रायपुर: सर्व आदिवासी समाज (Sarva Adivasi Samaj) ने अपनी 13 सूत्रीय मांगों को लेकर बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर प्रदर्शन (Demonstration at Budha Talab picketing site) किया. रैली निकालकर विधानसभा का घेराव करने जा रहे सर्व आदिवासी समाज लोगों को पुलिस ने जय स्तंभ चौक पर ही रोक दिया. इस दौरान सर्व आदिवासी समाज के लोगों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और मुख्यमंत्री समेत आदिवासी विधायकों का पुतला दहन किया. बता दें कि इसके पहले भी सर्व आदिवासी समाज अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर चुका है. बावजूद इसके सरकार ने उनकी मांगों पर अब तक अमल नही किया. जिसके कारण सर्व आदिवासी समाज को सड़क पर उतरकर आंदोलन करना पड़ रहा है.
आदिवासियों को लेकर नेता एकजुट
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष और छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी संरक्षक नंदकुमार साय (chhattisgarh all tribal protector nandkumar sai) ने कहा तालमेटला, सारकेगुड़ा, सिलगेर में आदिवासियों पर हुए जुल्मों का सरकार अभी तक निर्णय नहीं कर पाई है और आज भी आदिवासी आंदोलन कर रहे हैं.आदिवासी क्षेत्र के लोग अभी भी शिक्षित बेरोजगार हैं और सभी तरह से परेशान हैं. उनकी मांगें सुनने के लिए कोई तैयार नहीं है. लोग बस्तर से धरना देने के लिए राजधानी पहुंच रहे हैं. लेकिंन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है . इसलिए आज सर्व आदिवासी समाज को आंदोलन करने का निर्णय लेना पड़ा. नंद कुमार साय ने कहा कि सरकार आदिवासियों के हितों की बात नहीं सुनेगी तो आने वाले दिनों में बड़ी लड़ाई लड़ी जाएगी.
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छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष सोहन पोटाई ने भी दी चेतावनी
सोहन पोटाई ने कहा कि हमारी 13 सूत्रीय मांगे है. पूर्व में ही सरकार हमारी मांगों से अवगत है, पिछले साल 19 जुलाई से हमने लगातार शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन किया. 30 अगस्त 2021 को आर्थिक नाकेबंदी की गई. और 20 सितंबर 2021 को महाबंद किया गया था. लगातार आंदोलन करने के बावजूद सरकार हमारी बातों को नहीं सुन रही है.सरकार कहती है कि हम विकास कर रहे हैं. सड़क निर्माण बिजली पानी यह सभी कार्य करना किसी भी सरकार की जिम्मेदारी है. लेकिन जो कॉग्रेस ने अपने घोषणापत्र में वादा किया था. उसका सरकार बनने के बाद आपने क्या किया. हमारी अधिकांश मांगें सरकार के मेनिफेस्टो (Most of the demands are in the manifesto of the government) में ही शामिल है.लेकिन अपने वादों को भी सरकार पूरा नहीं कर रही है. सरकार आदिवासियों को बेवकूफ समझ रही है. पूरे प्रदेश में ट्राइबल की 29 सीटें हैं. उसमें से आदिवासी विधायक सरकार में है. इसके बावजूद भी समाज को सड़क पर आकर आंदोलन करना पड़ता है.हमारी जायज मांगों को विधानसभा में नहीं उठाने के कारण ही सर्व आदिवासी समाज को आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ रहा है.हम आने वाले दिनों में उग्र लड़ाई लड़ेंगे, अगर इसके बाद भी सरकार हमारी मांगों को पूरा नहीं करेगी तो 2023 में जिस तरह से रमन सरकार का हश्र हुआ था उसी तरह भूपेश सरकार का भी हश्र होगा.
जयस्तंभ चौक में पुलिस ने रोका
विधानसभा का घेराव करने के लिए सैकड़ों आदिवासियों को पुलिस ने जय स्तंभ चौक पर रोका (Police stopped hundreds of tribals at Jai Stambh Chowk). समाज के पदाधिकारियों ने छत्तीसगढ़ सरकार के प्रतिनिधि उप सचिव सुभाष सिंह राय को अपना ज्ञापन सौंपा और जल्द से जल्द मांग पूरी करने की बात रखी है, सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष सोहन पोटाई ने कहा है कि अगर हमारी मांगों को जल्द से जल्द पूरा नहीं किया जाएगा तो आने वाले दिनों में हम उग्र आंदोलन करेंगे और यह लड़ाई सड़क पर उतर कर लड़ी जाएगी