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BJP ने जिन्हें जिम्मेदारी दी थी, उन्हीं के क्षेत्र में कम हुआ मतदान, क्या होगा नुकसान ?

छत्तीसगढ़ में बीजेपी विधायकों के विधानसभा क्षेत्र में कम रहा मतदान प्रतिशत

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Published : Apr 27, 2019, 9:28 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव 2019 के लिए मतदान हो चुके हैं. 3 चरणों में जनता ने अपना मत ईवीएम में कैद कर दिया है. मतदान के बाद अलग-अलग क्षेत्रों से आंकड़े सामने आने लगे हैं. विधानसभा चुनाव के 4 महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा विधायकों के क्षेत्र में कम वोट पड़े हैं. ये आंकड़े निर्वाचन आयोग से मिले हैं.

स्टोरी पैकेज


लोकसभा चुनावों में रहा है बीजेपी का दबदबा
इस चुनाव पर सबकी निगाहें इसलिए भी टिकी हैं कि अभी तक लोकसभा चुनाव में भाजपा का दबदबा रहा है. विधानसभा में मिली हार के बाद संगठन ने सभी सिटिंग विधायकों का टिकट काटकर नए चेहरों को मैदान में उतारा और सिटिंग विधायकों को जिम्मेदारी दी गई. लेकिन मतदान के बाद जो सामने आ रहा है वो ये कि विधायकों के क्षेत्र में ही सबसे कम वोट पड़े. भाजपा के विधायकों के क्षेत्र से ही काफी कम मतदान हुआ है.


रमन, बृजमोहन सबके क्षेत्र में कम हुआ मतदान
2014 के लोकसभा चुनाव की तुलना में भी भाजपा विधायकों वाली सीटों पर मतदान काफी कम है. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह का निर्वाचन क्षेत्र राजनंदगांव भी शामिल हैं. इस सूची में लगातार सातवीं बार विधायक और भाजपा के दिग्गज नेता बृजमोहन अग्रवाल की रायपुर दक्षिण सीट भी शामिल है. विशेषज्ञों का मानना है कि बिलासपुर संभाग के मुंगेली और बेलतरा विधानसभा सीट पर भाजपा लगातार जीत रही है इसके बावजूद इन सीटों पर पिछले आम चुनाव की तुलना में इस बार काफी कम मत पड़े हैं.


कोरबा क्षेत्र में भी कम हुआ मतदान
कोरबा जिले के आदिवासी सीट रामपुर में भी करीब 5 फीसदी कम मतदान हुआ है, 2013 का चुनाव छोड़ दें तो रामपुर सीट से ननकीराम कंवर लगातार जीत रहे हैं. एक बार फिर से वो क्षेत्र से जीतकर विधानसभा तक पहुंचने में कामयाब हुए हैं.

इस बार 2% ज्यादा हुआ मतदान
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि लोकसभा चुनाव में विधानसभा चुनाव की तुलना में मतदान ऐसे ही कम होता है लेकिन छत्तीसगढ़ में हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव की वोटिंग में पिछले 2014 के चुनाव के मुकाबले 2% ज्यादा मतदान हुए हैं.

भारतीय जनता पार्टी को इस लोकसभा चुनाव में रणनीति बनाने के लिए मौजूदा 15 विधायकों को ही बड़ी जवाबदारी देखकर प्रदेश के तमाम सीटों को जिताने की जवाबदारी भी दी गई थी लेकिन इस लोकसभा चुनाव में इनके इलाकों में कम वोटिंग होने को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं, जो सिटिंग विधायकों के घर हैं वह भाजपा के ही गढ़ माने जाते हैं. इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की आंधी में भी भाजपा के 15 विधायक जीतने में कामयाब रहे हैं, ऐसे में इनके विधानसभा क्षेत्रों में परंपरागत वोट भी कम होना कहीं भाजपा के लिए मुश्किल न खड़ी कर दे.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव 2019 के लिए मतदान हो चुके हैं. 3 चरणों में जनता ने अपना मत ईवीएम में कैद कर दिया है. मतदान के बाद अलग-अलग क्षेत्रों से आंकड़े सामने आने लगे हैं. विधानसभा चुनाव के 4 महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा विधायकों के क्षेत्र में कम वोट पड़े हैं. ये आंकड़े निर्वाचन आयोग से मिले हैं.

स्टोरी पैकेज


लोकसभा चुनावों में रहा है बीजेपी का दबदबा
इस चुनाव पर सबकी निगाहें इसलिए भी टिकी हैं कि अभी तक लोकसभा चुनाव में भाजपा का दबदबा रहा है. विधानसभा में मिली हार के बाद संगठन ने सभी सिटिंग विधायकों का टिकट काटकर नए चेहरों को मैदान में उतारा और सिटिंग विधायकों को जिम्मेदारी दी गई. लेकिन मतदान के बाद जो सामने आ रहा है वो ये कि विधायकों के क्षेत्र में ही सबसे कम वोट पड़े. भाजपा के विधायकों के क्षेत्र से ही काफी कम मतदान हुआ है.


रमन, बृजमोहन सबके क्षेत्र में कम हुआ मतदान
2014 के लोकसभा चुनाव की तुलना में भी भाजपा विधायकों वाली सीटों पर मतदान काफी कम है. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह का निर्वाचन क्षेत्र राजनंदगांव भी शामिल हैं. इस सूची में लगातार सातवीं बार विधायक और भाजपा के दिग्गज नेता बृजमोहन अग्रवाल की रायपुर दक्षिण सीट भी शामिल है. विशेषज्ञों का मानना है कि बिलासपुर संभाग के मुंगेली और बेलतरा विधानसभा सीट पर भाजपा लगातार जीत रही है इसके बावजूद इन सीटों पर पिछले आम चुनाव की तुलना में इस बार काफी कम मत पड़े हैं.


कोरबा क्षेत्र में भी कम हुआ मतदान
कोरबा जिले के आदिवासी सीट रामपुर में भी करीब 5 फीसदी कम मतदान हुआ है, 2013 का चुनाव छोड़ दें तो रामपुर सीट से ननकीराम कंवर लगातार जीत रहे हैं. एक बार फिर से वो क्षेत्र से जीतकर विधानसभा तक पहुंचने में कामयाब हुए हैं.

इस बार 2% ज्यादा हुआ मतदान
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि लोकसभा चुनाव में विधानसभा चुनाव की तुलना में मतदान ऐसे ही कम होता है लेकिन छत्तीसगढ़ में हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव की वोटिंग में पिछले 2014 के चुनाव के मुकाबले 2% ज्यादा मतदान हुए हैं.

भारतीय जनता पार्टी को इस लोकसभा चुनाव में रणनीति बनाने के लिए मौजूदा 15 विधायकों को ही बड़ी जवाबदारी देखकर प्रदेश के तमाम सीटों को जिताने की जवाबदारी भी दी गई थी लेकिन इस लोकसभा चुनाव में इनके इलाकों में कम वोटिंग होने को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं, जो सिटिंग विधायकों के घर हैं वह भाजपा के ही गढ़ माने जाते हैं. इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की आंधी में भी भाजपा के 15 विधायक जीतने में कामयाब रहे हैं, ऐसे में इनके विधानसभा क्षेत्रों में परंपरागत वोट भी कम होना कहीं भाजपा के लिए मुश्किल न खड़ी कर दे.

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