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गर्भवती महिलाओं के लिए मंकीपॉक्स हो सकता है खतरनाक ! - मंकीपॉक्स एक वायरल संक्रमण

मंकीपॉक्स एक वायरल संक्रमण है, जो जानवरों से मनुष्य में फैलता है. मनुष्य से मनुष्य में भी फैल सकता है. छोटे बच्चों और प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए मंकीपॉक्स खतरनाक हो सकता है. (monkeypox danger for pregnant ladies)

monkeypox danger for pregnant ladies
गर्भवती महिलाओं के लिए मंकीपॉक्स खतरनाक
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Published : May 28, 2022, 9:44 PM IST

रायपुर: मंकीपॉक्स वायरस गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चे, कमजोर इम्यूनिट वालों के लिए गंभीर साबित हो सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मंकीपॉक्स (monkeypox) आमतौर पर बुखार, दाने और गांठ के जरिये उभरता है और इससे कई प्रकार की चिकित्सा जटिलताएं पैदा हो सकती हैं. रोग के लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक दिखते हैं, जो अपने आप दूर होते चले जाते हैं. मामले गंभीर भी हो सकते हैं. हाल के समय में, मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3-6 प्रतिशत रहा है, लेकिन यह 10 प्रतिशत तक हो सकता है. संक्रमण के वर्तमान प्रसार के दौरान मौत का कोई मामला सामने नहीं आया है. (Symptoms of monkeypox )

मंकीपॉक्स क्या है: मंकीपॉक्स मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है. यह पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था. मंकीपॉक्स से संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया था. यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होता है और कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में पहुंच जाता है. हैदराबाद के यशोदा अस्पताल में संक्रामक रोगों पर सलाहकार डॉ. मोनालिसा साहू ने कहा कि मंकीपॉक्स (monkeypox) एक दुर्लभ जूनोटिक बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस (monkeypox virus) के संक्रमण के कारण होती है. मंकीपॉक्स वायरस पॉक्सविरिडे परिवार से संबंधित है, जिसमें चेचक और चेचक की बीमारी पैदा करने वाले वायरस भी शामिल हैं. साहू ने बताया कि अफ्रीका के बाहर, अमेरिका, यूरोप, सिंगापुर, ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं और इन मामलों को अंतरराष्ट्रीय यात्रा व बीमारी से ग्रस्त बंदरों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने से जोड़ा गया है.

क्या है चकत्ता और मंकीपॉक्स में अंतर, यह कितना है घातक !

मंकीपॉक्स का प्रसार : मंकीपॉक्स (monkeypox) किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के निकट संपर्क के माध्यम से या वायरस से दूषित सामग्री के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है. ऐसा माना जाता है कि यह चूहों, चूहियों और गिलहरियों जैसे जानवरों से फैलता है. यह रोग घावों, शरीर के तरल पदार्थ, श्वसन बूंदों और दूषित सामग्री जैसे बिस्तर के माध्यम से फैलता है. यह वायरस चेचक की तुलना में कम संक्रामक है और कम गंभीर बीमारी का कारण बनता है. स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इनमें से कुछ संक्रमण यौन संपर्क के माध्यम से संचरित हो सकते हैं. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वह समलैंगिक या उभयलिंगी लोगों से संबंधित कई मामलों की भी जांच कर रहा है.

मंकीपॉक्स को लेकर भारत सरकार की एडवाइजरी जारी: एपिडेमिक कंट्रोल हेड डॉक्टर सुभाष मिश्रा ने बताया, " मंकीपॉक्स एक वायरल संक्रमण है, जो जानवरों से मनुष्य में फैलता है. मनुष्य से मनुष्य में भी फैल सकता है. विश्व के कुछ देशों में इसकी रिपोर्ट मिलने पर भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर चौकसी बढ़ा दी है. भारत सरकार ने राज्यों को भी एडवाइजरी जारी की है. छत्तीसगढ़ में भी राज्य सरकार द्वारा सभी जिलों में एडवाइजरी जारी कर दी गई है."

लक्षण पाए जाने पर व्यक्ति की निकाली जाएगी हिस्ट्री: संक्रमण वाले देश से आने वाले व्यक्तियों को खासकर निगरानी रखनी है. मंकीपॉक्स बीमारी में बुखार के साथ शरीर में दाने होते हैं. इसके साथ-साथ हाथ पैर के जोड़ों में गठान भी बन जाती है. किसी भी व्यक्ति में अगर ऐसे लक्षण पाए जाते हैं, तो प्राथमिकता से उससे आइसोलेशन में रखकर जांच और उपचार करना है. साथ ही उस व्यक्ति की हिस्ट्री लेकर कांटेक्ट ट्रेसिंग भी करना है.

