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जानिए कौन खा गया छत्तीसगढ़ के करोड़ों पेड़ ?

छत्तीसगढ़ बनने के बाद से प्रदेश में जितना वृक्षारोपण किया गया है, यदि उसके आधे भी पेड़ प्रदेश में रह जाते तो शायद यहां की पूरी धरती हरी-भरी (Tree plantation campaign failed in Chhattisgarh) रहती. लेकिन इसके उलट वन का क्षेत्रफल 3 फीसदी तक कम हो गया है.

Tree plantation campaign failed in Chhattisgarh
जानिए कौन खा गया छत्तीसगढ़ के करोड़ों पेड़
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Published : Jun 16, 2022, 2:33 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ में बारिश के मौसम में वन विभाग ने करोड़ों वृक्ष लगाने का लक्ष्य रखा है. प्रदेश में हर साल करोड़ों वृक्ष लगाए जाते हैं. बावजूद इसके वन क्षेत्र कम होता जा रहा है. यदि वृक्षारोपण के आंकड़ों को देखें तो इतने सालों में हुए वृक्षारोपण से लगाए गए पेड़ों से पूरा छत्तीसगढ़ हरा-भरा हो जाता. यही नहीं पेड़ों को लगाने के लिए प्रदेश में जमीन तलाशनी (Tree plantation campaign failed in Chhattisgarh) पड़ती.

जानिए कौन खा गया छत्तीसगढ़ के करोड़ों पेड़


क्या हैं आंकड़ें

  1. वन विभाग ने इस साल लगभग 2 करोड़ 81 लाख पौधे लगाए जाने का लक्ष्य रखा है. एक करोड़ 14 लाख पौधारोपण और एक करोड़ 66 लाख 65 हजार पौधा बांटा जाएगा. साल 2021 में लगभग दो करोड़ 66 लाख पौधे लगाए जाने का लक्ष्य रखा गया था. एक करोड़ 2 लाख पौधारोपण और एक करोड़ 64 लाख 10 हजार पौधे का वितरण किया गया.
  2. साल 2020 में लगभग 3 करोड़ 70 लाख 74 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया. जिसमें से दो करोड़ 6 लाख 74 हजार पौधा रोपण और 1 करोड़ 64 लाख पौधे वितरित किए गए.
  3. वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार यह वृक्षारोपण बिगड़े वनों का सुधार, बिगड़े बांस वनों का सुधार, नदी तट रोपण, पथ रोपण, तेजी से बढ़ने वाले वृक्ष, अतिक्रमण व्यवस्थापन के बदले वृक्षारोपण, कैम्पा मनरेगा हरियाली प्रसार योजना सहित अन्य योजनाओं के तहत किए गए (Crores of trees are planted every year in Chhattisgarh) हैं.

प्रदेश में विकसित होगा कृष्ण कुंज : नगरीय क्षेत्रों में वृक्षारोपण कर 'कृष्ण-कुंज' विकसित करने की योजना है. 170 नगरीय निकायों में 146 स्थल चयन किया गया है. जिसका क्षेत्रफल 292.95 एकड़ है. इसमें लगभग 1 लाख 29 पौधारोपण करना (Krishna Kunj in Chhattisgarh) है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर छत्तीसगढ़ के सभी नगरीय क्षेत्रों में 'कृष्ण कुंज' विकसित किए जाएंगे. कृष्ण कुंज में बरगद, पीपल, नीम और कदंब जैसे सांस्कृतिक महत्व के वृक्ष लगाए जाएंगे. मुख्यमंत्री ने सभी कलेक्टरों को 'कृष्ण कुंज' विकसित करने के लिए वन विभाग को न्यूनतम एक एकड़ भूमि का आवंटन करने के निर्देश दिए हैं. आगामी कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पूरे राज्य में 'कृष्ण कुंज' के लिए चिन्हित स्थल पर वृक्षारोपण शुरू किया जाएगा. इसके तहत आम, इमली ,गंगा इमली, जामुन, बेर , गंगा बेर, शहतूत, तेंदू, चार, अनार, गूलर, कैथा, कदंब, पीपल, नीम, बरगद, बबूल, पलाश, अमरुद, सीताफल, बेल और आंवला के पौधे लगाए जाने हैं.

