रायपुरः छत्तीसगढ़ में साइबर क्राइम के मामले बढ़ते जा रहे हैं. पिछले कुछ सालों से रायपुर में साइबर क्राइम के मामले (cyber crime cases in raipur) और तेजी से बढ़ने लगे हैं. दिन का अधिकांश समय लोग मोबाइल इस्तेमाल (mobile usage) कर के बिताते हैं. आज मोबाइल इतना मल्टीटास्किंग हो गया है कि आपका सारा काम एक क्लिक में संभव हो सकता है और इसी का फायदा साइबर अपराधी उठा रहे हैं. वह कम जानकारी रखने वाले बच्चे और बुजुर्गों को अपना शिकार बना रहे हैं. राजधानी रायपुर में इस साल ऑनलाइन ठगी के 1500 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं.
पिछले चार सालों में रायपुर में साइबर ठगी के मामले
वर्ष | ऑनलाइन अपराध | रिफंड रकम |
2018 | 348 | 18,71,146 |
2019 | 548 | 38,00,836 |
2020 | 660 | 22,25,939 |
2021 (1 जनवरी से 31 अक्टूबर तक ) | 1607 | 31,00,286 |
जमाना हाइटेक होता जा रहा है. लोग ऑनलाइन गतिविधियों को लेकर जागरूक हो रहे हैं. साइबर ठग लोगों को ठगने के नए-नए तरीके ढूंढ रहे हैं. लोगों को अपनी बातों में फंसा लेते हैं और फिर ठगी का शिकार बनाते हैं. इस संबंध में ईटीवी भारत ने साइबर प्रभारी गिरीश तिवारी से बात की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा?
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कई इलाकों से अपने गिरोह को ऑपरेट करते हैं अपराधी
साइबर टीआई गिरीश तिवारी ने बताया कि भारत में ऐसे कई स्पॉट हैं जो साइबर अपराध (Cyber crimes) के लिए फेमस हो चुके हैं. सबसे कॉमन झारखंड का जामताड़ा है. इसके अलावा कई नए सपोर्ट भी अभी हाल ही में सामने देखने को मिले हैं. इसमें नोएडा, नाइजीरियन फ्रॉड के लिए दिल्ली (Delhi for Nigerian Fraud), ऑनलाइन फ्रॉड के लिए वेस्ट बंगाल (West Bengal for online fraud), मालदा, वेस्ट बंगाल और झारखंड के तरफ से काफी संख्या में एटीएम और साइबर ठगी के मामले देखने को मिलते हैं. जैसे ही हमारे पास कोई शिकायत आती है, हम पहले पूरी डिटेल पता करते हैं. उसके बाद टीम भेजते हैं. जल्दी से जल्दी क्रिमिनल या एक्यूज्ड को शॉर्टलिस्ट करते हुए टीम भेजते हैं और लीगल प्रोसेज फॉलो करते हुए उसे अपने यहां लाकर कार्रवाई करते हैं.
इन धाराओं में की जाती है मामले में कार्रवाई
फ्रॉड के केसेज में मैक्सिमम 420 आईपीसी के साथ-साथ आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई करते हैं. साइबर क्राइम के मामलों में आईटी एक्ट 2008 की धारा 43 (सी) और धारा 66 के तहत ज्यादा कार्रवाई की जाती है. इसके अलावा और भी आईटी और आईपीसी की धारा लगती है, जिसके तहत कार्रवाई किया जाता है.
ठगी के बाद ऑनलाइन शॉपिंग कर लेते हैं अपराधी
हाल ही में फ्रॉड ऐसे मामले देखने को मिले हैं जिसमें अपराधी ठगी कर पैसा निकाल लेते हैं और पैसा निकालने के बाद वह अलग-अलग शॉपिंग साइट से सामान परचेज कर लेते हैं. टीआई ने बताया कि जब भी हम किसी ठग को पकड़ते हैं तो हमारी पहली कोशिश यही रहती है कि जिससे जितने की ठगी हुई है, उसको पैसे वापस करा सकें और अपराधी के खिलाफ क्राइम रजिस्टर कर उसे रिमांड पर भेजते हैं.
केस स्टडी
1ः 18 दिसंबर को रायपुर डीडी नगर थाना क्षेत्र में साइबर ठगी का मामला सामने आया था. जिसमें साइबर ठग ने पालिसी का झांसा देकर रिटायर्ड प्राचार्य से किश्तों में 39 लाख रुपए अपने अकाउंट में जमा करा लिए. अगस्त 2020 को ठगों ने बुजुर्ग को कॉल कर अपनी एलआईसी और एचडीएफसी की पॉलिसी कैंसिल होने की बात कही और उसे दोबारा रिन्यू कराने के लिए 30 हजार रुपए जमा करने के लिए बोला. बुजुर्ग ने यह पैसा जमा भी कर दिया. इसके बाद धीरे-धीरे छोटी-छोटी किश्तों में 1 साल में साइबर ठग ने बुजुर्ग से 39 लाख रुपए ठग लिए. एक साल के बाद भी जब बुजुर्ग को पैसा नहीं मिला तो उन्हें ठगी का अहसास हुआ और तत्काल वह थाना पहुंचे.
2ः चार अगस्त को रायपुर के अभनपुर थाना क्षेत्र में साइबर ठगी का मामला सामने आया था जहां साइबर ठग ने रिटायर्ड बिजली कर्मचारी से 63 लाख रुपए की ऑनलाइन ठगी की थी. कोरोना के दौरान बुजुर्ग के बेटे की मौत हो गई थी. वहीं, ठगों ने बुजुर्ग को मृत बेटे का खाता अपडेट करने का झांसा दिया और 15 दिन तक बुजुर्ग से बात कर उसका भरोसा जीतते रहे. रोज उनसे ओटीपी मांगते रहे. बुजुर्ग खुद कोरोना पॉजिटिव थे. इस वजह से घर में ही रह कर ओटीपी साइबर ठग को बताते रहे और जब बुजुर्ग ठीक होने के बाद बैंक पहुंचे तो उन्हें पता चला कि उनके साथ ठगी हुई है.