ETV Bharat / city

छत्तीसगढ़ सिकल सेल इंस्टीट्यूट बना सफेद हाथी, 9 सालों में एक भी जनउपयोगी शोध नहीं, उल्टा बढ़ रहे मरीज - छत्तीसगढ़ में सिकल सेल बीमारी एक गंभीर समस्या

छत्तीसगढ़ सिकल सेल इंस्टीट्यूट (chhattisgarh sickle cell institute) की उपयोगिता प्रदेशवासियों को जितनी मिलनी चाहिए, उतनी नहीं मिल रही. आलम ये है कि शोध कार्य के लिए लाई गईं करोड़ों रुपए की मशीनें धूल खा रहीं हैं.

no benefit of chhattisgarh sickle cell institute
छत्तीसगढ़ सिकल सेल इंस्टीट्यूट बना सफेद हाथी
author img

By

Published : Apr 9, 2022, 2:13 PM IST

Updated : Apr 9, 2022, 5:26 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में सिकल सेल बीमारी एक गंभीर समस्या है. साल 2013 में छत्तीसगढ़ सरकार ने सिकल सेल संस्थान (chhattisgarh sickle cell institute) की शुरुआत रायपुर में की थी. इस संस्थान का उद्देश्य सिकल सेल के मरीजों और उनके परिवारों के सदस्यों के लिए विशेष इलाज और परामर्श की सुविधा मुफ्त में उपलब्ध कराना है. संस्थान सिकल सेल रोगियों के इलाज के लिए जरूरी प्रशिक्षित डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और राज्य के स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण देने का कार्य करती है. इस संस्थान को 9 साल होने के बाद भी राज्य को कोई फायदा नहीं हो रहा. राज्य में सिकल सेल रोगियों की जनजागरूकता में कमी के कारण प्रदेश में लगातार मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है. सरकार इस बीमारी से ग्रसित लोगों के इलाज करने और इस गम्भीर रोग की रोकथाम को लेकर करोड़ों रुपए का फंड खर्च करती है, लेकिन प्रदेश में सिकल सेल के रोगियों में कमी नहीं आई.

छत्तीसगढ़ सिकल सेल इंस्टीट्यूट बना सफेद हाथी

छत्तीसगढ़ के चार जिलों में सिकल सेल यूनिट संचालित : सिकल सेल रोग से पीड़ित रोगियों का इलाज (sickle cell patient chhattisgarh) करने के लिए प्रदेश में सिर्फ चार जिलों पर ही यूनिट संचालित हो रही है. रायपुर, बिलासपुर, जगदलपुर और रायगढ़ जिले में यह संचालित है. प्रदेश में कई नए मेडिकल कॉलेज खुल चुके हैं. बावजूद इसके वहां यूनिट स्थापित नहीं की गई. लिहाजा अब ऐसे जिलों के मरीज भी इन्हीं चार जिलों में इलाज के लिए आते हैं. जन उपयोगी रिसर्च वर्क 2013 से संचालित है. सिकल सेल इंस्टीट्यूट में रिसर्च करने को लेकर करोड़ों रुपए की मशीनें खरीदी गई. बावजूद इसके अब तक कोई जन उपयोगी रिसर्च वर्क सामने नहीं आया (Public useful research work did not come) है. जब ईटीवी भारत ने लैब का निरीक्षण किया तो उस दौरान हमने पाया कि वहां लंबे समय से मशीनें पड़ी हैं. यह मशीनें अब धूल खा रही हैं.

लैब में नहीं एयर कंडीशन की व्यवस्था : किसी भी लेबोरेटरी में कार्य के दौरान उसका एयर कंडीशन्ड होना आवश्यक है, क्योंकि रिसर्च के लिए मशीनें कार्य करती हैं. ऐसे में मशीनों की आवश्यकता होती है. उन्हें एयर कंडीशन में रखना अनिवार्य है. लेकिन जब ईटीवी भारत ने सिकल सेल इंस्टीट्यूट के लैब (chhattisgarh sickle cell institute)का मुआयना किया तो पाया कि वहां एसी की व्यवस्था नहीं थी.

अधिकारी ने कहा हो रहा है प्रयास : डॉ. आशीष सिन्हा, मेडिकल डायरेक्टर ने बताया कि कुछ मेडिकल कॉलेज में सिकल उपचार की व्यवस्था की गई है. कुछ जगह पर प्रक्रियाधीन है. शासन की मंशा है कि हर जिले में एक सिकल सेल उपचार केंद्र खोला जाए. इस दिशा में हमारे संस्थान द्वारा प्रयास किया जा रहा है. डॉ. सिन्हा ने बताया कि हमारे द्वारा इस रोग से ग्रसित मरीजों की पहचान की जा रही है. जन उपयोगी रिसर्च वर्क नहीं होने के सवाल पर डॉ. आशीष सिन्हा ने कहा कि कोई भी शोध कार्य जन उपयोगी होना चाहिए. इस दिशा में संस्थान द्वारा प्रयास किया जा रहा है. अभी तक कोई ठोस शोध कार्य जनउपयोग के लिए सामने नहीं आ पाया है. इस दिशा में भी प्रयास हो रहा है.

