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25 मार्च को मनाई जाएगी शीतलाष्टमी, जानिए कैसे करें पूजा ?

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Published : Mar 23, 2022, 7:41 PM IST

हिंदू धर्म में शीतला माता की पूजा का विधान(Law of Workship of Sheetla Mata) है. पूरे भारत में होली के आठवें दिन शीतलाष्टमी मनाई जाती है. जिसमे सभी श्रद्धापूर्व माता शीतला का पूजन करते हैं .

Sheetlashtami will be celebrated on March twenty five
25 मार्च को मनाई जाएगी शीतलाष्टमी

रायपुर: मूल नक्षत्र वरियान, स्थिर योग बालव और तैतिल करण धनु राशि की चंद्रमा, बसंत ऋतु उत्तरायण पक्ष के चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 25 मार्च शुक्रवार को मनाई (Sheetlashtami will be celebrated on March ) जाएगी. यह शीतलाष्टमी और बसोड़ा के नाम से जानी जाती है. आज के दिन लता पादपारोपण धान्य छेदन के लिए शुभ मुहूर्त है. आज का शुभ दिन क्रय-विक्रय के लिए भी बहुत शुभ माना गया है. गृह प्रवेश उपनयन संस्कार, विद्यारंभ संस्कार, अन्नप्राशन संस्कार, जैसे अनेक संस्कारों के लिए यह दिन बहुत शुभ माना गया है.


शीतला माता की होती है पूजा : इस दिन शीतला माता की विधिपूर्वक पूजा की जाती है. माता शीतला संतानों की अधिष्ठात्री देवी है. जो दंपती निसंतान हो. उन्हें इस व्रत का भली-भांति पालन करना चाहिए. निसंतान दंपतियों को इस दिन एकाशना फलाहारी या निराहार रहकर उपवास करना चाहिए. प्राचीन काल से ही माता शीतला का महत्व जगत व्याप्त है. कई बार छोटे बच्चों को छोटी माता, बड़ी माता या अबूझ बीमारियां हो जाती है. ऐसे समय में इस शुभ दिन उन सभी बच्चों को माता शीतला का दर्शन लाभ कराना चाहिए.



कैसे करें माता शीतला की पूजा :आज के शुभ दिन शीतला माता को नई चुनरी नए कपड़े विधानपूर्वक चढ़ाना चाहिए. स्वच्छ और निर्मल स्थान में माता शीतला को रखना चाहिए. अक्षत, परिमल, हल्दी, सिंदूर, बंधन, चंदन भली-भांति लगाना चाहिए. सारे कार्य श्रद्धा और भक्ति के साथ करना चाहिए. छोटी माता से पीड़ित बच्चों को विशेष रूप से माता शीतला का जल पिलाए जाने का कार्य बहुत समय से प्रचलित है. जल पिलाने मात्र से ही बच्चों की कई बीमारियां दूर हो जाती है. अष्टमी का दिन बहुत शुभ माना गया है

ये भी पढ़ें-हिंदू धर्म में सूर्यदेव के 108 नाम और उनका महत्व


कैसा रहेगा ग्रहों का योग : इस दिन चंद्रमा और सूर्य का संबंध चतुर्दशी बनता है. यह सुख व्यक्तित्व को इंगित करता है. इस दिन चंद्रमा धनु राशि में रहेंगे. क्योंकि गुरु की राशि है .इस दिन गुरुजनों माता-पिता की भरपूर सेवा करनी चाहिए. माता पिता की आज्ञा का यथासंभव पालन करने का प्रयास करना चाहिए. माता शीतला को पीले फूल, लाल फूल, विशेष रूप से अष्टमी के दिन चढ़ाए जाने से लाभ मिलता है.

रायपुर: मूल नक्षत्र वरियान, स्थिर योग बालव और तैतिल करण धनु राशि की चंद्रमा, बसंत ऋतु उत्तरायण पक्ष के चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 25 मार्च शुक्रवार को मनाई (Sheetlashtami will be celebrated on March ) जाएगी. यह शीतलाष्टमी और बसोड़ा के नाम से जानी जाती है. आज के दिन लता पादपारोपण धान्य छेदन के लिए शुभ मुहूर्त है. आज का शुभ दिन क्रय-विक्रय के लिए भी बहुत शुभ माना गया है. गृह प्रवेश उपनयन संस्कार, विद्यारंभ संस्कार, अन्नप्राशन संस्कार, जैसे अनेक संस्कारों के लिए यह दिन बहुत शुभ माना गया है.


शीतला माता की होती है पूजा : इस दिन शीतला माता की विधिपूर्वक पूजा की जाती है. माता शीतला संतानों की अधिष्ठात्री देवी है. जो दंपती निसंतान हो. उन्हें इस व्रत का भली-भांति पालन करना चाहिए. निसंतान दंपतियों को इस दिन एकाशना फलाहारी या निराहार रहकर उपवास करना चाहिए. प्राचीन काल से ही माता शीतला का महत्व जगत व्याप्त है. कई बार छोटे बच्चों को छोटी माता, बड़ी माता या अबूझ बीमारियां हो जाती है. ऐसे समय में इस शुभ दिन उन सभी बच्चों को माता शीतला का दर्शन लाभ कराना चाहिए.



कैसे करें माता शीतला की पूजा :आज के शुभ दिन शीतला माता को नई चुनरी नए कपड़े विधानपूर्वक चढ़ाना चाहिए. स्वच्छ और निर्मल स्थान में माता शीतला को रखना चाहिए. अक्षत, परिमल, हल्दी, सिंदूर, बंधन, चंदन भली-भांति लगाना चाहिए. सारे कार्य श्रद्धा और भक्ति के साथ करना चाहिए. छोटी माता से पीड़ित बच्चों को विशेष रूप से माता शीतला का जल पिलाए जाने का कार्य बहुत समय से प्रचलित है. जल पिलाने मात्र से ही बच्चों की कई बीमारियां दूर हो जाती है. अष्टमी का दिन बहुत शुभ माना गया है

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कैसा रहेगा ग्रहों का योग : इस दिन चंद्रमा और सूर्य का संबंध चतुर्दशी बनता है. यह सुख व्यक्तित्व को इंगित करता है. इस दिन चंद्रमा धनु राशि में रहेंगे. क्योंकि गुरु की राशि है .इस दिन गुरुजनों माता-पिता की भरपूर सेवा करनी चाहिए. माता पिता की आज्ञा का यथासंभव पालन करने का प्रयास करना चाहिए. माता शीतला को पीले फूल, लाल फूल, विशेष रूप से अष्टमी के दिन चढ़ाए जाने से लाभ मिलता है.

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