रायपुरः छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण में असमय मौत की नींद सो जाने वाले लोगों के बच्चों को महतारी दुलार योजना का लाभ दिया जाना था. इस महत्वपूर्ण योजना की शुरूआत भूपेश सरकार ने की थी. योजना के तहत स्वामी आत्मानंद स्कूल में अनाथ बच्चों का एडमिशन होना था. कक्षा एक से 12 वीं तक के बच्चों के खातों में 500 और 1000 रुपए मासिक स्कॉलरशिप दी जानी थी. इसके लिए छत्तीसगढ़ में 2373 बच्चों की पहचान भी की गई. लेकिन बच्चों के खाते में अभी तक यह राशि नहीं गई.
महतारी दुलार योजना के अंतर्गत बच्चों को छात्रवृत्ति नहीं मिलने को लेकर प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया है. एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने बताया कि प्रदेश में ऐसे हजारों बच्चे हैं जिन्हे महतारी दुलार योजना की छात्रवृत्ति नहीं दी गई. अनाथ बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे हैं. उनकी फीस भी राज्य सरकार को देनी है.
बीजेपी एमएलए ने कहा-घोषणावीर भूपेश सरकार
बीजेपी विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि यह सरकार सिर्फ घोषणाएं करती है. महतारी दुलार योजना की शुरुआत करते समय करोड़ों का सरकारी विज्ञापन छपवाया गया लेकिन अनाथ बच्चों को आजतक छात्रवृत्ति मुनासिब नहीं हो सका. अनाथ बच्चों की परवरिश के लिए सरकार ने जो भी घोषणाएं की है, उस पर खरा नहीं उतर रही है.
रायपुर जिला शिक्षा अधिकारी एएन बंजारा ने बताया कि जिन बच्चों के खातों की जानकारी मिल रही है, बच्चों की खातों में स्कॉलरशिप सीधे शिक्षा संचनालय की ओर से जा रहे हैं. लेटलतीफी को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि रायपुर जिले से 700 के करीब आवेदन चिन्हांकित हुए थे. ऑनलाइन पोर्टल पर 650 बच्चों की जानकारी दी जा चूकी है.
क्या है महतारी दुलार योजना
क्या है महतारी दुलार योजना के अंतर्गत जिन बच्चों ने कोरोना संक्रमण में अपने माता पिता को खोया था, उन्हें शिक्षा का पूरा खर्च छत्तीसगढ़ सरकार निर्वहन करेगी. साथ ही इन बच्चों को किसी भी सरकारी और प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई के दौरान छात्रवृत्ति देने की घोषणा की गई थी. इस योजना के अंतर्गत कक्षा पहली से आठवीं तक पढ़ने वाले बच्चों को 500 प्रति माह और कक्षा नौवीं से बारहवीं तक के बच्चों को एक हजार रुपए प्रतिमाह छात्रवृत्ति दिया जाना है.