रायपुर: छत्तीसगढ़ में धान खरीदी की शुरुआत होते ही धान तस्करी करने वाले गिरोह भी सक्रिय हो गए हैं. ओडिशा, झारखंड, मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश बॉर्डर से भी रात के अंधेरे में धान की तस्करी का खुला खेल शुरू हो गया है. प्रदेश राइस मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल के मुताबिक हर साल दूसरे राज्यों के धान को छत्तीसगढ़ में खपाने के लिए कोशिश की जाती है. बीते सालों में की गई सख्ती की वजह से 90 फीसदी तक धान की तस्करी रुकी है. लेकिन धान का समर्थन मूल्य ज्यादा होने की वजह से पड़ोसी राज्यों से अब भी बड़े पैमाने पर धान की तस्करी होती है.
छत्तीसगढ़ से सात राज्यों की सीमाएं लगती हैं. महाराष्ट्र्, मध्य प्रदेश, झारखंड, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा और आंध्र प्रदेश की सीमाएं प्रदेश से लगती हैं. यहां मध्य प्रदेश को छोड़कर बाकी 6 राज्यों में केंद्र सरकार की तरफ से तय किए गए समर्थन मूल्य पर धान खरीदी होती है. वहीं छत्तीसगढ़ में 2500 रुपए प्रति क्विंटल धान खरीदा जा रहा है. धान का समर्थन मूल्य ज्यादा होने की वजह से बिचौलिए खपाने की फिराक में हैं.
राज्य | सामान्य ग्रेड | ए ग्रेड |
मध्य प्रदेश | 1868 रुपए प्रति क्विंटल | 1888 रुपए प्रति क्विंटल |
उत्तर प्रदेश | 1868 रुपए प्रति क्विंटल | 1888 रुपए प्रति क्विंटल |
ओडिशा | 1868 रुपए प्रति क्विंटल | 1888 रुपए प्रति क्विंटल |
झारखंड | 1868 रुपए प्रति क्विंटल | 1888 रुपए प्रति क्विंटल |
तेलंगाना | 1868 रुपए प्रति क्विंटल | 1888 रुपए प्रति क्विंटल |
आंध्र प्रदेश | 1868 रुपए प्रति क्विंटल | 1888 रुपए प्रति क्विंटल |
महाराष्ट्र | 1868 रुपए प्रति क्विंटल | 1888 रुपए प्रति क्विंटल |
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इन इलाकों से होता है धान का खुला खेल
- छत्तीसगढ़ में रामानुजगंज, सरगुजा, मुंगेली, रायगढ़, बलरामपुर, महासमुंद धान तस्करी के बड़े केंद्र हैं.
- ओडिशा से आने वाले धान की खपत महासमुंद से गरियाबंद और बस्तर के कुछ इलाकों में भी होती है.
- बिहार और उत्तरप्रदेश से आने वाला धान सरगुजा के रास्ते से छत्तीसगढ़ में आता है.
- महाराष्ट्र से आने वाला धान राजनांदगांव के अंदरूनी जंगलों से और मध्यप्रदेश से आने वाले धान की सप्लाई कवर्धा और अनूपपुर से होती है.
कैसे होती है धान की तस्करी ?
अवैध धान की तस्करी को लेकर राज्य सरकार ने पेट्रोलिंग और चौकियां लगाई हैं. तस्करों ने इससे निपटने के लिए जंगल का रास्ता अख्तियार कर लिया है. जंगल के रास्तों से धान की तस्करी बड़े पैमाने पर होती है. दिन में पेट्रोलिंग और चौकियों में सरकारी तंत्र के अधिकारी डेरा डाले रहते हैं. ऐसे में धान तस्कर देर रात ही स्मगलिंग को अंजाम देते हैं. इसके लिए बिचौलिए दोपहर से ही बॉर्डर पर डेरा डाले रखते हैं. धान खरीदने और फिर बाहर निकालने का काम बिचौलियों का ही होता है.
साल 2019 के धान तस्करी के आंकड़े
जिला | जब्त धान |
बस्तर | 4703 क्विंटल |
बीजापुर | 774 क्विंटल |
दंतेवाड़ा | 658 क्विंटल |
कांकेर | 1614 क्विंटल |
बिलासपुर | 1824 क्विंटल |
जांजगीर | 16 हजार 637 क्विंटल |
मुंगेली | 690 क्विंटल |
बेमेतरा | 3540 क्विंटल |
कवर्धा | 9668 क्विंटल |
साल 2019 के धान तस्करी के आंकड़े
जिला | जब्त धान |
राजनांदगांव | 6317 क्विंटल |
गरियाबंद | 7480 क्विंटल |
बलरामपुर | 2394 क्विंटल |
सरगुजा | 3466 क्विंटल |
अब तैयारी और कुछ घटनाओं पर नजर डाल लेते हैं-
गरियाबंद में चौकसी-
गरियाबंद की 75 फीसदी सीमाएं ओडिशा से लगती हैं. यही वजह है कि यहां धान का अवैध रूप से परिवहन होने की शिकायत ज्यादा मिलती रहती है. इस बार प्रशासन ने ऐसे लोगों से निपटने के लिए कमर कस ली है. गरियाबंद जिला प्रशासन और पुलिस विभाग पूरी मुस्तैदी से नाके और चौराहों पर तैनात है. ओडिशा का सस्ते कीमत पर खरीदा गया धान समर्थन मूल्य में खपाने की फिराक में कोचिए रहते हैं. इसे रोकना प्रशासन के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं. एसपी ने बताया कि जिले की सीमाओं को पूरी तरह सील किया जा रहा है. पड़ोसी राज्य से आने वाले 35 रास्तों पर नाकेबंदी की गई है, लगातार तलाशी ली जा रही है. कर्मचारियों और पुलिस स्टाफ की ड्यूटी लगाई गई है. सभी विभागों के साथ मिलकर संयुक्त प्रयास किया जा रहा है.
