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एशिया का सबसे बड़ा फॉसिल्स पार्क : सीएम भूपेश बघेल 21 मार्च को रखेंगे नींव, 25 करोड़ साल पुराने जीवाश्म होंगे संरक्षित - विश्व वानिकी दिवस पर फॉसिल्स पार्क की नींव

छत्तीसगढ़ विश्व पटल पर अपनी नई पहचान बनाने जा रहा है. विश्व वानिकी दिवस के अवसर पर सीएम भूपेश बघेल मनेंद्रगढ़ में एशिया के सबसे बड़े फॉसिल्स पार्क (Asia largest fossils park in Chhattisgarh) की नींव रखेंगे.

Asia largest fossils park in Chhattisgarh
एशिया का सबसे फॉसिल्स पार्क
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Published : Mar 19, 2022, 8:09 PM IST

Updated : Mar 19, 2022, 10:01 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में एशिया का सबसे बड़ा फॉसिल्स पार्क (Asia largest fossils park in Chhattisgarh) बनने जा रहा है. इसकी नींव 21 मार्च को विश्व वानिकी दिवस के अवसर पर सीएम भूपेश बघेल मनेंद्रगढ़ में रखेंगे. इस पार्क में 25 करोड़ साल पुराने जीवाश्म (25 million year old fossils) रखे सहेजे जाएंगे. वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार समुद्री फॉसिल्स आमाखेरवा (Marine Fossils Amakherva) में होने की जानकारी वर्ष 2012 में मिली थी. कोरिया वन विभाग के अधिकारियों ने इसकी जानकारी मुख्यालय को दी. इसके बाद बीरबल साहनी इंस्टीटयूट ऑफ पैलियो बॉटनी लखनऊ के विशेषज्ञों से सलाह ली गई. इंस्टीटयूट ने 2015 में फॉसिल्स की जांच करने के लिए वैज्ञानिक भेजे तो पता चला कि ये फॉसिल्स 25 करोड़ साल पुराने हैं.

इसकी जानकारी होने पर वन विभाग के अधिकारियों ने 2015 में फॉसिल्स वाले हिस्सों को घिरवा कर हेरिटेज के रूप में विकसित कर दिया. राज्य सरकार के निर्देश पर अब पार्क के रूप में डेवलप करके उसे प्रदेश की पहचान बनाने की तैयारी की जा रही है. प्रस्तावित पार्क हसदेव और हसिया नदी के संगम पर करीब 1 किलोमीटर क्षेत्र में विकसित किया जाएगा.

हसदेव नदी के किनारे हैं फॉसिल्स

मनेंद्रगढ़ शहर के आमाखेरवा इलाके के पास हसदेव नदी के बीच करीब एक किलोमीटर का क्षेत्र समुद्री जीवों और वनस्पतियों के जीवाश्म से भरे हुए हैं. इस क्षेत्र में बाइवाल्व मोलस्का, युरीडेस्मा और एवीक्युलोपेक्टेन समुद्री जीवों के जीवाश्म मौजूद हैं. इनके अलावा पेलेसिपोड्स, गैस्ट्रोपोड्स, ब्रेकियोपोड्स, ब्रायोजोअन्स और क्रिनएड्स प्रजाति के जीव भी हैं. इसलिए पार्क का निर्माण वन विभाग के अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है. वन विभाग के अधिकारियों ने प्रपोजल को फाइनल कर लिया है और डिजाइन को भी हरी झंडी मिल गई है. 21 मार्च को विश्व वानिकी दिवस के अवसर पर सीएम भूपेश बघेल पार्क की नींव (The foundation of CM Bhupesh Baghel Park) रखेंगे. पॉर्क का निर्माण हसदेव नदी स्थित टाउनशिप के बाहरी क्षेत्र आमाखेरवा में किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- हिंदू धर्म में सूर्यदेव के 108 नाम और उनका महत्व


क्या है फॉसिल्स
फॉसिल्स से तात्पर्य वह समुद्री जीव-जंतु है जो करोड़ो वर्ष पहले समुद्र में रहते थे. प्राकृतिक परिवर्तन और पृथ्वी के पुर्ननिर्माण में समुद्र के हटने पर उन जीवों के अंश पत्थरों के मध्य दबकर वैसे ही रह गए. फॉसिल्स हमारी पृथ्वी के परिर्वतन के वैज्ञानिक साक्ष्य हैं.

