपनी की जमीन बेचकर प्रदेश के लोगों का पैसा वापस कराने की मांग को लेकर हंगामा किया. भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि घोषणा पत्र में चिटफंड का पैसा वापसी का वादा किया गया था. सदन में सत्ता पक्ष माफी मांगे.

धान उठाव और नीति का मुद्दा भी गरमाया (disturbances in the purchase of paddy)

छत्तीसगढ़ विधानसभा शीतकालीन सत्र 2021 (winter session of chhattisgarh assembly 2021) के तीसरे दिन धान उपार्जन केंद्रों से धान उठाव और नीति का मुद्दा गूंजा. पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह (Former CM Raman Singh) ने सत्ता पक्ष को घेरा.

रमन सिंह का सवाल: छत्तीसगढ़ में कुल कितने धान उपार्जन केंद्र हैं ?खरीफ सीजन वर्ष 2020-21 में खरीदे गए धान का माहवार उठाव का विवरण जैसे किन-किन महीनों में कितना कितना धान, राइस मिलरों को दिया गया और कितना कितना धान संग्रहण केंद्र में परिवहनकर्ताओं को भंडारण हेतु दिया गया, जिलेवार विवरण दें ?

मंत्री अमरजीत भगत (Food Minister Amarjit Bhagat) का जवाब: राज्य में खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में कुल 2311 धान उपार्जन केन्द्र संचालित थे. खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में उपार्जित किये गये धान में से कस्टम मिलरों को उपार्जन केन्द्रों से 59.12 लाख टन धान और संग्रहण केन्द्रों से 20.18 लाख में यानी कुल 79.30 लाख मीट्रिक टन धान दिया गया है. परिवहनकर्ताओं को संग्रहण केन्द्रों में धान भण्डारण के लिए 22.38 लाख मीट्रिक टन धान दिया गया है.

रमन सिंह का सवाल: कितने धान की बिक्री नीलामी के माध्यम से की गई. बिक्री किए गए धान का उठाव कितना हो गया और कितना बाकी है ? जिलेवार विवरण दें ?

अमरजीत भगत का जवाब: खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में नीलामी के माध्यम से 8.97 लाख में धान का विक्रय किया गया, जिसमें से 8.96 लाख मीट्रिक टन धान का उठाव किया जा चुका है. 564 मीट्रिक टन धान उठाव बाकी है, जिसके उठाव की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है.जवाब 3 - खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में कस्टम मिलरों द्वारा धान उपार्जन की शुरूआत से ही लगातार धान का उठाव किया गया है. संग्रहण केन्द्रों की भण्डारण क्षमता के मुताबिक ही धान का भण्डारण किया गया था.

रमन सिंह का सवाल: यदि किसी महीने में धान का उठाव नहीं किया गया तो उस महीने में क्या राइस मिलरों ने धान के उठाव के लिए रूचि नहीं दिखाई या संग्रहण केंद्रों में धान भंडारण की क्षमता से ज्यादा हो गया था ?

अमरजीत भगत का जवाब: खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में कस्टम मिलरों द्वारा धान उपार्जन की शुरूआत से ही लगातार धान का उठाव किया गया है. संग्रहण केन्द्रों की भण्डारण क्षमता के मुताबिक ही धान का भण्डारण किया गया था.

अमरजीत भगत के बयान पर हंगामा

धान उपार्जन मामले पर सदन में चर्चा के दौरान अमरजीत भगत के बयान को लेकर विपक्ष ने हंगामा किया. विपक्ष माफी मांगने पर अड़ा रहा. विपक्ष ने नारेबाजी करते हुए गर्भ गृह में प्रवेश भी किया. गर्भ गृह में प्रवेश के कारण विपक्ष के विधायक खुद ही निलंबित हो गए.

रेडी टू ईट पोषण आहार निर्माण के कार्यों को निजी हाथों में सौंपने पर विपक्ष का हंगामा

विधानसभा में बुधवार को रेडी टू ईट पोषण आहार (ready to eat nutrition) को तैयार करने के काम को निजी हाथों में सौंपने पर गरमा गरम बहस हुई. विपक्ष ने इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव के जरिए चर्चा की मांग की. भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा (BJP MLA Shivratan Sharma) ने कहा कि सरकार के इस फैसले से 30 हज़ार समूह की महिलाओं की रोजी-रोटी प्रभावित हुई है. बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर (BJP MLA Ajay Chandrakar) ने इस दौरान महिला स्व-सहायता समूह के कर्ज को माफ करने की मांग की. उन्होंने सवाल किया कि, क्या महिलाओं को बेरोजगार करना छत्तीसगढ़ का स्वाभिमान है?. संसदीय मंत्री रविंद्र चौबे (Parliamentary Minister Ravindra Choubey) ने जवाब दिया कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं. दोपहर 3 बजे का समय दिया गया. लेकिन बीजेपी के विधायक तुरंत चर्चा की मांग करने लगे. इसके बाद सदन में जमकर हंगामा हुआ. बीजेपी विधायक सदन में हंगामा करते रहे और गर्भगृह में पहुंच गए. जिसके बाद आसंदी ने बीजेपी के विधायकों को निलंबित कर दिया.