कब शुरू होता है वृक्षारोपण : प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख राकेश चतुर्वेदी ने बताया '' हर साल की तरह इस साल भी वृक्षारोपण की तैयारी की गई है. जैसे ही पानी गिरेगा. उसके दो चार दिन बाद वृक्षारोपण शुरू कर दिया जाएगा. वृक्षारोपण की कोई तारीख तय नहीं होती है. यह वृक्षारोपण अभियान दो-चार दिन पानी गिरने के बाद शुरू कर दिया जाता है. क्योंकि वृक्षारोपण के लिए जमीन में हल्की नमी की जरूरत होती है. दो-चार दिन की बारिश के बाद जमीन में वृक्षारोपण के लिए पर्याप्त मात्रा में नमी आ जाती है''

लेकिन पेड़ क्यों हो रहे हैं कम : वृक्षारोपण के बाद इन्हें सुरक्षित रखने के लिए पहले ट्री गार्ड लगाए जाते थे. लेकिन पिछले 2 वर्षों से ट्री गार्ड लगाना बंद कर दिया गया है. जिसके कारण ज्यादातर पौधों को मवेशी खा जाते हैं. कुछ पौधे बड़े होने के बाद सुरक्षित नहीं होने के कारण टूट जाते हैं. यह तो रहे वन विभाग के आंकड़े और उनका बयान. अब बात करते हैं सरकार की ओर से पहले जारी किए गए वृक्षारोपण के आंकड़ों की. इन दोनों आंकड़ों में भी जमीन आसमान का अंतर है.

छत्तीसगढ़ में वृक्षारोपण का लक्ष्य
साल 2020: 7 करोड़
साल 2019: 7 करोड़ 13 लाख
साल 2018: 7 करोड़
साल 2017: 8 करोड़ 92 लाख
साल 2016: 7 करोड़ 60 लाख
साल 2015: 10 करोड़
साल 2014: 7 करोड़ 58 लाख

कितना है प्रदेश में वन क्षेत्रफल

राज्य का कुल क्षेत्रफल :- 135191 वर्ग किलोमोटर
राज्य में वन का क्षेत्रफल :- 59772 वर्ग किलोमोटर

वन क्षेत्रफल प्रतिशत

आरक्षित वन क्षेत्र 25782 43.13%
संरक्षित 24036 40.22%
अवर्गीकृत 9954 16.65%

वृक्ष प्रजाति वन

साल वन 24245 40.56%
सागौन वन 5633 09.42%
मिश्रित 26018 43.52%

घटते जंगल को लेकर हाईकोर्ट में लगाई गई थी याचिका : प्रदेश में वृक्षारोपण के बाद भी घटते जंगल को लेकर पहले हाईकोर्ट में एक याचिका भी लगाई गई (petition in high court regarding forest in chhattisgarh) थी. जिसमें बताया गया था कि छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद लगातार वृक्षारोपण किया जा रहा है. बावजूद इसके 2001 से लेकर 2015 तक लगभग 3% जंगल यानी 3700 वर्ग किलोमीटर जंगल कम हो गया है. साल 2017 में आठ करोड़, साल 2016 में 7 करोड़ 60 लाख, वर्ष 2015 में 10 करोड़ पौधे लगाए गए थे. इसके बावजूद भी जंगल का रकबा नहीं बढ़ा.

वन विभाग ने की है पहल : हालांकि वृक्षारोपण में कई जगहों से गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद दिसंबर 2018 में राज्य में पहली बार वन विभाग ने पिछले कुछ वर्षों में लगाए गए पौधे की जांच कराने का निर्णय लिया. जनवरी 2019 में एक निजी एजेंसी इसकी निगरानी शुरू करने वाली थी. जिसके तहत सभी जिलों में जाकर 2015 से लेकर 2017 के बीच में पौधारोपण की स्थिति का निरीक्षण किया जाना था. इसके लिए टेंडर प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई थी. लेकिन बाद में यह प्रक्रिया ठंडे बस्ते में चली गई.

पेड़ बचते तो क्या होता : प्रदेश में वर्तमान में वृक्षारोपण की स्थिति को लेकर जब ईटीवी भारत ने वन और वन्य जीव के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता नितिन सिंघवी से बात की तो उनका कहना है कि "छत्तीसगढ़ के निर्माण के बाद प्रदेश में लगभग 70-80 करोड़ पौधे लगाए गए हैं. फॉरेस्ट ऑफ इंडिया के सर्वे के अनुसार छत्तीसगढ़ बनने के पहले प्रदेश में लगभग सवा करोड़ पेड़ थे. यदि जितने पेड़ लगाए जाने का दावा किया जा रहा है, उसके आधे पेड़ भी रह जाते तो छत्तीसगढ़ में जमीन की कमी हो जाती. यह वृक्षारोपण अभियान टोटल असफल रहा है.''

