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छत्तीसगढ़ के ऑनलाइन एजुकेशन प्रोग्राम पढ़ई तुंहर दुहार को मिला अवॉर्ड - शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ आलोक शुक्ला

छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग के पढ़ई तुंहर दुआर को अवार्ड ऑफ एक्सिलेंस मिला है. स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने इस उपलब्धि के लिए प्रदेश के सभी शिक्षकों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं.

padhai tuhnar duar got award of excellence
अवार्ड ऑफ एक्सिलेंस
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Published : Dec 12, 2020, 2:03 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग के ऑनलाइन एजुकेशन प्रोग्राम को अवॉर्ड मिला है. 'पढ़ई तुंहर दुआर' को डिजिटल कैटेगरी में अवॉर्ड ऑफ एक्सीलेंस मिला है. दसवें ईलेट्स नॉलेज एक्सचेंज समिट एडं अवार्ड समिति की तरफ से ये अवॉर्ड दिया गया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 7 अप्रैल 2020 को 'पढ़ई तुंहर दुआर' कार्यक्रम का शुभारंभ किया था. स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने इस उपलब्धि के लिए प्रदेश के सभी शिक्षकों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं.

'शिक्षकों को समर्पित अवॉर्ड'
छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉक्टर आलोक शुक्ला ने इस ऑनलाइन अवार्ड सेरेमनी को संबोधित करते हुए इस अवार्ड को छत्तीसगढ़ के शिक्षकों को समर्पित किया है. उन्होंने कहा कि राज्य के शिक्षकों ने लॉकडाउन के दौरान बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए उल्लेखनीय प्रयास किए हैं. इस दौरान शिक्षकों ने शिक्षा के लिए विभिन्न नवाचार किए. कोरिया जिले में शिक्षक अशोक लोधी अपनी मोटर साइकिल में टीवी बांधकर बैटरी से एलसीडी के माध्यम से गांव-गांव घूमकर बच्चों को पढ़ाई से संबंधित वीडियो दिखाने का कार्य किया. उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री ने भी जशपुर के शिक्षक के नवाचार का जिक्र मन की बात में किया था.

पढ़ें: SPECIAL: छात्रों के लिए लाउस्पीकर बना वरदान, बच्चों को बिना नेटवर्क मिल रहा ज्ञान

2 लाख से ज्यादा छात्र पंजीकृत
राज्य में कोरोनाकाल में बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए तैयार इल वेबसाइट को पूरी तरह से स्कूल शिक्षा विभाग ने बगैरे किसी बाहरी सहयोग के बनाया था. इसमें समय और लागत दोनों ही कम लगी थी. प्रमुख सचिव (स्कूल शिक्षा) ने बताया कि वर्तमान में 24 लाख से अधिक बच्चे और 2 लाख से अधिक शिक्षक पंजीकृत हैं. शिक्षकों की ली जाने वाली ऑनलाइन कक्षाओं के आधार पर विद्यार्थियों को होम वर्क दिया जाता है. होम वर्क और असाइनमेंट की जांच कर टीचर्स बच्चों को फीडबैक भी देते हैं.

पढ़ें: छत्तीसगढ़ : नेटवर्क नहीं पहुंचा तो पहुंच गए शिक्षक, ऑफलाइन ज्ञान व बच्चों का पूरा ध्यान

'बुल्टू के बोल' का जिक्र

ऐसे पैरेंट्स जिनके पास एंडॉयड फोन है, सामान्य फीचर्स वाले फोन हैं, उनकी सुविधा के लिए 'बुल्टू के बोल' कार्यक्रम की शुरुआत की गई है. इसके जरिए ऑडियो लेसन्स को हाट-बाजारों में ब्लू-टूथ के माध्यम से ट्रांसफर करने के सिस्टम के बारे में भी बताया गया.

रायपुर: छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग के ऑनलाइन एजुकेशन प्रोग्राम को अवॉर्ड मिला है. 'पढ़ई तुंहर दुआर' को डिजिटल कैटेगरी में अवॉर्ड ऑफ एक्सीलेंस मिला है. दसवें ईलेट्स नॉलेज एक्सचेंज समिट एडं अवार्ड समिति की तरफ से ये अवॉर्ड दिया गया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 7 अप्रैल 2020 को 'पढ़ई तुंहर दुआर' कार्यक्रम का शुभारंभ किया था. स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने इस उपलब्धि के लिए प्रदेश के सभी शिक्षकों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं.

'शिक्षकों को समर्पित अवॉर्ड'
छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉक्टर आलोक शुक्ला ने इस ऑनलाइन अवार्ड सेरेमनी को संबोधित करते हुए इस अवार्ड को छत्तीसगढ़ के शिक्षकों को समर्पित किया है. उन्होंने कहा कि राज्य के शिक्षकों ने लॉकडाउन के दौरान बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए उल्लेखनीय प्रयास किए हैं. इस दौरान शिक्षकों ने शिक्षा के लिए विभिन्न नवाचार किए. कोरिया जिले में शिक्षक अशोक लोधी अपनी मोटर साइकिल में टीवी बांधकर बैटरी से एलसीडी के माध्यम से गांव-गांव घूमकर बच्चों को पढ़ाई से संबंधित वीडियो दिखाने का कार्य किया. उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री ने भी जशपुर के शिक्षक के नवाचार का जिक्र मन की बात में किया था.

पढ़ें: SPECIAL: छात्रों के लिए लाउस्पीकर बना वरदान, बच्चों को बिना नेटवर्क मिल रहा ज्ञान

2 लाख से ज्यादा छात्र पंजीकृत
राज्य में कोरोनाकाल में बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए तैयार इल वेबसाइट को पूरी तरह से स्कूल शिक्षा विभाग ने बगैरे किसी बाहरी सहयोग के बनाया था. इसमें समय और लागत दोनों ही कम लगी थी. प्रमुख सचिव (स्कूल शिक्षा) ने बताया कि वर्तमान में 24 लाख से अधिक बच्चे और 2 लाख से अधिक शिक्षक पंजीकृत हैं. शिक्षकों की ली जाने वाली ऑनलाइन कक्षाओं के आधार पर विद्यार्थियों को होम वर्क दिया जाता है. होम वर्क और असाइनमेंट की जांच कर टीचर्स बच्चों को फीडबैक भी देते हैं.

पढ़ें: छत्तीसगढ़ : नेटवर्क नहीं पहुंचा तो पहुंच गए शिक्षक, ऑफलाइन ज्ञान व बच्चों का पूरा ध्यान

'बुल्टू के बोल' का जिक्र

ऐसे पैरेंट्स जिनके पास एंडॉयड फोन है, सामान्य फीचर्स वाले फोन हैं, उनकी सुविधा के लिए 'बुल्टू के बोल' कार्यक्रम की शुरुआत की गई है. इसके जरिए ऑडियो लेसन्स को हाट-बाजारों में ब्लू-टूथ के माध्यम से ट्रांसफर करने के सिस्टम के बारे में भी बताया गया.

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