रायपुर : सोमवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा की कार्यवाही (budget session of Chhattisgarh) शुरू हुई. प्रश्नकाल के दौरान बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी ने सदन में किसान आत्महत्या का मामला उठाया. बांधी ने 2019 से लेकर 2022 के बीच किसानों की आत्महत्या की संख्या और उन्हें दिए गए मुआवजा की जानकारी गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू से मांगी. इस पर जवाब देते हुए गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने बताया कि जनवरी 2019 से 12 फरवरी 22 तक कुल 570 किसानों ने आत्महत्या की है. इनमें से 2 किसानों ने कृषिगत कारणों से और बाकी सभी ने अन्य कारणों से खुदकुशी की है. साहू ने बताया कि इन किसानों में से 187 और 79 अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के तथा 304 पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के हैं.
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यूपी के किसान को नहीं दिया गया मुआवजा : ताम्रध्वज साहू
बीजेपी विधायक बांधी ने इस पर कहा कि मंत्री ने विभाग की ओर से किसानों के लिए मुआवजा का प्रावधान नहीं होने की बात कही है. क्या मुआवजे का कोई नियम बनाएंगे ? यूपी के किसान को 50 लाख रुपये दिए गए हैं. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने भी चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि आगे आत्महत्या किसान न करें उसके कारण का परीक्षण होगा क्या? क्या मुआवजे का नियम भी बनाया जाएगा. इस पर ताम्रध्वज साहू ने कहा कि मुआवजे को लेकर अभी ऐसा नियम नहीं है. वहीं मंत्री ने स्पष्ट किया कि यूपी के किसान को मुआवजा नहीं दिया गया है. मुख्यमंत्री अपने विवेक से वो राशि देते हैं.
इस दौरान साहू ने भाजपा शासनकाल के अंतिम 3 वर्षों में किसान आत्महत्या के आंकड़े की भी जानकारी दी और कहा कि भाजपा शासन काल में 3 सालों में सालों में जितनी आत्महत्या हुई थीं, उसकी आधी कांग्रेसी शासन काल में 3 साल में हुई है. किसान आत्महत्या के मामलों में कमी आई है. इस कमी की वजह है शासन की योजनाओं का लाभ किसानों को मिलना. गृहमंत्री के जवाब के बाद भाटापारा विधायक शिवरतन शर्मा ने उत्तरप्रदेश के किसानों को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा 50 लाख रुपये मुआवजा देने का मामला उठाते हुए कहा कि जब वहां के किसानों को छत्तीसगढ़ सरकार 50 लाख का मुआवजा दे सकती है, तो छत्तीसगढ़ के किसानों को उतनी ही रकम क्यों नहीं दी जा रही.