सही समय पर नहीं होता है वृक्षारोपण : नितिन सिंघवी का कहना है कि ''यहां देखा जाता है कि जब बहुत ज्यादा बरसात होती है, उसके बाद वृक्षारोपण किया जाता है. मध्यप्रदेश के समय से ही छत्तीसगढ़ के संबंध में निर्देश दिए गए हैं कि 20 जुलाई के बाद यहां पर वृक्षारोपण नहीं होना है. उसका कारण यह है कि उस समय जमीन में बहुत पानी हो जाता है. जबकि वृक्षारोपण तब किया जाता है, जब जमीन में नमी हो. प्राय: देखा जाता है कि 20 जुलाई के बाद वन विभाग के द्वारा वृक्षारोपण को शुरू किया जाता है. इस वजह से पेड़ आगे सरवाइव नहीं कर पाते हैं. इसे लेकर जनहित याचिका भी लगाई गई थी. उस दौरान वन विभाग ने कहा था कि समयानुसार प्लांटेशन किया जाएगा लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है.''

जनता के साथ हो रहा धोखा : नितिन सिंघवी का कहना है कि '' वृक्षारोपण के नाम पर वन विभाग जनता के साथ धोखा कर रहा है. जनता को झूठ बोला जा रहा है कि वृक्षारोपण के नाम से हम जलवायु नियंत्रित कर रहे हैं. जनता को जागरूक कर रहे हैं, जबकि वन विभाग को खुद को जागरूक होना चाहिए. पेड़ों की कटाई की टोटल अनुमति बंद कर देनी चाहिए. वृक्षारोपण सिस्टेमेटिक और साइंटिफिक तरीके से करना चाहिए. लोगों को अपने घरों में वृक्षारोपण करने के लिए प्रेरित करना चाहिए. यदि लोग घरों में वृक्षारोपण करने के लिए गंभीर हैं तो उनको जरूर पौधा उपलब्ध कराना चाहिए. लेकिन सिर्फ बिना मकसद के पौधा बांटना और फिर उस पौधे का मर जाना किसी जीव हत्या से कम नहीं है.''

रायपुर : छत्तीसगढ़ में बारिश के मौसम में वन विभाग ने करोड़ों वृक्ष लगाने का लक्ष्य रखा है. प्रदेश में हर साल करोड़ों वृक्ष लगाए जाते हैं. बावजूद इसके वन क्षेत्र कम होता जा रहा है. यदि वृक्षारोपण के आंकड़ों को देखें तो इतने सालों में हुए वृक्षारोपण से लगाए गए पेड़ों से पूरा छत्तीसगढ़ हरा-भरा हो जाता. यही नहीं पेड़ों को लगाने के लिए प्रदेश में जमीन तलाशनी (Tree plantation campaign failed in Chhattisgarh) पड़ती.

जानिए कौन खा गया छत्तीसगढ़ के करोड़ों पेड़


क्या हैं आंकड़ें

  1. वन विभाग ने इस साल लगभग 2 करोड़ 81 लाख पौधे लगाए जाने का लक्ष्य रखा है. एक करोड़ 14 लाख पौधारोपण और एक करोड़ 66 लाख 65 हजार पौधा बांटा जाएगा. साल 2021 में लगभग दो करोड़ 66 लाख पौधे लगाए जाने का लक्ष्य रखा गया था. एक करोड़ 2 लाख पौधारोपण और एक करोड़ 64 लाख 10 हजार पौधे का वितरण किया गया.
  2. साल 2020 में लगभग 3 करोड़ 70 लाख 74 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया. जिसमें से दो करोड़ 6 लाख 74 हजार पौधा रोपण और 1 करोड़ 64 लाख पौधे वितरित किए गए.
  3. वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार यह वृक्षारोपण बिगड़े वनों का सुधार, बिगड़े बांस वनों का सुधार, नदी तट रोपण, पथ रोपण, तेजी से बढ़ने वाले वृक्ष, अतिक्रमण व्यवस्थापन के बदले वृक्षारोपण, कैम्पा मनरेगा हरियाली प्रसार योजना सहित अन्य योजनाओं के तहत किए गए (Crores of trees are planted every year in Chhattisgarh) हैं.

