रायपुर: गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के गौरेला वन परिक्षेत्र के अमरकंटक के पास जलेश्वर, करंगरा रोड, धनोली समेत कुछ अन्य जगह पर वन विभाग ने फेंसिंग कर दी है. ये क्षेत्र मध्य प्रदेश की सीमा से लगा हुआ है. इस फेंसिंग की वजह से एक राज्य से दूसरे राज्य बाघों का आना-जाना बंद हो गया है. वन विभाग की तरफ से लगाई गई ये फेंसिंग इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है. इसकी शिकायत भी केंद्रीय वन मंत्रालय से की गई है.
वन्य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी (Wildlife lover Nitin Singhvi) का कहना है कि 'छत्तीसगढ़ में मरवाही फॉरेस्ट डिवीजन (Marwahi Forest Division in Chhattisgarh) है. जो मध्य प्रदेश से लगा हुआ है. इसमें गौरेला परिक्षेत्र में वन विभाग ने 1-1 किलोमीटर की चार जगह फेंसिंग कर दी है. यह जगह अचानकमार टाइगर रिजर्व से जुड़ा हुआ है. जहां वन विभाग ने खुद एक टाइगर कॉरिडोर रूट का बोर्ड लगा रखा है. जब यह टाइगर कॉरिडोर रूट है. सेंट्रल इंडिया का इतना महत्वपूर्ण रूट है कि यहां से 9 रिजर्व टाइगर कॉरिडोर रूट में बाघ आना-जाना कर सकते हैं और काफी जगह से करते भी हैं. इसके अलावा वहां से दूसरे वन्यजीव भी आते जाते हैं. ऐसे में वहां पर फेंसिंग लगा देना बिल्कुल अनुचित है'. (Tiger Reserve Corridor Chhattisgarh )
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गौरेला वन परिक्षेत्र में फेंसिंग से जीव जंतुओं को नुकसान
सिंघवी ने कहा कि 'इस फेंसिंग लगाने के पीछे वजह बताई जा रही है कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की वन सीमा का डीमार्क किया जाए. ऐसे में यदि हर राज्य में हर जगह पर डिमार्क कर देंगे तो वहां के वन्य जीव वहीं रह जाएंगे. जिससे उनकी जीन (GENE) खराब हो जाएगी. जब इस मामले में मुझे जानकारी मिली तो मैंने पर्यावरण, वन, जलवायु परिवर्तन मंत्रालय सहित संबंधित विभागों को अलग-अलग शिकायत भेजा है. उनसे फेंसिंग हटाने की अपील की गई है'.
मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ के वनक्षेत्र में फेंसिंग
सिंघवी ने कहा कि 'इस तरह से जंगल में फेंसिंग करने की जानकारी अन्य किसी राज्य में सुनने को नहीं मिल रही है. यदि ऐसा हुआ तो ओडिशा से हमारे यहां हाथी आते हैं. वहां पर भी फेंसिंग कर दी जाए. करंट के वायर बिछा दिए जाएं. जिससे हाथी ओडिशा से छत्तीसगढ़ आना-जाना ना करें. इस तरह का डीमार्क करे तो छत्तीसगढ़ का जंगल खत्म हो जाएगा. शायद दोनों राज्यों में जंगल की सीमा को लेकर विवाद है. इसलिए यह फेंसिंग की गई है. लेकिन यह वन्यजीवों के हित में नहीं है.
अब देखने वाली बात है कि नितिन सिंघवी की इस शिकायत पर केंद्रीय वन मंत्रालय क्या कार्रवाई करता है. छत्तीसगढ़ वन विभाग इस मामले को किस रूप में लेता है. बहरहाल इस फेंसिंग की वजह से एक राज्य से दूसरे राज्य बाघों का आना-जाना बंद हो गया है. जो कहीं ना कहीं आने वाले समय में इन जीवों के लिए घातक साबित हो सकता है.