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Rath Yatra 2022: जगन्नाथ रथयात्रा का मुख्य आकर्षण होते हैं तीनों रथ, 'नंदीघोष' पर सवार होते हैं भगवान - जगन्नाथ रथयात्रा 2022

Lord Jagannath Rath Yatra 2022: सभी जानते हैं कि रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा रथ पर भ्रमण करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान जगन्नाथ का रथ सबसे आखिर में खींचा जाता है.

rath yatra 2022
जगन्नाथ रथयात्रा 2022
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Published : Jun 30, 2022, 10:47 PM IST

रायपुर: जगन्नाथ रथयात्रा का मनोरम दृश्य सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लेता है. जगन्नाथ रथयात्रा के आकर्षण का एक केंद्र विशाल और सुंदर रथ है. अक्षय तृतीया के दिन रथों को तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की जाती है. यात्रा में 3 प्रमुख रथ शामिल होते हैं. भक्त रस्सियों का उपयोग करके रथों को अपने हाथों से आगे खींचते हैं.

भगवान जगन्नाथ का रथ नंदीघोष: रस्सी की लंबाई 50 मीटर तक होती है. रथ को खींचना 'पुण्य' का काम माना जाता है. भगवान जगन्नाथ के रथ की ऊंचाई लगभग 45.6 फीट होती है. इसे 'नंदीघोष' कहा जाता है. इस रथ में 18 पहिए लगे होते हैं. भगवान बलभद्र के रथ को 45 फीट ऊंचा बनाया जाता है. इसमें 16 पहिए होते हैं.

Rath Yatra 2022: जानें क्यों निकाली जाती है भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा

भगवान बलभद्र का रथ तालध्वज: भगवान बलभद्र के रथ को 'तालध्वज' कहा जाता है. देवी सुभद्रा को ले जाने वाले रथ को देवदलन कहा जाता है, जिसमें 14 पहिए होते हैं. इसकी ऊंचाई 44.6 फीट होती है. रथों को सुंदर चित्रों, शिल्प और अलग-अलग रंगों से सजाया जाता है, जो उन्हें आकर्षक बनाता है.

रथ यात्रा एक क्रम में शुरू होती है. सबसे पहले भगवान बलभद्र के रथ को खींचा जाता है. इसके बाद देवी सुभद्रा का रथ और फिर भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचा जाता है. रथ यात्रा एक जुलूस के रूप में 3 किमी दूर स्थित एक मंदिर से दूसरे मंदिर तक जाती है.

रायपुर: जगन्नाथ रथयात्रा का मनोरम दृश्य सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लेता है. जगन्नाथ रथयात्रा के आकर्षण का एक केंद्र विशाल और सुंदर रथ है. अक्षय तृतीया के दिन रथों को तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की जाती है. यात्रा में 3 प्रमुख रथ शामिल होते हैं. भक्त रस्सियों का उपयोग करके रथों को अपने हाथों से आगे खींचते हैं.

भगवान जगन्नाथ का रथ नंदीघोष: रस्सी की लंबाई 50 मीटर तक होती है. रथ को खींचना 'पुण्य' का काम माना जाता है. भगवान जगन्नाथ के रथ की ऊंचाई लगभग 45.6 फीट होती है. इसे 'नंदीघोष' कहा जाता है. इस रथ में 18 पहिए लगे होते हैं. भगवान बलभद्र के रथ को 45 फीट ऊंचा बनाया जाता है. इसमें 16 पहिए होते हैं.

Rath Yatra 2022: जानें क्यों निकाली जाती है भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा

भगवान बलभद्र का रथ तालध्वज: भगवान बलभद्र के रथ को 'तालध्वज' कहा जाता है. देवी सुभद्रा को ले जाने वाले रथ को देवदलन कहा जाता है, जिसमें 14 पहिए होते हैं. इसकी ऊंचाई 44.6 फीट होती है. रथों को सुंदर चित्रों, शिल्प और अलग-अलग रंगों से सजाया जाता है, जो उन्हें आकर्षक बनाता है.

रथ यात्रा एक क्रम में शुरू होती है. सबसे पहले भगवान बलभद्र के रथ को खींचा जाता है. इसके बाद देवी सुभद्रा का रथ और फिर भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचा जाता है. रथ यात्रा एक जुलूस के रूप में 3 किमी दूर स्थित एक मंदिर से दूसरे मंदिर तक जाती है.

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