रायपुर: शासकीय कर्मचारी पंजा छाप के साथ हैं या कमल छाप के साथ, यह चर्चा इन दिनों प्रदेश में चल रही है (politics on government employees in chhattisgarh). इसे लेकर पक्ष विपक्ष के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ संरक्षक विजय झा का कहना है कि "शासकीय कर्मचारी ना तो पंजा छाप है और ना ही कमल छाप. उन्होंने यह बात राज्य में पक्ष और विपक्ष के उन बयानों पर कही है, जिसमें रमन सिंह ने कर्मचारियों को पंजा छाप कहा था और पूर्व में विपक्ष में रहते हुए भूपेश बघेल ने कर्मचारियों को कमल छाप कहा था". Politics heats up on opposition allegations
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अधिकारियों को डरा धमका रही भाजपा: कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का कहना है कि "आज भाजपा के द्वारा उन अधिकारियों को डराया धमकाया जा रहा है, जो छत्तीसगढ़ की सेवा कर रहे हैं. सरकार की योजनाओं को जन जन तक पहुंचा रहे हैं. यह पंजा छाप अधिकारी नहीं है, बल्कि सत्यमेव जयते के निशान के नीचे खड़े होकर जनता की सेवा करने वाले अधिकारी हैं. भाजपा और डॉक्टर रमन सिंह को कर्मचारियों को लेकर दिए गए बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए."
धनंजय ने कहा कि "पूर्व में भाजपा शासनकाल के दौरान बच्चा बच्चा जानता था कि कौन से अधिकारी सीएम है और कौन सुपर सीएम है." धनंजय ने भाजपा से पूछा है कि "पहले वह यह बताएं कि प्रदेश में कितने अधिकारी भ्रष्ट हैं. आज तीन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह 40 अधिकारी पर ईडी की कार्रवाई की बात करते हैं. वर्तमान में प्रदेश में 3 अधिकारियों के खिलाफ ईडी की कार्रवाई चल रही है. ऐसे में भाजपा को बताना चाहिए कि क्या ईडी कार्रवाई करने से पहले भाजपा कार्यालय पहुंची थी."
पक्ष विपक्ष की राजनीति में पिस रहे शासकीय कर्मचारी: जब कांग्रेस विपक्ष में थी, तो उस दौरान कर्मचारियों पर नान सहित अन्य मामलों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग करती थी. इतना ही नहीं कई विभागों में भ्रष्टाचार के मामले को लेकर तत्कालीन भाजपा सरकार पर भी कांग्रेस ने कई संगीन आरोप लगाए थे. सत्ता परिवर्तन के बाद इन कर्मचारियों को देख लेने की चेतावनी तक दी गई थी. लेकिन अब सत्ता परिवर्तन के बाद यही आरोप कांग्रेस सरकार पर लग रहे हैं. आरोप लगाने वाली पार्टी कोई और नहीं पूर्व में सत्ता पर काबिज भाजपा है.