देश में चार जगह हैं ऐसे जीवाश्म
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार जिस तरह का फॉसिल्स मनेंद्रगढ़ (Fossils in Manendragarh) में है.उस तरह का फॉसिल्स भारत में सुबांसरी (अरुणाचल प्रदेश), राजहरा (झारखंड), दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल) और खेमगांव (सिक्किम) में पाए गए हैं. फॉसिल्स को यहां की सरकार ने अपने स्तर पर संरक्षित किया है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में एशिया का सबसे बड़ा फॉसिल्स पार्क (Asia largest fossils park in Chhattisgarh) बनने जा रहा है. इसकी नींव 21 मार्च को विश्व वानिकी दिवस के अवसर पर सीएम भूपेश बघेल मनेंद्रगढ़ में रखेंगे. इस पार्क में 25 करोड़ साल पुराने जीवाश्म (25 million year old fossils) रखे सहेजे जाएंगे. वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार समुद्री फॉसिल्स आमाखेरवा (Marine Fossils Amakherva) में होने की जानकारी वर्ष 2012 में मिली थी. कोरिया वन विभाग के अधिकारियों ने इसकी जानकारी मुख्यालय को दी. इसके बाद बीरबल साहनी इंस्टीटयूट ऑफ पैलियो बॉटनी लखनऊ के विशेषज्ञों से सलाह ली गई. इंस्टीटयूट ने 2015 में फॉसिल्स की जांच करने के लिए वैज्ञानिक भेजे तो पता चला कि ये फॉसिल्स 25 करोड़ साल पुराने हैं.

इसकी जानकारी होने पर वन विभाग के अधिकारियों ने 2015 में फॉसिल्स वाले हिस्सों को घिरवा कर हेरिटेज के रूप में विकसित कर दिया. राज्य सरकार के निर्देश पर अब पार्क के रूप में डेवलप करके उसे प्रदेश की पहचान बनाने की तैयारी की जा रही है. प्रस्तावित पार्क हसदेव और हसिया नदी के संगम पर करीब 1 किलोमीटर क्षेत्र में विकसित किया जाएगा.

हसदेव नदी के किनारे हैं फॉसिल्स

मनेंद्रगढ़ शहर के आमाखेरवा इलाके के पास हसदेव नदी के बीच करीब एक किलोमीटर का क्षेत्र समुद्री जीवों और वनस्पतियों के जीवाश्म से भरे हुए हैं. इस क्षेत्र में बाइवाल्व मोलस्का, युरीडेस्मा और एवीक्युलोपेक्टेन समुद्री जीवों के जीवाश्म मौजूद हैं. इनके अलावा पेलेसिपोड्स, गैस्ट्रोपोड्स, ब्रेकियोपोड्स, ब्रायोजोअन्स और क्रिनएड्स प्रजाति के जीव भी हैं. इसलिए पार्क का निर्माण वन विभाग के अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है. वन विभाग के अधिकारियों ने प्रपोजल को फाइनल कर लिया है और डिजाइन को भी हरी झंडी मिल गई है. 21 मार्च को विश्व वानिकी दिवस के अवसर पर सीएम भूपेश बघेल पार्क की नींव (The foundation of CM Bhupesh Baghel Park) रखेंगे. पॉर्क का निर्माण हसदेव नदी स्थित टाउनशिप के बाहरी क्षेत्र आमाखेरवा में किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- हिंदू धर्म में सूर्यदेव के 108 नाम और उनका महत्व


क्या है फॉसिल्स
फॉसिल्स से तात्पर्य वह समुद्री जीव-जंतु है जो करोड़ो वर्ष पहले समुद्र में रहते थे. प्राकृतिक परिवर्तन और पृथ्वी के पुर्ननिर्माण में समुद्र के हटने पर उन जीवों के अंश पत्थरों के मध्य दबकर वैसे ही रह गए. फॉसिल्स हमारी पृथ्वी के परिर्वतन के वैज्ञानिक साक्ष्य हैं.

देश में चार जगह हैं ऐसे जीवाश्म
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार जिस तरह का फॉसिल्स मनेंद्रगढ़ (Fossils in Manendragarh) में है.उस तरह का फॉसिल्स भारत में सुबांसरी (अरुणाचल प्रदेश), राजहरा (झारखंड), दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल) और खेमगांव (सिक्किम) में पाए गए हैं. फॉसिल्स को यहां की सरकार ने अपने स्तर पर संरक्षित किया है.

Last Updated : Mar 19, 2022, 10:01 PM IST

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