घटनाएं-
2 दिसंबर को ओडिशा से छत्तीसगढ़ ला रहे धान के अवैध पिकअप को जब्त कर लिया गया. 2 पिकअप से करीब 16 क्विंटल अवैध धान को बिचौलिया खपाने की तैयारी में थे. पड़ोसी राज्यों में धान की कीमत कम होने के कारण कुछ बिचौलिए वहां का धान खपाने की कोशिश में जुटे हैं. इसी कड़ी में रायगढ़ में 16 क्विंटल अवैध धान जब्त किया गया है. ये धान ओडिशा से लाया जा रहा था.
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गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में चौकसी
नवगठित जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही में अब तक 36 हजार 25 क्विंटल धान खरीदी कर ली गई है. सीमावर्ती दूसरे प्रदेश से अवैध धान परिवहन रोकने के लिए 11 बैरियर भी प्रशासन ने लगाए हैं. जहां लगातार चेकिंग की जा रही है.
घटनाएं-
अब तक 6 केस भी अवैध धान खपाने के दर्ज हुए हैं और 1986 क्विंटल धान भी जब्त किया गया है. मध्यप्रदेश से लगे छत्तीसगढ़ के गांवों में रहने वाले किसानों की मानें तो रात के अंधेरे में धान की तस्करी मध्यप्रदेश से हो रही है. रात में 10-11 बजे के आसपास तो कभी तड़के सुबह 4 बजे धान मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ लाया जाता है और रात के अंधेरे में ही धान किसान के खलिहान में गिर जाता है. किसानों के पट्टे के साथ धान खरीदी केन्द्र में खपा दिया जाता है. ग्रामीण किसानों की मानें तो बैरियर पर ड्यूटी करने वालों को भी धान तस्कर अपने झांसे में लेकर काम करते हैं.
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महासमुंद में अवैध धान खपाने पर कार्रवाई
अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) सरायपाली कुणाल दूदावत ने गुरुवार को धान खरीदी केन्द्र जंगलबेड़ा में गलत तरीके से दूसरे के पट्टे पर धान बिक्री करते हुए एक किसान को पकड़ा. ट्रैक्टर और लोडेड धान को जब्त कर लिया गया. वहीं एसडीएम महासमुंद सुनील कुमार चंद्रवंशी ने धान खरीदी केन्द्र बम्हनी और पिटियाझर का निरीक्षण किया और किसानों से बातचीत की.
कोरिया में चौकसी
भरतपुर ब्लॉक के तहसीलदार बजरंग साहू ने भरतपुर विकासखंड के माडीसरई के धान खरीदी समिति का निरीक्षण किया. प्रशासन अवैध धान को खरीदी केंद्रों तक पहुंचने से रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि भरतपुर ब्लॉक के ग्राम बड़वाही में सुखरीटोला में मवई नदी के उस पार एमपी बॉर्डर के गांव हर्रा, कोटा, छपरी, खड़िया, खैरी, बटेटा से धान आते हैं. पिकअप, ट्रैक्टर में अवैध रूप से धान परिवहन किए जाने की आशंका है. इसे रोकने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश तहसीलदार बजरंग साहू दिए हैं.
पखांजूर में भी सामने आया मामला, 80 बोरा धान जब्त
पखांजूर इलाके के धान खरीदी केंद्र गोंडाहूर में पंजीकृत किसान के पट्टे पर एक अन्य व्यक्ति धान बेचने की कोशिश कर रहा था. खाद्य विभाग के अधिकारियों ने उस पर कार्रवाई की है. दरअसल विभाग को सूचना मिली थी कि कोई व्यक्ति पंजीकृत किसान के पंजीयन के आधार पर खुद का धान बेच रहा है. विभाग ने मामले की जांच की और आरोप सही पाया गया. जिसके बाद दो ट्रॉली ट्रैक्टर में लाए गए 80 बोरा धान को जब्त कर समिति प्रबंधक गोन्डाहूर के सुपुर्द कर दिया गया है. धान बेचने वाले और जिसके पट्टे पर धान बेचा जा रहा था, इन दोनों किसानों के पंजीकृत रकबे में धान बेचने पर फिलहाल रोक लगा दी गई है.
रकबे में कमी और कर्ज की वजह से किसान ने दी जान
एक तरफ जहां दूसरे राज्यों के किसान छत्तीसगढ़ में आकर अपना धान खपा रहे हैं, वहीं प्रदेश का अन्नदाता जान देने को मजबूर है. कोंडागांव के बड़ेराजपुर ब्लॉक में एक किसान ने रकबे में भारी-भरकम कटौती के कारण आत्महत्या कर ली है. किसान धनीराम मरकाम ने कर्ज और तनाव में आकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है. जानकारी के अनुसार, गिरदावरी रिपोर्ट में कई प्रकार की गलती की बात सामने आ रही है. इस घटना में कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा ने कार्रवाई करते हुए पटवारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. वहीं तहसीलदार को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. इसके अलावा कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा ने केशकाल एसडीएम दीनदयाल मंडावी से किसान आत्महत्या मामले में जानकारी मांगी है. कोंडागांव में छत्तीसगढ़ के ही माटीपुत्र ने पटवारी की गलती की वजह से खुद को खत्म कर लिया. रकबे में भारी-भरकम कटौती और कर्ज ने उससे जीने की वजह छीन ली, वहीं सीमा से सटे जिलों से धान खपाने आने वाले तस्करों ने प्रदेश के किसानों के हक पर डाका डालना शुरू कर दिया है.