रायपुर: छत्तीसगढ़ में रामायण साड़ी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. कोसे के लिए मशहूर छत्तीसगढ़ में कोसे की साड़ी के आंचल में श्री राम दरबार उतारा गया है. जांजगीर-चांपा जिले के चंद्रपुर के बुनकरों की बनाई हाथकरघा विभाग ने इन साड़ियों को 'रामायण साड़ी' के नाम से लांच किया है. हथकरघा विभाग के द्वारा श्री राम के दरबार के डिजाइन बुनी जा रही है. अपेक्स हेंडलूम फेडरेशन के जनरल मैनेजर ए अयास ने बताया कि रामायण साड़ी को चंद्रपुर के परमेश्वरी बुनकर सहकारी समिति द्वारा तैयार किया जा रहा है.
ए. अयास ने बताया कि रामायण साड़ी की कीमत 15316 रुपए है इस साड़ी को 2 कारीगरों ने मिलकर लगभग 12 दिनों में तैयार किया है इसके पहले साड़ी को तैयार करने में 17 दिन का समय लगा था. रामायण साड़ी इतनी आकर्षक है कि लोग इसको पसंद करने के साथ ही हाथों-हाथों खरीदने लगे हैं. ग्राहकों का कहना है कि यह साड़ी काफी आकर्षक है इसे पूजा-पाठ में करते समय पहना जा सकता है. रामायण साड़ी इतनी आकर्षक है कि लोग इसको पसंद करने के साथ ही हाथों-हाथों खरीदने लगे हैं. रामायण साड़ी बिलासा एंपोरियम रायपुर में उपलब्ध होने के साथ-साथ ऑनलाइन बिक्री के लिए भी उपलब्ध है.
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पहले लॉन्च हो चुका है कौशल्या कलेक्शन
छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना राम वन गमन पथ को राष्ट्रीय पर्यटन स्थल विकसित करने के साथ ही हाथकरघा विभाग द्वारा चंद्रपुर के बुनकरों द्वारा कोसा की साड़ियों के आंचल पर अपनी कल्पनाशीलता से श्री राम जी के दरबार के डिजाइन बुनी जा रही है. ए. अयास ने बताया कि इससे पहले हथकरघा विभाग द्वारा कौशिल्या कलेक्शन के नाम से साड़ियों की नई श्रृखंला लांच की गई थी. इन साड़ियों में चंदखुरी स्थित माता कौशिल्या के मंदिर के वास्तुकला की डिजाईन उकेरी गई थी. इसके अलावा दूधाधारी मठ की डिजाइन उकेरी गई साड़ियां भी तैयार की गई हैं.
- हाथकरघा संघ द्वारा रामायण साड़ी की मार्केटिंग की भी व्यवस्था की जा रही है.
- राम वन गमन पथ में शामिल सभी पर्यटन स्थलों पर पूर्व में लांच की गई कौशल्या कलेक्शन के साथ-साथ रामायण साड़ियों और वस्त्रों का स्टॉल लगाकर प्रदर्शनी-सह-विक्रय किया जाएगा.
- माता कौशल्या मंदिर सहित अन्य धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों पर आने वाले श्रद्धालु एवं पर्यटक इन वस्त्रों को खरीद सकेंगे.
- रामायण साड़ी को चंद्रपुर के परमेश्वरी बुनकर सहकारी समिति द्वारा तैयार किया जा रहा है.
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बुनकरों को हुआ फायदा
छत्तीसगढ़ के बुनकरों ने कोविड संक्रमणकाल को भी अपनी लगन और मेहनत से आपदा को भी अवसर में बदला है. इस अवधि में बुनकरों ने अपनी कल्पनाशीलता से छत्तीसगढ़ की अमूल्य धरोहरों जैसे माता कौशिल्या मंदिर की वास्तुकला और भगवान श्री राम के दरबार के अलौकिक दृश्य को साड़ियों में उतारने का सराहनीय काम किया है. चंदखुरी भगवान राम का ननिहाल है. इसकी धार्मिक महत्ता और मंदिर की मान्यता को देखते हुए हथकरघा विभाग द्वारा इससे पहले कौशिल्या कलेक्शन के नाम से साड़ियों और वस्त्रों की नई सीरीज लॉन्च की गई थी, जिसे अच्छा रेस्पॉन्स मिला और बुनकरों को भी फायदा हुआ.