रायपुरः पूर्ववर्ती और वर्तमान सरकार (previous and present government) के साथ भ्रष्टाचार-घोटाले (corruption scam) का आरोप चोली-दामन के रूप में चल रहा है. इन घोटालों और भ्रष्टाचार को लेकर विपक्ष में रहते हुए सभी राजनीतिक दल आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे हैं. कार्रवाई की मांग करते हैं. लेकिन सत्ता में आने के बाद फिर वे उन चीजों को भूल जाते हैं और नए घोटालों की प्रक्रिया शुरू हो जाती है.
ऐसा ही कुछ छत्तीसगढ़ में देखने को मिल रहा है. जहां एक और विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस (Congress) ने रमन सरकार (Raman Sarkar) में 15 साल में कई घोटाले और भ्रष्टाचार (scams and corruption) करने का आरोप लगाया था लेकिन सत्ता में आने के बाद उन मामलों में न तो कोई कार्रवाई किया गया और ना ही किसी को जेल भेजा गया. आइए ऐसे ही कुछ पूर्व व वर्तमान सरकार के कार्यकाल में हुए चर्चित भ्रष्टाचार और घोटालों (corruption and scams) की बात करते हैं.
कांग्रेस सरकार को अभी 3 साल पूरे नहीं हुए हैं लेकिन इसके पहले ही कुछ मामलों को लेकर सरकार सुर्खियों में है. वरिष्ठ पत्रकार राम अवतार तिवारी बताते हैं कि पूर्व की भाजपा सरकार हो या फिर वर्तमान की कांग्रेस सरकार, सभी पर घोटालों के आरोप लगते रहे हैं. अगर कांग्रेस सरकार की बात की जाए तो यहां धान के मामले को लेकर लगातार सरकार घिरती नजर आ रही है.
धान घोटाला
राम अवतार तिवारी ने बताया कि वर्तमान की भूपेश सरकार पर धान घोटाले को लेकर कई संगीन आरोप लगे हैं. कांग्रेस सरकार के द्वारा केंद्रीय पूल में दिए जाने वाले चावल को नहीं लिया गया और इसके बाद राज्य सरकार ने टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से बचे हुए धान बिक्री खरीदी से काफी कम दर पर की. इसे लेकर भाजपा ने राज्य सरकार को घेरने का प्रयास किया है. इसमें कहीं ना कहीं की बड़े पैमाने पर घोटाला के आरोप भी लगते रहे हैं.
शराब का अवैध कारोबार
राम अवतार तिवारी ने कहा कि शराब के अवैध कारोबार के भी भूपेश सरकार पर आरोप लगे हैं जो कि पूर्व की भाजपा सरकार पर लगते रहे हैं. पूर्व भाजपा सरकार ने भी शराबबंदी की बात कही थी लेकिन शराबबंदी नहीं हुई और वर्तमान में कांग्रेस सरकार भी शराब बंद करने में अब तक नाकाम रही है.
गोबर खरीदी घोटाला
भाजपा के द्वारा भूपेश सरकार पर गोबर खरीदी घोटाले के भी आरोप लगाए गए हैं जो चर्चा में बने रहे. भाजपा का तो यहां तक दावा है कि आने वाले समय में चारा घोटाला से बड़ा गोबर घोटाला प्रदेश में देखने को मिल सकता है.
तिवारी ने कहा कि कांग्रेस सरकार का पहला साल चुनावी और दूसरे साल कोरोना में चले गए. इस वजह से ज्यादा काम नहीं हो सका है और यही कारण है कि अभी कांग्रेस सरकार पर ज्यादा घोटाले के आरोप नहीं लगेंगे. उन्होंने भाजपा के 15 साल के शासन काल पर कहा कि कई बड़े घोटाले हुए. तिवारी ने बताया कि नान घोटाला, पनामा मामला, डीकेएस घोटाला, एक्सप्रेसवे घोटाला, मोबाइल घोटाला और प्रियदर्शनी घोटाला सुर्खियों में छाए रहे.
क्या था नान घोटाला?
यह मामला साल 2015 में सामने आया था जब छत्तीसगढ़ में एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा ने 12 फरवरी को नागरिक आपूर्ति निगम के कुछ बड़े अधिकारियों और कर्मचारियों के विभिन्न ठिकानों पर छापेमार कार्रवाई की. इस छापेमार कार्रवाई में कारोड़ों रुपए, कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज, हार्ड डिक्स और डायरी भी जब्त गई. आरोप है कि छत्तीसगढ़ में सरकार की ओर से चावल मील में लाखों क्विंटल घटिया चावल खरीदे गए और इसके लिए नेताओं और अधिकारियों को करोड़ों रुपए की रिश्वत दी गई. राशन वितरण के ट्रांसपोर्टेशन में भी बड़ी रकम के घोटाले का भी आरोप है
साल 2015 में हुए इस छापेमारी के दौरान डायरी में 'सीएम मैडम' का जिक्र था. तब विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह खुद इस घोटाले में शामिल हैं. कांग्रेस का आरोप था कि डायरी में दर्ज सीएम मैडम से साफ है कि इसमें खुद मुख्यमंत्री रमन सिंह के करीबी लोग शामिल हैं. इसके अलावा कांग्रेस का यह भी आरोप था कि राज्य में इस राशन घोटाले को अंजाम देने के लिए 20 लाख फर्जी राशन कार्ड बनाए गए थे.