बीजेपी घड़ियाली आंसू बहाती है-सीएम बघेल

अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान सीएम भूपेश बघेल (Chhattisgarh CM Bhupesh Baghel) ने विपक्ष के सवालों का जवाब दिया. सीएम के निशाने पर बीजेपी थी. सीएम ने बीजेपी के सदन बहिष्कार और स्थगन प्रस्ताव को घड़ियाली आंसू करार दिया. उन्होंने रेडी टू ईट मामले में बीजेपी की पिछली सरकार पर ही सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली सरकार ने रेडी टू ईट की गुणवत्ता पर कोई ध्यान ही नहीं दिया. अगर ऐसा होता तो रमन सिंह का कमीशन कट जाने का आरोप सीएम बघेल ने लगाया. 2009 में रेडी टू ईट का काम 1 हजार 627 समूहों को दिया गया था. पांच साल बाद अनुबंध को बढ़ाने का काम किया गया. इस मसले में जब यूनिसेफ ने रेडी टू ईट की गुणवत्ता की जांच की तो इसमें क्वालिटी भी ठीक नहीं पाई गई. इस वजह से रेडी टू ईट योजना में पोषण आहार के कार्य में बदलाव करना पड़ा.

सीएम बघेल ने अनुदान मांग पर चर्चा के दौरान बीजेपी को माफीजीवी कहा . उन्होंने कहा कि सावरकर ने भी माफी मांगी थी. सीएम बघेल ने रेडी टू ईट मामले पर जवाब देते हुए सदन में यह बात कही है. उत्तर प्रदेश ,मध्यप्रदेश, गुजरात में भी इसी प्रकार की व्यवस्था है. वहां भाजपा इसका विरोध नहीं कर रही है. यह बीजेपी के घड़ियाली आंसू हैं.

हुक्का बार पर प्रतिबंध (hookah bar ban) का विधेयक सदन में हुआ पास

बुधवार को विधानसभा में सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद से जुड़े संशोधन विधेयक को पारित कर दिया गया है. इसके तहत सरकार ने राज्य में हुक्का बार पर रोक लगाने का प्रावधान किया है. राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा. जिससे प्रदेश में हुक्का बार के संचालन पर रोक लग जाएगी.

कई और विधेयकों को मिली मंजूरी

माल एवं सेवाकर संशोधन विधेयक को किया गया पास. इंदिरा गांधी कला एवं संगीत विश्वविद्यालय को मंजूरी मिली है. इसमें कुलपति की अधिकतम आयु को 70 साल करने का प्रावधान किया गया है. राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग संशोधन विधेयक भी सदन में पास हुआ है. इस विधेयक के पास होने से आयोग में उपाध्यक्ष का पद सृजित किया जा सकेगा.

कैसा रहा सत्ता पक्ष और विपक्ष के लिए यह सत्र ?

विधानसभा के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही और इस दौरान उठे प्रश्नों को लेकर जानकारों का मानना है कि विपक्ष उन मुद्दों को नहीं उठा पाया. जो उसके लिए अहम माने जा रहे थे. 3 दिनों तक चले विधानसभा की कार्यवाही के दौरान बीजेपी न तो कवर्धा कांड और न ही धर्मांतरण का मुद्दा उठा पाया. जानकारों का मानना है कि इन मुद्दों को उठाते तो सत्ता पक्ष के लिए जवाब देना शायद इतना आसान नहीं होता और इसे आने वाले दिनों में भारतीय जनता पार्टी बड़े मुद्दे के तौर पर भी जनता के बीच ले जा सकती थी. इस विषय पर हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी सदन के बाहर मीडिया से चर्चा के दौरान बीजेपी पर तंज कसा है. उन्होंने कहा है कि हम इन सब मुद्दों को लेकर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब देने को पूरी तरह तैयार थे. हमने सभी वे उचित कार्यवाही कर ली थी. जिन पर विपक्ष सवाल खड़ा कर सकता था. इनके पास सवाल नहीं थे. इसी वजह से कवर्धा मामले और धर्मांतरण जैसे मुद्दों पर इन्होंने कोई प्रश्न नहीं खड़े किए. जानकारों का यह मानना है कि सरकार के लिहाज से इस सत्र में वे सारे सरकारी कामकाज निपट गए जो जरूरी थे. अनुपूरक बजट पास हो गया. संशोधन विधयकों को भी पास कर लिया गया.

Last Updated : Dec 15, 2021, 11:15 PM IST
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