रायपुरः बारह जनवरी 1863 को भारत के महापुरुष स्वामी विवेकानंद का जन्म कोलकाता के एक कायस्थ परिवार में हुआ था. स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर हर साल 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है. स्वामी विवेकानंद ने बहुत कम उम्र में है अपनी वैश्विक पहचान बना ली थी.
स्वामी विवेकानंद (नरेंद्र नाथ दत्त) का छत्तीसगढ़ से गहरा नाता है. यहां के कई भवन और स्थान है. जो उनके नाम से ही सुशोभित हैं.
स्वामी जी जब 14 वर्ष के थे, तब वे 1877 में रायपुर आए थे. कोलकाता के बाद रायपुर ही ऐसा स्थान है जहां उन्होंने सर्वाधिक समय बिताया. इतिहासकार बताते है कि स्वामी विवेकानंद (नरेंद्रनाथ दत्त) 1877 में रायपुर आए थे. वह अपने पूरे परिवार के साथ यहां पहुंचे थे. इनमें पिता विश्वनाथ दत्त, मां भुवनेश्वरी देवी, छोटा भाई महेंद्र दत्त और बहन जोगेंद्र बाला ने रायपुर में करीब 2 साल का समय बिताया.
पिता थे मशहूर वकील
इतिहासकार बताते हैं कि स्वामी विवेकानंद के पिता विश्वनाथ दत्त वकील थे. बताया जाता है कि रायबहादुर भूतनाथ डे उनके मुवक्किल में से एक थे. अपने मुवक्किल के निवास पर रहने के बाद नागपुर की अदालत में उनका प्रतिनिधित्व करने के लिए उन्हें रायपुर आना पड़ा था. उन दिनों नागपुर आयुक्त (सीपी और बरार) के अधीन था. इतिहासकार बताते हैं कि छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद का आध्यात्मिक जन्म स्थान माना जाता है. स्वामी विवेकानंद की उम्र 14 वर्ष की थी.
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बैलगाड़ी से किया था जबलपुर से रायपुर तक का सफर
उस समय रायपुर प्रवास के दौरान उन्होंने हिंदी सिखी. उनका परिवार बूढ़ा तालाब के पास (डे भवन) में रहता था. स्वामी विवेकानंद (नरेंद्र दत्त) रायपुर पहुंचने के दौरान जबलपुर मध्य प्रदेश के कई हिस्सों से होकर यहां पहुंचे. बताया जाता है कि उनके परिवार ने बैलगाड़ी से जबलपुर से रायपुर तक का सफर तय किया था. उस यात्रा ने नरेंद्र दत्त (बाद में स्वामी विवेकानंद) का पूरा बदल दिया.
अपनी यात्रा के दौरान में पूरी तरह से आध्यात्मिक विचारों में शामिल थे और ऐसा कहा जाता है कि स्वामी विवेकानंद में अध्यात्म का बीज अंकुरित छत्तीसगढ़ में ही हुआ था. स्वामी विवेकानंद (नरेंद्र दत्त) बुढ़ापारा में रहते थे. इस दौरान बूढ़ा तालाब में तैराकी करने जाते थे. इसके साथ ही विवेकानंद तरुणाई उम्र में रायपुर के कई जगहों पर विचरण करते और ध्यान करते थे. वहीं, बाद में बूढ़ातालाब का नाम स्वामी विवेकानंद सरोवर किया गया. यहां स्वामी विवेकानंद की ध्यान करते आदमकद प्रतिमा भी स्थापित की गई है.
बुढ़ापारा के डे भवन में था निवास
इतिहासकार रामेंद्रनाथ मिश्र बताते हैं कि स्वामी विवेकानंद की तरुणाई उम्र का समय रायपुर में बीता. निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ के रायपुर में उन्हें बहुत कुछ दिया. स्वामी विवेकानंद बुढ़ापारा के डे भवन में रहते थे. जिसे सरकार द्वारा ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया गया है. जिस घर में स्वामी विवेकानंद जी का परिवार रहने के लिए आया था, उस घर में पिछली शताब्दी के दार्शनिक हरिनाथ डे (जिन्हें ग्रीक, लैटिन,चीनी अरबी सहित 36 भाषाओं की जानकारी थी) का भी जन्म हुआ था. मिश्र बताते हैं स्वामी विवेकानंद अपने बचपन के काल में रायपुर के कई स्थानों को देखा था.
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कोलकाता के बाद रायपुर में बिताया था ज्यादा समय
स्वामीजी रायपुर से लौटने के बाद कलकत्ता यूनिवर्सिटी की प्रवेश परीक्षा देकर उन्होंने आगे की पढ़ाई की. रायपुर को यह गौरव है कि कोलकाता के बाद सबसे ज्यादा समय स्वामी विवेकानंद ने ज्यादा समय रायपुर में बिताया. छत्तीसगढ़ में स्वामी विवेकानंद का प्रभाव इस तरह रहा है कि यहां की सरकार द्वारा भी कई महत्वपूर्ण स्थानों का नाम स्वामी विवेकानंद के नाम पर रखा गया है. रायपुर के एयरपोर्ट, रायपुर का ऐतिहासिक बूढ़ातालाब का नाम भी स्वामी विवेकानंद के नाम पर रखा गया है. इसके अलावा तकनीकी उच्च शिक्षा की यूनिवर्सिटी का नाम छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद टेक्निकल यूनिवर्सिटी रखा गया है. कई चौक-चौराहों और महत्वपूर्ण स्थानों की पहचान भी स्वामी विवेकानंद के नाम से है.