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रामायण साड़ी: आंचल पर उतरा श्री राम दरबार, चंद्रपुर के बुनकरों की मेहनत को मिल रहा लोगों का प्यार - shri ram darbar saree

छत्तीसगढ़ में इन दिनों रामायण साड़ी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. कोसे के लिए मशहूर छत्तीसगढ़ में हथकरघा विभाग ने राम दरबार को साड़ी के आंचल में उतार दिया है.

ramayana sari having shri ram darbar in aanchal attracting people in chhatishgarh
साड़ी में राम दरबार
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Published : Nov 30, 2020, 12:47 PM IST

Updated : Nov 30, 2020, 2:42 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में रामायण साड़ी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. कोसे के लिए मशहूर छत्तीसगढ़ में कोसे की साड़ी के आंचल में श्री राम दरबार उतारा गया है. जांजगीर-चांपा जिले के चंद्रपुर के बुनकरों की बनाई हाथकरघा विभाग ने इन साड़ियों को 'रामायण साड़ी' के नाम से लांच किया है. हथकरघा विभाग के द्वारा श्री राम के दरबार के डिजाइन बुनी जा रही है. अपेक्स हेंडलूम फेडरेशन के जनरल मैनेजर ए अयास ने बताया कि रामायण साड़ी को चंद्रपुर के परमेश्वरी बुनकर सहकारी समिति द्वारा तैयार किया जा रहा है.

आंचल पर उतरा श्री राम दरबार

ए. अयास ने बताया कि रामायण साड़ी की कीमत 15316 रुपए है इस साड़ी को 2 कारीगरों ने मिलकर लगभग 12 दिनों में तैयार किया है इसके पहले साड़ी को तैयार करने में 17 दिन का समय लगा था. रामायण साड़ी इतनी आकर्षक है कि लोग इसको पसंद करने के साथ ही हाथों-हाथों खरीदने लगे हैं. ग्राहकों का कहना है कि यह साड़ी काफी आकर्षक है इसे पूजा-पाठ में करते समय पहना जा सकता है. रामायण साड़ी इतनी आकर्षक है कि लोग इसको पसंद करने के साथ ही हाथों-हाथों खरीदने लगे हैं. रामायण साड़ी बिलासा एंपोरियम रायपुर में उपलब्ध होने के साथ-साथ ऑनलाइन बिक्री के लिए भी उपलब्ध है.

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रामायण साड़ी

पढ़ें- राम वन गमन पथ की कार्ययोजना तैयार, 2 हजार 260 किलोमीटर होगी लंबाई

पहले लॉन्च हो चुका है कौशल्या कलेक्शन

छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना राम वन गमन पथ को राष्ट्रीय पर्यटन स्थल विकसित करने के साथ ही हाथकरघा विभाग द्वारा चंद्रपुर के बुनकरों द्वारा कोसा की साड़ियों के आंचल पर अपनी कल्पनाशीलता से श्री राम जी के दरबार के डिजाइन बुनी जा रही है. ए. अयास ने बताया कि इससे पहले हथकरघा विभाग द्वारा कौशिल्या कलेक्शन के नाम से साड़ियों की नई श्रृखंला लांच की गई थी. इन साड़ियों में चंदखुरी स्थित माता कौशिल्या के मंदिर के वास्तुकला की डिजाईन उकेरी गई थी. इसके अलावा दूधाधारी मठ की डिजाइन उकेरी गई साड़ियां भी तैयार की गई हैं.

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साड़ी में राम दरबार
  • हाथकरघा संघ द्वारा रामायण साड़ी की मार्केटिंग की भी व्यवस्था की जा रही है.
  • राम वन गमन पथ में शामिल सभी पर्यटन स्थलों पर पूर्व में लांच की गई कौशल्या कलेक्शन के साथ-साथ रामायण साड़ियों और वस्त्रों का स्टॉल लगाकर प्रदर्शनी-सह-विक्रय किया जाएगा.
  • माता कौशल्या मंदिर सहित अन्य धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों पर आने वाले श्रद्धालु एवं पर्यटक इन वस्त्रों को खरीद सकेंगे.
  • रामायण साड़ी को चंद्रपुर के परमेश्वरी बुनकर सहकारी समिति द्वारा तैयार किया जा रहा है.

पढ़ें- SPECIAL: छत्तीसगढ़ में राम का धाम, 16 साल लंबे शोध के बाद अब राम वन गमन पथ का सपना होगा साकार