प्रदेश में विकसित होगा कृष्ण कुंज : नगरीय क्षेत्रों में वृक्षारोपण कर 'कृष्ण-कुंज' विकसित करने की योजना है. 170 नगरीय निकायों में 146 स्थल चयन किया गया है. जिसका क्षेत्रफल 292.95 एकड़ है. इसमें लगभग 1 लाख 29 पौधारोपण करना (Krishna Kunj in Chhattisgarh) है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर छत्तीसगढ़ के सभी नगरीय क्षेत्रों में 'कृष्ण कुंज' विकसित किए जाएंगे. कृष्ण कुंज में बरगद, पीपल, नीम और कदंब जैसे सांस्कृतिक महत्व के वृक्ष लगाए जाएंगे. मुख्यमंत्री ने सभी कलेक्टरों को 'कृष्ण कुंज' विकसित करने के लिए वन विभाग को न्यूनतम एक एकड़ भूमि का आवंटन करने के निर्देश दिए हैं. आगामी कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पूरे राज्य में 'कृष्ण कुंज' के लिए चिन्हित स्थल पर वृक्षारोपण शुरू किया जाएगा. इसके तहत आम, इमली ,गंगा इमली, जामुन, बेर , गंगा बेर, शहतूत, तेंदू, चार, अनार, गूलर, कैथा, कदंब, पीपल, नीम, बरगद, बबूल, पलाश, अमरुद, सीताफल, बेल और आंवला के पौधे लगाए जाने हैं.

कब शुरू होता है वृक्षारोपण : प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख राकेश चतुर्वेदी ने बताया '' हर साल की तरह इस साल भी वृक्षारोपण की तैयारी की गई है. जैसे ही पानी गिरेगा. उसके दो चार दिन बाद वृक्षारोपण शुरू कर दिया जाएगा. वृक्षारोपण की कोई तारीख तय नहीं होती है. यह वृक्षारोपण अभियान दो-चार दिन पानी गिरने के बाद शुरू कर दिया जाता है. क्योंकि वृक्षारोपण के लिए जमीन में हल्की नमी की जरूरत होती है. दो-चार दिन की बारिश के बाद जमीन में वृक्षारोपण के लिए पर्याप्त मात्रा में नमी आ जाती है''

लेकिन पेड़ क्यों हो रहे हैं कम : वृक्षारोपण के बाद इन्हें सुरक्षित रखने के लिए पहले ट्री गार्ड लगाए जाते थे. लेकिन पिछले 2 वर्षों से ट्री गार्ड लगाना बंद कर दिया गया है. जिसके कारण ज्यादातर पौधों को मवेशी खा जाते हैं. कुछ पौधे बड़े होने के बाद सुरक्षित नहीं होने के कारण टूट जाते हैं. यह तो रहे वन विभाग के आंकड़े और उनका बयान. अब बात करते हैं सरकार की ओर से पहले जारी किए गए वृक्षारोपण के आंकड़ों की. इन दोनों आंकड़ों में भी जमीन आसमान का अंतर है.

छत्तीसगढ़ में वृक्षारोपण का लक्ष्य
साल 2020: 7 करोड़
साल 2019: 7 करोड़ 13 लाख
साल 2018: 7 करोड़
साल 2017: 8 करोड़ 92 लाख
साल 2016: 7 करोड़ 60 लाख
साल 2015: 10 करोड़
साल 2014: 7 करोड़ 58 लाख

कितना है प्रदेश में वन क्षेत्रफल

राज्य का कुल क्षेत्रफल :- 135191 वर्ग किलोमोटर
राज्य में वन का क्षेत्रफल :- 59772 वर्ग किलोमोटर