रायपुर: मंकीपॉक्स वायरस गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चे, कमजोर इम्यूनिट वालों के लिए गंभीर साबित हो सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मंकीपॉक्स (monkeypox) आमतौर पर बुखार, दाने और गांठ के जरिये उभरता है और इससे कई प्रकार की चिकित्सा जटिलताएं पैदा हो सकती हैं. रोग के लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक दिखते हैं, जो अपने आप दूर होते चले जाते हैं. मामले गंभीर भी हो सकते हैं. हाल के समय में, मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3-6 प्रतिशत रहा है, लेकिन यह 10 प्रतिशत तक हो सकता है. संक्रमण के वर्तमान प्रसार के दौरान मौत का कोई मामला सामने नहीं आया है. (Symptoms of monkeypox )

मंकीपॉक्स क्या है: मंकीपॉक्स मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है. यह पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था. मंकीपॉक्स से संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया था. यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होता है और कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में पहुंच जाता है. हैदराबाद के यशोदा अस्पताल में संक्रामक रोगों पर सलाहकार डॉ. मोनालिसा साहू ने कहा कि मंकीपॉक्स (monkeypox) एक दुर्लभ जूनोटिक बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस (monkeypox virus) के संक्रमण के कारण होती है. मंकीपॉक्स वायरस पॉक्सविरिडे परिवार से संबंधित है, जिसमें चेचक और चेचक की बीमारी पैदा करने वाले वायरस भी शामिल हैं. साहू ने बताया कि अफ्रीका के बाहर, अमेरिका, यूरोप, सिंगापुर, ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं और इन मामलों को अंतरराष्ट्रीय यात्रा व बीमारी से ग्रस्त बंदरों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने से जोड़ा गया है.

क्या है चकत्ता और मंकीपॉक्स में अंतर, यह कितना है घातक !

मंकीपॉक्स का प्रसार : मंकीपॉक्स (monkeypox) किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के निकट संपर्क के माध्यम से या वायरस से दूषित सामग्री के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है. ऐसा माना जाता है कि यह चूहों, चूहियों और गिलहरियों जैसे जानवरों से फैलता है. यह रोग घावों, शरीर के तरल पदार्थ, श्वसन बूंदों और दूषित सामग्री जैसे बिस्तर के माध्यम से फैलता है. यह वायरस चेचक की तुलना में कम संक्रामक है और कम गंभीर बीमारी का कारण बनता है. स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इनमें से कुछ संक्रमण यौन संपर्क के माध्यम से संचरित हो सकते हैं. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वह समलैंगिक या उभयलिंगी लोगों से संबंधित कई मामलों की भी जांच कर रहा है.

मंकीपॉक्स को लेकर भारत सरकार की एडवाइजरी जारी: एपिडेमिक कंट्रोल हेड डॉक्टर सुभाष मिश्रा ने बताया, " मंकीपॉक्स एक वायरल संक्रमण है, जो जानवरों से मनुष्य में फैलता है. मनुष्य से मनुष्य में भी फैल सकता है. विश्व के कुछ देशों में इसकी रिपोर्ट मिलने पर भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर चौकसी बढ़ा दी है. भारत सरकार ने राज्यों को भी एडवाइजरी जारी की है. छत्तीसगढ़ में भी राज्य सरकार द्वारा सभी जिलों में एडवाइजरी जारी कर दी गई है."

लक्षण पाए जाने पर व्यक्ति की निकाली जाएगी हिस्ट्री: संक्रमण वाले देश से आने वाले व्यक्तियों को खासकर निगरानी रखनी है. मंकीपॉक्स बीमारी में बुखार के साथ शरीर में दाने होते हैं. इसके साथ-साथ हाथ पैर के जोड़ों में गठान भी बन जाती है. किसी भी व्यक्ति में अगर ऐसे लक्षण पाए जाते हैं, तो प्राथमिकता से उससे आइसोलेशन में रखकर जांच और उपचार करना है. साथ ही उस व्यक्ति की हिस्ट्री लेकर कांटेक्ट ट्रेसिंग भी करना है.

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