बुनकरों को हुआ फायदा

छत्तीसगढ़ के बुनकरों ने कोविड संक्रमणकाल को भी अपनी लगन और मेहनत से आपदा को भी अवसर में बदला है. इस अवधि में बुनकरों ने अपनी कल्पनाशीलता से छत्तीसगढ़ की अमूल्य धरोहरों जैसे माता कौशिल्या मंदिर की वास्तुकला और भगवान श्री राम के दरबार के अलौकिक दृश्य को साड़ियों में उतारने का सराहनीय काम किया है. चंदखुरी भगवान राम का ननिहाल है. इसकी धार्मिक महत्ता और मंदिर की मान्यता को देखते हुए हथकरघा विभाग द्वारा इससे पहले कौशिल्या कलेक्शन के नाम से साड़ियों और वस्त्रों की नई सीरीज लॉन्च की गई थी, जिसे अच्छा रेस्पॉन्स मिला और बुनकरों को भी फायदा हुआ.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में रामायण साड़ी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. कोसे के लिए मशहूर छत्तीसगढ़ में कोसे की साड़ी के आंचल में श्री राम दरबार उतारा गया है. जांजगीर-चांपा जिले के चंद्रपुर के बुनकरों की बनाई हाथकरघा विभाग ने इन साड़ियों को 'रामायण साड़ी' के नाम से लांच किया है. हथकरघा विभाग के द्वारा श्री राम के दरबार के डिजाइन बुनी जा रही है. अपेक्स हेंडलूम फेडरेशन के जनरल मैनेजर ए अयास ने बताया कि रामायण साड़ी को चंद्रपुर के परमेश्वरी बुनकर सहकारी समिति द्वारा तैयार किया जा रहा है.

आंचल पर उतरा श्री राम दरबार

ए. अयास ने बताया कि रामायण साड़ी की कीमत 15316 रुपए है इस साड़ी को 2 कारीगरों ने मिलकर लगभग 12 दिनों में तैयार किया है इसके पहले साड़ी को तैयार करने में 17 दिन का समय लगा था. रामायण साड़ी इतनी आकर्षक है कि लोग इसको पसंद करने के साथ ही हाथों-हाथों खरीदने लगे हैं. ग्राहकों का कहना है कि यह साड़ी काफी आकर्षक है इसे पूजा-पाठ में करते समय पहना जा सकता है. रामायण साड़ी इतनी आकर्षक है कि लोग इसको पसंद करने के साथ ही हाथों-हाथों खरीदने लगे हैं. रामायण साड़ी बिलासा एंपोरियम रायपुर में उपलब्ध होने के साथ-साथ ऑनलाइन बिक्री के लिए भी उपलब्ध है.

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रामायण साड़ी

पढ़ें- राम वन गमन पथ की कार्ययोजना तैयार, 2 हजार 260 किलोमीटर होगी लंबाई

पहले लॉन्च हो चुका है कौशल्या कलेक्शन

छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना राम वन गमन पथ को राष्ट्रीय पर्यटन स्थल विकसित करने के साथ ही हाथकरघा विभाग द्वारा चंद्रपुर के बुनकरों द्वारा कोसा की साड़ियों के आंचल पर अपनी कल्पनाशीलता से श्री राम जी के दरबार के डिजाइन बुनी जा रही है. ए. अयास ने बताया कि इससे पहले हथकरघा विभाग द्वारा कौशिल्या कलेक्शन के नाम से साड़ियों की नई श्रृखंला लांच की गई थी. इन साड़ियों में चंदखुरी स्थित माता कौशिल्या के मंदिर के वास्तुकला की डिजाईन उकेरी गई थी. इसके अलावा दूधाधारी मठ की डिजाइन उकेरी गई साड़ियां भी तैयार की गई हैं.

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साड़ी में राम दरबार
  • हाथकरघा संघ द्वारा रामायण साड़ी की मार्केटिंग की भी व्यवस्था की जा रही है.
  • राम वन गमन पथ में शामिल सभी पर्यटन स्थलों पर पूर्व में लांच की गई कौशल्या कलेक्शन के साथ-साथ रामायण साड़ियों और वस्त्रों का स्टॉल लगाकर प्रदर्शनी-सह-विक्रय किया जाएगा.
  • माता कौशल्या मंदिर सहित अन्य धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों पर आने वाले श्रद्धालु एवं पर्यटक इन वस्त्रों को खरीद सकेंगे.
  • रामायण साड़ी को चंद्रपुर के परमेश्वरी बुनकर सहकारी समिति द्वारा तैयार किया जा रहा है.

पढ़ें- SPECIAL: छत्तीसगढ़ में राम का धाम, 16 साल लंबे शोध के बाद अब राम वन गमन पथ का सपना होगा साकार

बुनकरों को हुआ फायदा

छत्तीसगढ़ के बुनकरों ने कोविड संक्रमणकाल को भी अपनी लगन और मेहनत से आपदा को भी अवसर में बदला है. इस अवधि में बुनकरों ने अपनी कल्पनाशीलता से छत्तीसगढ़ की अमूल्य धरोहरों जैसे माता कौशिल्या मंदिर की वास्तुकला और भगवान श्री राम के दरबार के अलौकिक दृश्य को साड़ियों में उतारने का सराहनीय काम किया है. चंदखुरी भगवान राम का ननिहाल है. इसकी धार्मिक महत्ता और मंदिर की मान्यता को देखते हुए हथकरघा विभाग द्वारा इससे पहले कौशिल्या कलेक्शन के नाम से साड़ियों और वस्त्रों की नई सीरीज लॉन्च की गई थी, जिसे अच्छा रेस्पॉन्स मिला और बुनकरों को भी फायदा हुआ.

Last Updated : Nov 30, 2020, 2:42 PM IST
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