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छत्तीसगढ़ में आज से शुरू होगा रोका छेका अभियान

Roka Cheka campaign Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में बीते साल की तरह इस साल भी 10 जुलाई से रोका छेका अभियान की शुरुआत हो रही है. खरीफ फसलों को सुरक्षित करने मवेशियों को गौठान लाया जाएगा. प्रदेश में पिछले साल भी अभियान के उत्साहजनक परिणाम मिले थे.

Roka Cheka campaign Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में रोका छेका अभियान की शुरुआत
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Published : Jul 10, 2022, 7:42 AM IST

रायपुर: खरीफ फसलों की सुरक्षा के लिए इस साल भी 10 जुलाई से प्रदेशव्यापी रोका छेका अभियान शुरू किया जा रहा है. इस दौरान फसल को चराई से बचाने के लिए पशुओं को नियमित रूप से गौठान में लाने के लिए रोका छेका अभियान के अंतर्गत मुनादी कराई जाएगी. गौठानों में पशु चिकित्सा शिविर लगाकर पशुओं के स्वास्थ्य की जांच, पशु नस्ल सुधार के लिए बधियाकरण, कृत्रिम गर्भधान और टीकाकरण करेंगे.

(Roka Cheka campaign Chhattisgarh )

फसल की सुरक्षा के लिए रोका छेका अभियान: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा "रोका छेका हमारी पुरानी पंरपरा है. राज्य में बीते सालों में भी यह अभियान चलाया गया था, जिसका अच्छा रिजल्ट मिला था. इसे ध्यान में रखते हुए राज्य में चालू खरीफ सीजन के दौरान 10 जुलाई से 20 जुलाई तक यह अभियान दोबारा चलाया जा रहा है. इसकी सफलता के लिए सभी किसानों और पशुपालकों से सहयोग की अपील है. राज्य में खरीफ फसलों की बुवाई तेजी से शुरू हो गई है. सब जानते है कि फसलों की बुवाई के बाद किसानों की सबसे बड़ी चिन्ता फसलों की देखभाल और उसकी सुरक्षा की होती है. फसलों की सुरक्षा के लिए रोका छेका अभियान महत्वपूर्ण साबित हो रहा है, इससे हमारी फसल और पशुधन दोनों सुरक्षित रहेंगे". (Chhattisgarh old tradition Roka Cheka)

गौठानों में पशुओं की अच्छी देखभाल: "बघेल ने कहा कि रोका छेका हमारी पुरानी परंपरा है. इसके माध्यम से हम अपने पशुओं को खुले में चराई के लिए नहीं छोड़ने का संकल्प लेते हैं, ताकि हमारी फसलों को नुकसान ना पहुंचे. पशुओं को अपने घरों, बाड़ों और गौठानों में रखा जाता है और उनके चारे पानी का प्रबंध करना होता है. पशुओं का रोका छेका का काम, अब गांव में गौठानों के बनने से आसान हो गया है. गौठानों में पशुओं की देखभाल और उनके चारे-पानी के प्रबंध की चिंता भी अब आपको करने की जरूरत नहीं है. गौठान समितियां इस काम में लगी हैं".

कोरिया का कटकोना गौठान बना मल्टीएक्टिविटी सेंटर

प्रदेश में 8000 से ज्यादा गौठान बनकर तैयार: राज्य में पशुधन की बेहतर देखभाल हो, इस उद्देश्य से गांव में गौठान बनाए जा रहे हैं. अब तक हमने 10624 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी है, जिसमें से 8408 गौठान बनकर तैयार हो गए हैं. गोठनों में आने वाले पशुओं को सूखा चारा के साथ साथ हरा चारा उपलब्ध हो, इसके लिए सभी गोठनों में चारागाह का विकास तेजी से किया जा रहा है. राज्य के 1200 से अधिक गौठानों में हरे चारे का उत्पादन भी पशुओं के लिए किया जा रहा है".


मुख्यमंत्री बघेल ने कहा "बरसात के दिनों में ही पशुओं में गलघोटू और एकटंगिया की बीमारी होती है. पशुओं को इन दोनों बीमारियों से बचाने के लिए उनकी देखभाल इस मौसम में ज्यादा जरूरी है. रोका छेका का अभियान भी इसमें मददगार होगा. गलघोटू और एकटंगिया बीमारी से बचाव के लिए पशुधन विकास विभाग की तरफ से पशुओं को टीका लगाया जा रहा है. पशुधन हमारी संपत्ति है. इसकी देखभाल करें, खुले में चरने के लिए न छोड़े, इससे हमारी फसल और पशुधन दोनों सुरक्षित रहेंगे".

कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा है "राज्य में खरीफ फसलों की सुरक्षा के लिए इस साल भी रोका छेका का अभियान संचालित किया जा रहा है. हमारे किसान भाईयों ने राज्य में बीते साल रोका छेका अभियान को सफल बनाया था, जिसके कारण राज्य में बंपर फसल उत्पादन हुआ. गांवों में गौठानों के बनने से रोका छेका का काम सहज हो गया है. किसान भाईयों अब अपने पशुओं की देखभाल और उनके चारे पानी के प्रबंध की चिंता करने की जरूरत नहीं है, गौठानों में पशुओं के देखभाल और चारे पानी का प्रबंध है".