पनामा कांड
पनामा मामले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे अभिषेक सिंह का नाम शामिल होने के आरोप लगे हैं. यह आरोप कांग्रेस ने लगाया था. हालांकि यह बात आ रही थी कि अभिषेक के नाम की स्पेलिंग के अक्षर को बदल दिया गया है. जिसमें E ही जगह A का इस्तेमाल किया गया है. इस मामले को लेकर उस दौरान कांग्रेस ने तत्कालीन भाजपा सरकार को जम कर घेरने की कोशिश की थी.
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क्या है डीकेएस अस्पताल विवाद?
पूर्वर्ती सरकार के कार्यकाल में रायपुर स्थित डीकेएस अस्पताल को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बनाने का फैसला हुआ. इसके लिए पीएनबी से लोन लिया गया. पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के दमाद डॉ पुनीत गुप्ता इस अस्पताल के अधीक्षक बनाए गए.आरोप है कि अस्पताल के पुनर्निर्माण व उपकरणों की खरीदी में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई है. नई सरकार ने इस मामले की जांच पुलिस को सौंप दी. पुलिस ने पूर्व में पीएनबी के तत्कालीन एडीएम को दिल्ली से गिरफ्तार भी किया था. हालांकि उसके बाद से यह मामला ठंडा पड़ा हुआ है.
एक्सप्रेस-वे मामला
पूर्व की भाजपा सरकार के शासनकाल में राज्य सड़क विकास विकास निगम द्वारा साल 2028-19 में स्टेशन से शदाणी दरबार तक छोटी रेल लाइन पर 12 किलोमीटर लंबी एक्सप्रेसवे सड़क लगभग 3500 करोड़ की लागत से बनाई गई. पिछली सरकार ने गुणवत्ता पर नजर रखने के लिए भोपाल की एक कंपनी को नियुक्त किया था. इस सड़क के 5 क्रॉसिंग था. देवेंद्र नगर, पंडरी बस स्टैंड, शंकर नगर, अवंती विहार, तेलीबांधा रिंग रोड को जोड़ते हुए ओवरब्रिज के दायरे वाली सड़क पहली बरसात में ही धंस गई. जुलाई में भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ होने पर शासन प्रशासन में हड़कंप मच गया. हालांकि कांग्रेस सरकार मामले में जांच और कार्रवाई कर रही है.
मोबाइल घोटाला
तत्कालीन भाजपा सरकार ने विधानसभा चुनाव 2018 के ठीक पहले 50 लाख मोबाइल बांटने का लक्ष्य तय किया था. करीब 20 लाख मोबाइल बांटा गया लेकिन चुनाव में भाजपा को इसका कोई फायदा नहीं मिला. भाजपा चुनाव हार गई. इसके बाद कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई. कांग्रेस सरकार में इन मोबाइलों को बांटने पर रोक लगा दी. मोबाइल अब कबाड़ हो चुके हैं.
प्रियदर्शनी घोटाला
प्रियदर्शनी बैंक साल 2006 में आर्थिक अनियमितता पाए जाने पर बंद हुआ था . बैंक में 28 करोड़ का घोटाला सामने आने के बाद सभी खातेदारों में हड़कंप मच गया था. बैंक में करीब 22000 खातेदार थे. घोटाला उजागर होने के बाद बैंक ने अपने आप को डिफाल्टर घोषित कर दिया था और इंश्योरेंस कंपनी की मदद से खातेदारों को राशि भी लौटाई गई थी. लेकिन यह राशि काफी कम थी. अभी भी उपभोक्ताओं के करीब 14 करोड़ लौटाना बाकी है.
सभी करते हैं घोटालों पर राजनीति
राम अवतार तिवारी ने कहा कि सरकार चाहे जो भी हो उनमें घोटाले होते रहते हैं. विपक्ष में रहते हुए जो पार्टी सरकार के घोटालों पर उंगली उठाती है, कार्रवाई की मांग करती है, सत्ता में आने के बाद उन घोटालों पर कोई कार्रवाई न करना, उनकी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े करते हैं. जोगी के कार्यकाल में भाजपा ने कई घोटाले उजागर किए थे और कार्रवाई की मांग की थी. लेकिन सत्ता में आने के बाद 15 सालों में और घोटालों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.