वन क्षेत्रफल प्रतिशत

आरक्षित वन क्षेत्र 25782 43.13%
संरक्षित 24036 40.22%
अवर्गीकृत 9954 16.65%

वृक्ष प्रजाति वन

साल वन 24245 40.56%
सागौन वन 5633 09.42%
मिश्रित 26018 43.52%

घटते जंगल को लेकर हाईकोर्ट में लगाई गई थी याचिका : प्रदेश में वृक्षारोपण के बाद भी घटते जंगल को लेकर पहले हाईकोर्ट में एक याचिका भी लगाई गई (petition in high court regarding forest in chhattisgarh) थी. जिसमें बताया गया था कि छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद लगातार वृक्षारोपण किया जा रहा है. बावजूद इसके 2001 से लेकर 2015 तक लगभग 3% जंगल यानी 3700 वर्ग किलोमीटर जंगल कम हो गया है. साल 2017 में आठ करोड़, साल 2016 में 7 करोड़ 60 लाख, वर्ष 2015 में 10 करोड़ पौधे लगाए गए थे. इसके बावजूद भी जंगल का रकबा नहीं बढ़ा.

वन विभाग ने की है पहल : हालांकि वृक्षारोपण में कई जगहों से गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद दिसंबर 2018 में राज्य में पहली बार वन विभाग ने पिछले कुछ वर्षों में लगाए गए पौधे की जांच कराने का निर्णय लिया. जनवरी 2019 में एक निजी एजेंसी इसकी निगरानी शुरू करने वाली थी. जिसके तहत सभी जिलों में जाकर 2015 से लेकर 2017 के बीच में पौधारोपण की स्थिति का निरीक्षण किया जाना था. इसके लिए टेंडर प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई थी. लेकिन बाद में यह प्रक्रिया ठंडे बस्ते में चली गई.

पेड़ बचते तो क्या होता : प्रदेश में वर्तमान में वृक्षारोपण की स्थिति को लेकर जब ईटीवी भारत ने वन और वन्य जीव के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता नितिन सिंघवी से बात की तो उनका कहना है कि "छत्तीसगढ़ के निर्माण के बाद प्रदेश में लगभग 70-80 करोड़ पौधे लगाए गए हैं. फॉरेस्ट ऑफ इंडिया के सर्वे के अनुसार छत्तीसगढ़ बनने के पहले प्रदेश में लगभग सवा करोड़ पेड़ थे. यदि जितने पेड़ लगाए जाने का दावा किया जा रहा है, उसके आधे पेड़ भी रह जाते तो छत्तीसगढ़ में जमीन की कमी हो जाती. यह वृक्षारोपण अभियान टोटल असफल रहा है.''

सही समय पर नहीं होता है वृक्षारोपण : नितिन सिंघवी का कहना है कि ''यहां देखा जाता है कि जब बहुत ज्यादा बरसात होती है, उसके बाद वृक्षारोपण किया जाता है. मध्यप्रदेश के समय से ही छत्तीसगढ़ के संबंध में निर्देश दिए गए हैं कि 20 जुलाई के बाद यहां पर वृक्षारोपण नहीं होना है. उसका कारण यह है कि उस समय जमीन में बहुत पानी हो जाता है. जबकि वृक्षारोपण तब किया जाता है, जब जमीन में नमी हो. प्राय: देखा जाता है कि 20 जुलाई के बाद वन विभाग के द्वारा वृक्षारोपण को शुरू किया जाता है. इस वजह से पेड़ आगे सरवाइव नहीं कर पाते हैं. इसे लेकर जनहित याचिका भी लगाई गई थी. उस दौरान वन विभाग ने कहा था कि समयानुसार प्लांटेशन किया जाएगा लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है.''

जनता के साथ हो रहा धोखा : नितिन सिंघवी का कहना है कि '' वृक्षारोपण के नाम पर वन विभाग जनता के साथ धोखा कर रहा है. जनता को झूठ बोला जा रहा है कि वृक्षारोपण के नाम से हम जलवायु नियंत्रित कर रहे हैं. जनता को जागरूक कर रहे हैं, जबकि वन विभाग को खुद को जागरूक होना चाहिए. पेड़ों की कटाई की टोटल अनुमति बंद कर देनी चाहिए. वृक्षारोपण सिस्टेमेटिक और साइंटिफिक तरीके से करना चाहिए. लोगों को अपने घरों में वृक्षारोपण करने के लिए प्रेरित करना चाहिए. यदि लोग घरों में वृक्षारोपण करने के लिए गंभीर हैं तो उनको जरूर पौधा उपलब्ध कराना चाहिए. लेकिन सिर्फ बिना मकसद के पौधा बांटना और फिर उस पौधे का मर जाना किसी जीव हत्या से कम नहीं है.''

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