रायपुरः कोरोना का नया म्युटेंट "ओमीक्रोन" (Corona's new mutant Omicron) वायरस को लेकर पूरे देश में अलर्ट जारी कर दिया गया है. वहीं, 12 कोरोना हाई रिस्क कंट्री (corona high risk country) से आने वाले सभी लोगों पर कड़ी निगाह रखी जा रही है. हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि कोविड का नया ओमीक्रोन वेरिएंट(Kovid's new Omicron variant), डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta Plus Variants) के मुकाबले कम खतरनाक है.
लोगों को यह तेजी से अपनी गिरफ्त में कर रहा है. प्रदेश के कोविड सैंपलों को जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए विशाखापट्टनम भेजा जा रहा है. अब तक प्रदेश में कोविड की जांच रायपुर एम्स में ही की जा रही थी लेकिन 'जिनोम सीक्वेंसिंग' के लिए स्पेशली कोविड सैंपलों (covid samples) को विशाखापट्टनम भेजा जा रहा है. आखिर 'जिनोम सीक्वेंसिंग' होती क्या है?
स्ट्रेन का पता लगाना है जरूरी
इसके लिए किस तरह से टेस्ट किया जाता है? इस बारे में ईटीवी भारत ने कोरोना आईसीयू डिपार्टमेंट हेड ओपी सुंदरानी से खास बातचीत की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा? कोरोना आईसीयू डिपार्टमेंट हेड ओपी सुंदरानी ने बताया कि किसी भी ऑर्गनिस्म को पूरे डिटेल में स्टडी (चाहे वह बैक्टीरिया हो या वायरस) को हम जिनोम सीक्वेंसिंग बोलते हैं. सबसे पहले हम यह देखते हैं कि ये स्ट्रेन कौन सा है या वायरस कौन सा है? तो यही चीज कोविड के साथ है.
सबसे पहले हमारे पास जो एक्जिस्टिंग टेस्ट है, आरटीपीसीआर या जो अन्य टेस्ट है, हम इन से यह पता कर लेते हैं कि इंफेक्शन का सैंपल है, उसमें क्या वायरस है? अगर वायरस है तो कौन सा वायरस है? अब जैसे पता चल गया कि इसमें कोविड वायरस मिला है. पिछले 2 साल से लगभग हर कोई यह सुन चुका है कि म्यूटेशंस होते हैं. म्यूटेशन का मतलब होता है कि वायरस कुछ प्रोटीन से बने होते हैं. अलग-अलग तरह के प्रोटींस होते हैं. जिससे मिलकर वह वायरस बनता है.
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जिनोम सीक्वेंसिंग से मिलेगी गुणसूत्र की जानकारी
अब एक प्रोटीन भी बहुत सारे एमिनो एसिड से मिलकर बना होता है. एक पूरी चेन होती है. अगर उस चेन में कहीं पर भी एक मॉलिक्यूल चेंज हो जाए तो उसको म्यूटेशन कहा जाता है. हमारे पास जो एक्जिस्टिंग टेस्ट है. यह कोविड वायरस है. पर यह कौन सा स्ट्रेन है. म्यूटेशंस कौन सा है? यह जिनोम सीक्वेंसिंग से ही पता चलता है. जिनोम सीक्वेंसिंग करना इसलिए जरूरी है क्योंकि इससे हमें यह पता चलता है कि यह वही स्पीशीज है. इसमें कुछ चेंज हो गए हैं तो जिनोम सीक्वेंसिंग में हम उस चीज को पूरा ऊपर से नीचे तक स्टडी करते हैं. जिन जिन पॉइंट पर चेंज होते हैं, उनको पिछले से कंपेयर करते हैं कि वह नया चेंज है या पिछले जैसा है, उससे स्ट्रेन का पता चलता.
जिनोम सीक्वेंसिंग के इंफ्रास्ट्रक्चर और इक्विपमेंट्स
जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर अलग होता है. इक्विपमेंट्स अलग होते हैं. रायपुर एम्स में सारी चीजें तैयार हैं लेकिन हर लैब को स्टार्ट करने के लिए अप्रूवल की जरूरत होती है. जिसके लिए अभी हमने लेटर भेजा है.
कोविड से अलग है ओमीक्रोन वेरिएंट के सिम्टम्स
नए वायरस में सिम्टम्स के बहुत क्लियर-कट सिम्टम्स नहीं है. जैसे कि आज मुझे सर्दी खांसी है तो यह कोविड है या नॉन कोविड है. अगर कोविड है तो डेल्टा है या ओमीक्रोन है, इसे बताना मुश्किल है. इसमें जो कॉमन सिम्टम्स है जैसे सर्दी, खांसी, बुखार इस पर ध्यान रखने की जरूरत है. इसके अलावा जो अलग चीजें कोविड के नए वैरीअंट ओमीक्रोन को लेकर सामने आ रही है वह है कि पिछले बार कोविड के समय टेस्ट और स्मेल चला गया था वह इस वायरस में नहीं मिला है. इस वायरस में ज्यादातर सीवियर हेडेक, धड़कन अचानक से बहुत तेज हो जाना, भूख ना लगना, अंदर से बुखार जैसे फीलिंग आना पर बुखार ना होना, कमजोरी लगना यह कुछ एक्स्ट्रा चीजें हैं जो इस स्ट्रेन में देखने को मिली है.
ओमीक्रोन वेरिएंट में म्यूटेशंस को लेकर अंदाजा लगाना मुश्किल
म्यूटेशंस को लेकर अंदाजा करना बहुत मुश्किल होता है. लेकिन म्यूटेशंस तो होंगे और एक समय ऐसा आएगा कि यह म्यूटेट होकर खत्म हो जाएगा. यह कब होगा, इसको लेकर कोई अंदाजा नहीं लगा सकता. म्यूटेशन के बाद यह स्ट्रांग होगा या वीक होगा, यह भी अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल है.