रायपुर : हनुमान चालीसा का पाठ हमारे देश में कई लोग करते हैं. इसकी रचना महाकवि तुलसीदास जी ने की थी. तुलसीदास जी ने कई धार्मिक ग्रंथ लिखे हैं. उनमे से एक रामचरित मानस भी है. रामचरितमानस को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 100 काव्यों में से 46 वां स्थान दिया गया है. ये भी कहा जाता है कि तुलसीदास श्री हनुमान जी से मिले थे. तुलसीदास हनुमान जी से मिलकर उन्हें श्री राम जी के दर्शन कराने के लिए प्रार्थना की. फिर हनुमान जी के बताने के अनुसार श्री तुलसीदास को चित्रकूट में भगवान श्रीराम के साक्षात दर्शन हुए. हनुमान चालीसा लिखने वाले तुलसीदासजी राम के बहुत बड़े भक्त होने के कारण औरेंगजेब ने उन्हे बंदी बना लिया था. कहते हैं कि वहीं बैठकर उन्होंने हनुमान चालीसा लिखी थी. अंत में ऐसा कुछ हुआ कि औरंगजेब को उन्हें छोड़ना पड़ा था. हनुमान चालीसा की हर एक पंक्ति में विशेष बातें बताई गई हैं.
इसे चालीसा क्यों कहा जाता हैं ?
इसमें 40 छंद होते हैं, जिसके कारण इसको चालीसा कहा जाता है. आधुनिक युग की भागमभाग में हनुमान चालीसा ही एक ऐसा पाठ है, जिसे तुरंत ही आसानी से पढ़ा जा सकता है. लेकिन इसके लिए हनुमानजी की भक्ति जरूरी है. हिंदू धर्म में हनुमान चालीसा का बड़ा ही महत्व है. गुरु के गुण किसी में भी पाए जा सकते हैं, जैसे माता-पिता, आपको अच्छा ज्ञान देने वाला, आपको आपके लक्ष्य के प्रति उत्साह बढ़ाने वाला या फिर अन्य भी हो सकते हैं.
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इसके एक-एक छंद का अपने आप में बड़ा महत्व है
1.बच्चे का पढ़ाई में मन ना लगे तो उसको इस छंद का पाठ करना चाहिए- बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहुं कलेस बिकार...
2.बहुत समय से यदि बीमार हैं और ठीक नहीं हो रहे और आपको दुनिया से सारे संबंध तोड़ने का मन करता है तो ये पढ़ें- नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरन्तर हनुमत बीरा...
3. प्राणों पर यदि संकट आ गया हो तो यह पंक्ति पढ़ें- संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा या संकट तें हनुमान छुड़ावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै...
4.आपके मन में किसी भी प्रकार की मनोकामना है और उसे आप चाहते हैं कि वह पूरी हो तो पढ़ें- और मनोरथ जो कोई लावै, सोई अमित जीवन फल पावै...
ऐसी कई पक्तियां आपको हनुमान चालीसा में मिल जाएंगी, जिसे पढ़कर आप खुद ही महसूस करने लगेंगे कि कुछ तो बदलाव हुआ है. ऐसे कहा जाता है कि आज भी जहां कहीं श्रीराम जी का भजन होता है, वहां श्री हनुमान जी स्वयं अदृश्य रूप में उपस्थित होते हैं.