ये भी पढ़ें- आयुर्वेदिक केंद्रों में सियान जतन क्लीनिक की शुरुआत, जानिए इसकी खासियत

कहां कितने मरीजों का उपचार : छत्तीसगढ़ सिकल सेल इंस्टीट्यूट से मिली जानकारी के अनुसार 4 जिलों में संचालित यूनिट में 9408 सिकल सेल के मरीजों का लगातार इलाज चल रहा है. रायपुर यूनिट में 6925, बिलासपुर यूनिट में 557, जगदलपुर यूनिट में 856, और रायगढ़ यूनिट में 1070 सिकल सेल ( SS रोगी) रोगियों का इलाज चल रहा है. 31014 सिकल सेल AS वाहक हैं.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में सिकल सेल बीमारी एक गंभीर समस्या है. साल 2013 में छत्तीसगढ़ सरकार ने सिकल सेल संस्थान (chhattisgarh sickle cell institute) की शुरुआत रायपुर में की थी. इस संस्थान का उद्देश्य सिकल सेल के मरीजों और उनके परिवारों के सदस्यों के लिए विशेष इलाज और परामर्श की सुविधा मुफ्त में उपलब्ध कराना है. संस्थान सिकल सेल रोगियों के इलाज के लिए जरूरी प्रशिक्षित डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और राज्य के स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण देने का कार्य करती है. इस संस्थान को 9 साल होने के बाद भी राज्य को कोई फायदा नहीं हो रहा. राज्य में सिकल सेल रोगियों की जनजागरूकता में कमी के कारण प्रदेश में लगातार मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है. सरकार इस बीमारी से ग्रसित लोगों के इलाज करने और इस गम्भीर रोग की रोकथाम को लेकर करोड़ों रुपए का फंड खर्च करती है, लेकिन प्रदेश में सिकल सेल के रोगियों में कमी नहीं आई.

छत्तीसगढ़ सिकल सेल इंस्टीट्यूट बना सफेद हाथी

छत्तीसगढ़ के चार जिलों में सिकल सेल यूनिट संचालित : सिकल सेल रोग से पीड़ित रोगियों का इलाज (sickle cell patient chhattisgarh) करने के लिए प्रदेश में सिर्फ चार जिलों पर ही यूनिट संचालित हो रही है. रायपुर, बिलासपुर, जगदलपुर और रायगढ़ जिले में यह संचालित है. प्रदेश में कई नए मेडिकल कॉलेज खुल चुके हैं. बावजूद इसके वहां यूनिट स्थापित नहीं की गई. लिहाजा अब ऐसे जिलों के मरीज भी इन्हीं चार जिलों में इलाज के लिए आते हैं. जन उपयोगी रिसर्च वर्क 2013 से संचालित है. सिकल सेल इंस्टीट्यूट में रिसर्च करने को लेकर करोड़ों रुपए की मशीनें खरीदी गई. बावजूद इसके अब तक कोई जन उपयोगी रिसर्च वर्क सामने नहीं आया (Public useful research work did not come) है. जब ईटीवी भारत ने लैब का निरीक्षण किया तो उस दौरान हमने पाया कि वहां लंबे समय से मशीनें पड़ी हैं. यह मशीनें अब धूल खा रही हैं.

लैब में नहीं एयर कंडीशन की व्यवस्था : किसी भी लेबोरेटरी में कार्य के दौरान उसका एयर कंडीशन्ड होना आवश्यक है, क्योंकि रिसर्च के लिए मशीनें कार्य करती हैं. ऐसे में मशीनों की आवश्यकता होती है. उन्हें एयर कंडीशन में रखना अनिवार्य है. लेकिन जब ईटीवी भारत ने सिकल सेल इंस्टीट्यूट के लैब (chhattisgarh sickle cell institute)का मुआयना किया तो पाया कि वहां एसी की व्यवस्था नहीं थी.

अधिकारी ने कहा हो रहा है प्रयास : डॉ. आशीष सिन्हा, मेडिकल डायरेक्टर ने बताया कि कुछ मेडिकल कॉलेज में सिकल उपचार की व्यवस्था की गई है. कुछ जगह पर प्रक्रियाधीन है. शासन की मंशा है कि हर जिले में एक सिकल सेल उपचार केंद्र खोला जाए. इस दिशा में हमारे संस्थान द्वारा प्रयास किया जा रहा है. डॉ. सिन्हा ने बताया कि हमारे द्वारा इस रोग से ग्रसित मरीजों की पहचान की जा रही है. जन उपयोगी रिसर्च वर्क नहीं होने के सवाल पर डॉ. आशीष सिन्हा ने कहा कि कोई भी शोध कार्य जन उपयोगी होना चाहिए. इस दिशा में संस्थान द्वारा प्रयास किया जा रहा है. अभी तक कोई ठोस शोध कार्य जनउपयोग के लिए सामने नहीं आ पाया है. इस दिशा में भी प्रयास हो रहा है.

ये भी पढ़ें- आयुर्वेदिक केंद्रों में सियान जतन क्लीनिक की शुरुआत, जानिए इसकी खासियत

कहां कितने मरीजों का उपचार : छत्तीसगढ़ सिकल सेल इंस्टीट्यूट से मिली जानकारी के अनुसार 4 जिलों में संचालित यूनिट में 9408 सिकल सेल के मरीजों का लगातार इलाज चल रहा है. रायपुर यूनिट में 6925, बिलासपुर यूनिट में 557, जगदलपुर यूनिट में 856, और रायगढ़ यूनिट में 1070 सिकल सेल ( SS रोगी) रोगियों का इलाज चल रहा है. 31014 सिकल सेल AS वाहक हैं.

Last Updated : Apr 9, 2022, 5:26 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.