रायपुर: पुत्रदा एकादशी (Paush Putrada Ekadashi january 2022), वैकुंठ एकादशी, लोहड़ी, का पर्व गुरुवार को मनाया जा रहा है. पुत्रदा एकादशी का व्रत कृतिका नक्षत्र, लुंबा योग विष्कुंभकरण और ववकरण योग में मनाया जा रहा है. इस दिन रवि योग भी बन रहा है. साथ ही यम योग भी निर्मित हो रहा है. चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में विराजमान रहेगा. इस दिन पुत्र की कामना और जीवित पुत्र के आयुष्य, निरोग, समृद्धि, सफलता और उन्नयन के लिए माता और पिता व्रत करते हैं.
पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि 'एकादशी तिथि 12 जनवरी से शुरू हो चुकी है. शाम 4 बजकर 50 मिनट से लेकर 13 जनवरी की शाम 7 बजकर 32 मिनट तक पूर्ण तिथि रहेगी. इस व्रत का पारण दूसरे दिन 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन सुबह 7:25 से 9:31 बजे तक करना उचित रहेगा. पुत्रदा एकादशी के व्रत में सुदर्शन चक्रधारी श्री हरि विष्णु जी की पूजा पाठ, आराधना और स्तुति की जाती है. इस शुभ दिन लक्ष्मी सुक्तम, श्री सुक्तम, विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु जी की आरती का गायन करना बहुत शुभ माना गया है'.
निसंतान दंपती को व्रत से मिलेगा लाभ
'कई विद्वान इस दिन निराहार उपवास की सलाह देते हैं. शाम को चंद्र दर्शन के बाद फलाहार के माध्यम से उपवास तोड़ा जाता है. ऐसे जातक जिनकी संतान नहीं हुई है. पति-पत्नी दोनों को ही इस दिन कृष्ण जी की पूजा आराधना और साधना करनी चाहिए. कृष्ण जी का सिद्ध मंत्र का पाठ करना चाहिए. विष्णु जी की आरती सभी जगह गुंजायमान रहती है. मुख्य रूप से नारायण यानी माधव की उपासना का पर्व है. जिनके पुत्र के स्वास्थ्य में कोई तकलीफ है तो उन्हें विष्णु जी की पूजा उपासना करनी चाहिए. श्री हरि विष्णु की प्रसन्नता से संतान के आरोग्य में सुधार हो जाता है'.
Makar Sankranti 2022: जानें, मकर संक्रांति पर कैसे बनाते हैं तिल्ली के लड्डू