रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर का विकास तेजी से हो रहा है, लेकिन जिस तेजी से राजधानी को विकसित किया जा रहा है, उस तरीके से पैदल यात्रियों के लिए किसी तरह की फुटपाथ की कोई भी व्यवस्था यहां दिखाई नहीं देती है. फुटपाथ की व्यवस्था नहीं होने से पैदल यात्रियों के साथ दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. निगम प्रशासन का अपना अलग ही दावा है, उनका कहना है कि शहर की 80 प्रतिशत जगहों पर फुटपाथ का निर्माण कराया गया है. पैदल यात्रियों को किसी तरह की कोई भी परेशानी नहीं हो रही है.
ऐतिहासिक और प्राचीन धरोहरों को तोड़कर हुआ सड़क चौड़ीकरण
साल 2000 - 2001 में रायपुर को छत्तीसगढ़ की राजधानी बनाया गया. जिसके बाद से लगातार रायपुर में विकास हो रहा है. विकास के नाम पर राजधानी के प्राचीन और ऐतिहासिक धरोहरों को तोड़ने के साथ ही सड़कों का चौड़ीकरण का काम भी लगातार किया जा रहा है, लेकिन जिस तेजी से राजधानी का विकास हो रहा है उस दृष्टिकोण से पैदल यात्रियों के लिए किसी तरह की कोई सुविधा यहां दिखाई नहीं देती. स्थानीय लोगों का मानना है कि फुटपाथ नहीं होने से पैदल यात्रियों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और हमेशा दुर्घटना की भी आशंका बनी रहती है.
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'शहर में फुटपाथ की कमी'
रायपुर में चौक चौराहों के पास सिग्नल वाली जगह पर पैदल चलने वालों के लिए जेब्रा क्रॉसिंग का निर्माण भले ही करा दिया गया हो, लेकिन सड़क किनारे चलने वालों के लिए फुटपाथ कहीं भी नजर नहीं आता. यातायात विभाग के डीएसपी भी मानते हैं कि शहर में फुटपाथ की कमी है. फुटपाथ नहीं होने से दुर्घटना होने की आशंका भी बनी रहती है. अधिकारी ने भी माना कि शहर में फुटपाथ का निर्माण जरूरी है.
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नगर निगम का दावा, 80% जगह पर बनाया गया फुटपाथ
राजधानी में पैदल यात्रियों के लिए फुटपाथ को लेकर ETV भारत ने जब नगर निगम के अपर आयुक्त पुलक भट्टाचार्य से बात की तो उनका कहना है कि शहर में 80% सड़कों पर फुटपाथ का निर्माण कराया गया है, लेकिन जब शहर की सड़कों का जायजा लिया, तो फुटपाथ कहीं भी नजर नहीं आया. राजधानी की भीड़भाड़ वाले इलाकों में कई दुकानदार दुकान के सामने अपने वाहन पार्किंग करने के साथ ही दुकान का सामान भी बाहर रख देते हैं. जिसके कारण भी पैदल यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ती है.
बहरहाल नगर निगम के अपने वादे और दावे है जिसके मुताबिक राजधानी की 80% जगहों पर फुटपाथ मौजूद है, लेकिन फुटपाथ की मौजूदगी असल धरातल पर कुछ और ही बयां कर रही है, जो कहीं न कहीं नगर निगम के वादे और दावों की पोल खोल रहे हैं.