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'कद छोटा था लेकिन सुषमा का राजनीतिक कद बहुत बड़ा था, उनके चेहरे का ओज नहीं भूल सकते' - करुणा शुक्ला और सुषमा स्वराज

करुणा शुक्ला ने सुषमा स्वराज के साथ बिताए हुई तमाम यादें ETV भारत के साथ शेयर की. उन यादों को याद कर वे भावुक भी हुई.

सुषमा स्वराज से जुड़ी यादे करुणा शुक्ला ने साझा की
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Published : Aug 7, 2019, 5:56 PM IST

रायपुर: भारत की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज एक ऐसा नाम हैं, जिसे लेते ही तेज तर्रार राजनेता, दयालु महिला, करुणा और तेज से भरी मंत्री, भाषा, ज्ञान का भंडार और विदुषि महिला की छवि सामने आ जाती है. भले ही वो आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन उन्हें याद करते ही जहन में वो ऊर्जा आती है मानो सुषमा आज भी सामने खड़े हों.

सुषमा स्वराज से जुड़ी यादे करुणा शुक्ला ने साझा की

सुषमा स्वराज का छत्तीसगढ़ से पुराना नाता है. मध्य प्रदेश के जमाने से सुषमा स्वराज लगातार छत्तीसगढ़ आती रही हैं. छत्तीसगढ़ में पूर्व सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला ने सुषमा स्वराज के साथ बिताए हुई तमाम यादें ETV भारत से शेयर की. करुणा ने बताया कि पहली बार वो सुषमा स्वराज से अटल जी के निवास पर मिली थी. खुद अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें सुषमा स्वराज से मिलवाया था.

कद छोटा, चेहरे पर ओज : करुणा
सुषमा स्वराज से मुलाकात का जिक्र करते हुए करुणा ने कहा कि वे उन्हें देखते ही बहुत प्रभावित हुईं. करुणा ने कहा कि उनका कद भले छोटा था, लेकिन चेहरे पर ओज था. उनका चेहरा बताता था कि वो कितनी साहसी थीं. करुणा बताती हैं कि सुषमा स्वराज उनसे उम्र में छोटी थी लेकिन वे उन्हें दीदी बुलाती थीं.

पढ़ें : पंचतत्व में विलीन हुईं सुषमा स्वराज, मोदी-शाह-आडवाणी रहे मौजूद

भाषाओं पर अच्छी पकड़
करुणा ने बताया कि उनकी न केवल हिंदी में बल्कि संस्कृत, कन्नड़ जैसी भाषाओं पर अच्छी खासी पकड़ रही. सुषमा किसी भी भाषा को सुनती थीं तो उसे समझ कर बोलने की क्षमता रखती थीं. संसद में उनकी भाषा शैली सुनने और समझने के लिए पूरा सदन शांत हो जाता था.

सुषमा सरस्वती का रूप
करुणा ने सुषमा को सरस्वती का रुप बताते हुए कहा कि अटल जी को भी सरस्वती का वरदान मिला था. वैसे ही सुषमा जी के वाणी में सरस्वती बसती थी. वे किसी और की नकल नहीं करती थी वो जो कहती खुद बहुत सोच समझ कर कहती थी. वे विपक्षियों को भी भाई कहकर पुकारती थीं.

चाय पर नहीं होती राजनीतिक चर्चा
अटल की भतीजी ने बीते दिनों की बाते बताते हुए कहा कि चौदहवीं लोकसभा में सदस्य होने के दौरान सुषमा स्वराज जी तमाम महिला सांसदों के यहां चाय पर जाया करती थी. लेकिन उस दरमियान शर्त रहती थी कि घर में बनी हुई चीज ही वह खाएंगी. साथ ही राजनीति से हटकर बातें की जाती थी. वे खुशी के मौके पर खुशियों में शामिल होती थी. नाचती थीं, गाती थीं. भारतीय संस्कृति और भारतीय त्योहारों को वे बड़े ही धूमधाम से मनाती थीं. हमेशा भारतीय परिधानों में रहना उनकी खासियत रही है. वह करवाचौथ का त्योहार भी काफी धूमधाम से मनाती थीं. वे अपनी बेटी बांसुरी का भी अक्सर जिक्र किया करती थी.

रायपुर: भारत की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज एक ऐसा नाम हैं, जिसे लेते ही तेज तर्रार राजनेता, दयालु महिला, करुणा और तेज से भरी मंत्री, भाषा, ज्ञान का भंडार और विदुषि महिला की छवि सामने आ जाती है. भले ही वो आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन उन्हें याद करते ही जहन में वो ऊर्जा आती है मानो सुषमा आज भी सामने खड़े हों.

सुषमा स्वराज से जुड़ी यादे करुणा शुक्ला ने साझा की

सुषमा स्वराज का छत्तीसगढ़ से पुराना नाता है. मध्य प्रदेश के जमाने से सुषमा स्वराज लगातार छत्तीसगढ़ आती रही हैं. छत्तीसगढ़ में पूर्व सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला ने सुषमा स्वराज के साथ बिताए हुई तमाम यादें ETV भारत से शेयर की. करुणा ने बताया कि पहली बार वो सुषमा स्वराज से अटल जी के निवास पर मिली थी. खुद अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें सुषमा स्वराज से मिलवाया था.