रायपुर: खरीफ फसलों की सुरक्षा के लिए इस साल भी 10 जुलाई से प्रदेशव्यापी रोका छेका अभियान शुरू किया जा रहा है. इस दौरान फसल को चराई से बचाने के लिए पशुओं को नियमित रूप से गौठान में लाने के लिए रोका छेका अभियान के अंतर्गत मुनादी कराई जाएगी. गौठानों में पशु चिकित्सा शिविर लगाकर पशुओं के स्वास्थ्य की जांच, पशु नस्ल सुधार के लिए बधियाकरण, कृत्रिम गर्भधान और टीकाकरण करेंगे.

(Roka Cheka campaign Chhattisgarh )

फसल की सुरक्षा के लिए रोका छेका अभियान: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा "रोका छेका हमारी पुरानी पंरपरा है. राज्य में बीते सालों में भी यह अभियान चलाया गया था, जिसका अच्छा रिजल्ट मिला था. इसे ध्यान में रखते हुए राज्य में चालू खरीफ सीजन के दौरान 10 जुलाई से 20 जुलाई तक यह अभियान दोबारा चलाया जा रहा है. इसकी सफलता के लिए सभी किसानों और पशुपालकों से सहयोग की अपील है. राज्य में खरीफ फसलों की बुवाई तेजी से शुरू हो गई है. सब जानते है कि फसलों की बुवाई के बाद किसानों की सबसे बड़ी चिन्ता फसलों की देखभाल और उसकी सुरक्षा की होती है. फसलों की सुरक्षा के लिए रोका छेका अभियान महत्वपूर्ण साबित हो रहा है, इससे हमारी फसल और पशुधन दोनों सुरक्षित रहेंगे". (Chhattisgarh old tradition Roka Cheka)

गौठानों में पशुओं की अच्छी देखभाल: "बघेल ने कहा कि रोका छेका हमारी पुरानी परंपरा है. इसके माध्यम से हम अपने पशुओं को खुले में चराई के लिए नहीं छोड़ने का संकल्प लेते हैं, ताकि हमारी फसलों को नुकसान ना पहुंचे. पशुओं को अपने घरों, बाड़ों और गौठानों में रखा जाता है और उनके चारे पानी का प्रबंध करना होता है. पशुओं का रोका छेका का काम, अब गांव में गौठानों के बनने से आसान हो गया है. गौठानों में पशुओं की देखभाल और उनके चारे-पानी के प्रबंध की चिंता भी अब आपको करने की जरूरत नहीं है. गौठान समितियां इस काम में लगी हैं".

कोरिया का कटकोना गौठान बना मल्टीएक्टिविटी सेंटर

प्रदेश में 8000 से ज्यादा गौठान बनकर तैयार: राज्य में पशुधन की बेहतर देखभाल हो, इस उद्देश्य से गांव में गौठान बनाए जा रहे हैं. अब तक हमने 10624 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी है, जिसमें से 8408 गौठान बनकर तैयार हो गए हैं. गोठनों में आने वाले पशुओं को सूखा चारा के साथ साथ हरा चारा उपलब्ध हो, इसके लिए सभी गोठनों में चारागाह का विकास तेजी से किया जा रहा है. राज्य के 1200 से अधिक गौठानों में हरे चारे का उत्पादन भी पशुओं के लिए किया जा रहा है".


मुख्यमंत्री बघेल ने कहा "बरसात के दिनों में ही पशुओं में गलघोटू और एकटंगिया की बीमारी होती है. पशुओं को इन दोनों बीमारियों से बचाने के लिए उनकी देखभाल इस मौसम में ज्यादा जरूरी है. रोका छेका का अभियान भी इसमें मददगार होगा. गलघोटू और एकटंगिया बीमारी से बचाव के लिए पशुधन विकास विभाग की तरफ से पशुओं को टीका लगाया जा रहा है. पशुधन हमारी संपत्ति है. इसकी देखभाल करें, खुले में चरने के लिए न छोड़े, इससे हमारी फसल और पशुधन दोनों सुरक्षित रहेंगे".

कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा है "राज्य में खरीफ फसलों की सुरक्षा के लिए इस साल भी रोका छेका का अभियान संचालित किया जा रहा है. हमारे किसान भाईयों ने राज्य में बीते साल रोका छेका अभियान को सफल बनाया था, जिसके कारण राज्य में बंपर फसल उत्पादन हुआ. गांवों में गौठानों के बनने से रोका छेका का काम सहज हो गया है. किसान भाईयों अब अपने पशुओं की देखभाल और उनके चारे पानी के प्रबंध की चिंता करने की जरूरत नहीं है, गौठानों में पशुओं के देखभाल और चारे पानी का प्रबंध है".

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