रायपुर: मेडिकल साइंस के साथ ही ज्योतिष भी इस बात को स्वीकार करता है कि जोड़ों में दर्द की समस्या ज्यादातर ठंड के दिनों में (Joint pain problem in winter) दिखाई पड़ती है. मेडिकल साइंस की बात करें तो जोड़ों के दर्द को 3 तरह से देखा जा सकता है, जिसमें रूमेटाइड आर्थराइटिस, आस्टियो आर्थराइटिस और रूमेटिक आर्थराइटिस होता है. ज्योतिषी दृष्टिकोण से देखा जाए तो व्यक्ति का शनि कमजोर हो, शनि की साढ़ेसाती हो या फिर शनि का अष्टमढ़िया हो तो बुजुर्गों के साथ युवाओं को जोड़ों में दर्द की समस्या देखने को मिलती है. आइए जानते हैं इसको लेकर आर्थोपेडिक डॉ. सुरेंद्र शुक्ला और ज्योतिष विनीत शर्मा क्या कहते हैं.
मेडिकल साइंस में जोड़ों में दर्द 3 तरह के होते हैं
बुजुर्गों के साथ युवाओं को भी जोड़ों में दर्द की समस्या (joint pain in adults ) रहती है. आर्थोपेडिक डॉ. सुरेंद्र शुक्ला ने बताया कि इस तरह की समस्या ज्यादातर ठंड में देखने को मिलती है. जोड़ों में दर्द का कारण रूमेटाइड आर्थराइटिस, आस्टियो आर्थराइटिस और रूमेटिक हार्ट डिसीस के कारण जोड़ों में दर्द की समस्या बनी रहती है. रूमेटाइड आर्थराइटिस को सामान्य भाषा में गठिया वात कहा जाता है. 40 से 60 आयु वर्ग वालों में जोड़ों की समस्या दिखाई देती है. यह समस्या फीमेल में ज्यादा देखने को मिलती है. फीमेल में छोटे जॉइंट में ज्यादा दर्द होता है, जैसे हाथ की उंगलियां, कलाई. आस्टियो आर्थराइटिस में शरीर के बड़े जोड़ों में ज्यादा दर्द देता है, जैसे घुटना, कमर, स्पाइन जिसमें पूरा शरीर का वजन निर्भर करता है. यह 50 से 60 आयु वाले लोगों में ज्यादा होता है. रूमेटिक आर्थराइटिस 7 से 15 वर्ष की आयु के बच्चों में देखने को मिलता है. रूमेटिक हार्ट डिसीस होने के साथ गठिया वात भी होता है.
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योग और आसन से जोड़ों के दर्द से आराम (Joint pain removed by yoga)
ज्योतिष विनीत शर्मा ने बताया कि ऑफिस में घंटों सीट पर बैठकर काम करते हैं. भोजन करते समय भी हम कुर्सी पर बैठे-बैठे ही भोजन करते हैं. योग के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं, जिसकी वजह से हमारे पैरों और जोड़ों में दर्द, आर्थराइटिस या गठिया वात के कारण घुटनों में दर्द होता है. इससे बचने के लिए मुख्य रूप से पैदल चलना एक बहुत अच्छा व्यायाम है. इससे शरीर के सारे अंगों को राहत मिलती है. पैर इस कार्य में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. पैरों को संतुलित और नियमित ऊर्जा मिल जाती है. जोगिंग करना, धीरे-धीरे दौड़ना भी पैरों को राहत देने वाले व्यायाम हैं. इसी तरह मकरासन, चक्की चालन अभ्यास, जानू आसन, तितली आसन, पंजों को चक्र आकार में घुमाना, सूर्य नमस्कार और कुर्सी में बैठे-बैठे ही घुटनों को थोड़ी-थोड़ी देर में हिलाने से पैरों में दबाव कम पड़ता है.
संतुलित भोजन से मिल सकती है राहत
योग और आसन करने से पैर हमेशा तंदुरुस्त बने रहते हैं. नियमित रूप से चलने मात्र से ही पैरों में दर्द और जकड़न कम होती है. सुबह उठकर सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने पर पैर सहित संपूर्ण शरीर का संतुलित व्यायाम हो जाता है. पेट के बल लेटकर पैरों को ऊपर-नीचे हिलाने से भी घुटनों और जोड़ों को इससे राहत मिलती है. ज्यादातर देखा गया है कि आसन और व्यायाम के अभाव में ना केवल बुजुर्ग बल्कि युवाओं में भी जोड़ों में दर्द की समस्या बहुत बढ़ गई है. इसलिए उन्हें अपने भोजन में पर्याप्त मात्रा में दूध, दही, मट्ठा, पनीर की मात्रा संतुलित लेना चाहिए. संतरा, पपीता शेक, अनार का संतुलित उपयोग भी जोड़ों के दर्द में सहायक होगा. सरसों तेल से जोड़ों में मालिश करने पर भी जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है. जिन्हें जोड़ों में बहुत अधिक दर्द है, उन्हें गर्म पानी की बाल्टी में फिटकरी या नमक डालकर पैरों को डुबोकर रखने पर भी राहत मिलती है.
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ब्लड वेसल्स सिकुड़ने से होती है समस्या
सर्दियों में न्यूनतम तापमान कम होने के कारण जोड़ों की ब्लड वेसल्स सिकुड़ती है. उसी हिस्से में ब्लड का टेंपरेचर कम हो जाता है, जिसके कारण जोड़ों में अकड़न होने के साथ दर्द महसूस होने लगता है. आर्थराइटिस का प्रभाव सबसे पहले घुटनों में, उसके बाद कूल्हे की हड्डियों में दिखाई देता है. इसके अलावा बहुत से लोगों को शरीर में दर्द और अकड़न महसूस होती है. कभी-कभी हाथों कंधों और घुटनों में भी सूजन और दर्द रहता है.
जोड़ों का दर्द और उनका उपचार कैसे हो
जोड़ों का दर्द और मांसपेशियों में दर्द ऐसी समस्याएं हैं, जिन्हें अक्सर बुढ़ापे के साथ जोड़कर देखा जाता है. उम्र बढ़ने के साथ शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जो गठिया और जोड़ों में दर्द जैसी बीमारियों का कारण बनते हैं. 40 वर्ष की उम्र के बाद अधिकांश व्यक्ति जोड़ों के दर्द से पीड़ित हो सकते हैं. सही उपचार और विधियों की सहायता से जोड़ों के दर्द को रोका और ठीक किया जा सकता है.