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258 करोड़ के ITC फर्जीवाड़ा केस में दो कारोबारी गिरफ्तार

रायपुर में दो कंपनियों की जांच से उजागर हुए 258 करोड़ के इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) फर्जीवाड़े में सेंट्रल GST ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है. GST की जोनल यूनिट ने बिहार के सिवान से दो कारोबारियों को गिरफ्तार किया है.

ZST Unit of GST
जीएसटी की जोनल यूनिट
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Published : Jan 28, 2021, 1:43 PM IST

रायपुर. दो कंपनियों की जांच से उजागर हुए 258 करोड़ के इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) फर्जीवाड़े में सेंट्रल GST ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है. GST की जोनल यूनिट ने बिहार के सीवान से दो कारोबारियों को गिरफ्तार किया है. इनके नाम मुन्ना तिवारी और कौशल तिवारी बताए जा रहे हैं.

सरकारी राजस्व को लगाई 73 करोड़ रुपए की चपत

अधिकारियों के मुताबिक, सीवान से गिरफ्तार मुन्ना तिवारी और कौशल तिवारी के नाम पर कई फर्म रजिस्टर्ड हैं. दोनों ने फर्जी इनवायस जारी कर फर्जी तरीके से टैक्स क्रेडिट का लाभ लेकर सरकारी राजस्व को 73 करोड़ रुपए की चपत लगाई है. सीवान की अदालत ने दोनों को ट्रांजिट रिमांड पर GST अफसरों को सौंप दिया है.

क्या है ITC फर्जीवाड़ा

ITC का मतलब है इनपुट टैक्स क्रेडिट, माल की बिक्री पर टैक्स का भुगतान करने के बाद सरकार उस टैक्स की रकम को वापस कर देती है, जो कारोबारी ने पहले ही कच्चे माल की खरीद पर चुकाया है. इस फर्जीवाड़े में कारोबारियों ने फर्जी फर्मों से फर्जी बिल जारी कर दूसरी फर्मों के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट दावा किया. सरकार ने उनको वो पैसा रिफंड कर दिया, जो उसको कभी मिले ही नहीं थे.

रायपुर. दो कंपनियों की जांच से उजागर हुए 258 करोड़ के इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) फर्जीवाड़े में सेंट्रल GST ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है. GST की जोनल यूनिट ने बिहार के सीवान से दो कारोबारियों को गिरफ्तार किया है. इनके नाम मुन्ना तिवारी और कौशल तिवारी बताए जा रहे हैं.

सरकारी राजस्व को लगाई 73 करोड़ रुपए की चपत

अधिकारियों के मुताबिक, सीवान से गिरफ्तार मुन्ना तिवारी और कौशल तिवारी के नाम पर कई फर्म रजिस्टर्ड हैं. दोनों ने फर्जी इनवायस जारी कर फर्जी तरीके से टैक्स क्रेडिट का लाभ लेकर सरकारी राजस्व को 73 करोड़ रुपए की चपत लगाई है. सीवान की अदालत ने दोनों को ट्रांजिट रिमांड पर GST अफसरों को सौंप दिया है.

क्या है ITC फर्जीवाड़ा

ITC का मतलब है इनपुट टैक्स क्रेडिट, माल की बिक्री पर टैक्स का भुगतान करने के बाद सरकार उस टैक्स की रकम को वापस कर देती है, जो कारोबारी ने पहले ही कच्चे माल की खरीद पर चुकाया है. इस फर्जीवाड़े में कारोबारियों ने फर्जी फर्मों से फर्जी बिल जारी कर दूसरी फर्मों के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट दावा किया. सरकार ने उनको वो पैसा रिफंड कर दिया, जो उसको कभी मिले ही नहीं थे.

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