कद छोटा, चेहरे पर ओज : करुणा
सुषमा स्वराज से मुलाकात का जिक्र करते हुए करुणा ने कहा कि वे उन्हें देखते ही बहुत प्रभावित हुईं. करुणा ने कहा कि उनका कद भले छोटा था, लेकिन चेहरे पर ओज था. उनका चेहरा बताता था कि वो कितनी साहसी थीं. करुणा बताती हैं कि सुषमा स्वराज उनसे उम्र में छोटी थी लेकिन वे उन्हें दीदी बुलाती थीं.

पढ़ें : पंचतत्व में विलीन हुईं सुषमा स्वराज, मोदी-शाह-आडवाणी रहे मौजूद

भाषाओं पर अच्छी पकड़
करुणा ने बताया कि उनकी न केवल हिंदी में बल्कि संस्कृत, कन्नड़ जैसी भाषाओं पर अच्छी खासी पकड़ रही. सुषमा किसी भी भाषा को सुनती थीं तो उसे समझ कर बोलने की क्षमता रखती थीं. संसद में उनकी भाषा शैली सुनने और समझने के लिए पूरा सदन शांत हो जाता था.

सुषमा सरस्वती का रूप
करुणा ने सुषमा को सरस्वती का रुप बताते हुए कहा कि अटल जी को भी सरस्वती का वरदान मिला था. वैसे ही सुषमा जी के वाणी में सरस्वती बसती थी. वे किसी और की नकल नहीं करती थी वो जो कहती खुद बहुत सोच समझ कर कहती थी. वे विपक्षियों को भी भाई कहकर पुकारती थीं.

चाय पर नहीं होती राजनीतिक चर्चा
अटल की भतीजी ने बीते दिनों की बाते बताते हुए कहा कि चौदहवीं लोकसभा में सदस्य होने के दौरान सुषमा स्वराज जी तमाम महिला सांसदों के यहां चाय पर जाया करती थी. लेकिन उस दरमियान शर्त रहती थी कि घर में बनी हुई चीज ही वह खाएंगी. साथ ही राजनीति से हटकर बातें की जाती थी. वे खुशी के मौके पर खुशियों में शामिल होती थी. नाचती थीं, गाती थीं. भारतीय संस्कृति और भारतीय त्योहारों को वे बड़े ही धूमधाम से मनाती थीं. हमेशा भारतीय परिधानों में रहना उनकी खासियत रही है. वह करवाचौथ का त्योहार भी काफी धूमधाम से मनाती थीं. वे अपनी बेटी बांसुरी का भी अक्सर जिक्र किया करती थी.

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रायपुर। भारत की पूर्व विदेश मंत्री और प्रखर वक्ता रही भाजपा की वरिष्ठ नेत्री सुषमा स्वराज के निधन को लेकर पूरे देश में शोक की लहर है । सुषमा स्वराज के छत्तीसगढ़ से भी बहुत पुराने तालुकात रहे हैं, मध्य प्रदेश के जमाने से सुषमा स्वराज लगातार छत्तीसगढ़ आते रही हैं। छत्तीसगढ़ में पूर्व सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला ने सुषमा स्वराज के साथ बिताए हुए तमाम यादगार झरोखों को याद कर ईटीवी भारत से चर्चा की है।
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करुणा शुक्ला ने कहा कि सुषमा जी प्रखर महिला वक्ता के रूप में हमेशा याद की जाएगी, वे कभी भी कहीं संबोधन देने के पहले काफी तैयारियां करती रही हैं। उनकी ना केवल हिंदी में बल्कि संस्कृत, कन्नड़ जैसी भाषाओं में भी अच्छी खासी पकड़ रही है। किसी भी भाषा को सुनती थी तो उसे समझ कर बोलने की क्षमता रखती थी। संसद में उनकी भाषा शैली सुनने और समझने के लिए पूरा सदन शांत होकर सुनता था । भारतीय जनता पार्टी को आज इतनी बड़ी पार्टी बनाने के रूप में भी उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा। इतना ही नहीं वह उनके साथ बिताए हुए कई यादगार लम्हों को भी हमसे साझा की है। वह बताती हैं कि चौदहवीं लोक सभा में सदस्य होने के दौरान सुषमा स्वराज जी तमाम महिला सांसदों के यहां चाय पर जाया करती थी। लेकिन उस दरमियान शर्त रहती थी कि घर में बनी हुई चीज ही वह खाएंगी। वे हर महिला सांसदों के यहां व जाया करती थी और परिवारिक संबंधों के साथ ही तमाम मसलों पर बात करती थी। भारतीय संस्कृति और भारतीय त्योहारों को व बड़े ही धूमधाम से मनाती थी। हमेशा भारतीय परिधानों में रहना उनकी खासियत रही है,वह करवाचौथ का त्यौहार भी काफी धूमधाम से मनाती थी । उस दौरान तमाम महिला सांसदों को भी व अपने यहां बुलाती रही है । ईटीवी भारत पर चर्चा करते हुए करुणा शुक्ला की भी आंखे भर आई।

वन टू वन- करुणा शुक्ला, पूर्व सांसद

मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुरConclusion:
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